संत पौलुस महागिरजाघर में संध्या प्रार्थना करते संत पापा फ्राँसिस एवं विश्वासी संत पौलुस महागिरजाघर में संध्या प्रार्थना करते संत पापा फ्राँसिस एवं विश्वासी 

ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह के समापन पर संत पापा का संदेश

53वाँ ख्रीस्तीय एकता हेतु प्रार्थना सप्ताह का समापन 25 जनवरी की शाम को, संत पापा फ्राँसिस ने रोम स्थित संत पौलुस महागिरजाघर में, संध्या प्रार्थना के साथ की। संध्या प्रार्थना रोम के संत पौलुस महागिरजाघर में 5.30 बजे सम्पन्न हुआ।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

रोम, शनिवार, 25 जनवरी 2020 (रेई)˸ इस दौरान अपने प्रवचन में संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "जहाज जिसने संत पौलुस को एक कैदी के रूप में रोम लाया, उसमें तीन विभिन्न दलों के लोग थे; सबसे प्रभावशाली दल था, कप्तान एवं सैनिकों का, दूसरा दल था जहाज चालकों का जिनपर यात्री पूरी तरह निर्भर करते थे और तीसरा दल, सबसे कमजोर कैदियों का था।"   

जब जहाज कई दिनों तक आँधी की चपेट में आने के बाद माल्टा पहुँची तब सैनिक कैदियों को मार देना चाहते थे ताकि कोई भी भाग न सके। किन्तु शतपति जो पौलुस को बचाना चाहता था ऐसा करने से रोक दिया। यद्यपि पौलुस सबसे कमजोर लोगों में से एक था उसने अपने सह-यात्रियों को एक महत्वपूर्ण उपहार दिया, जब सभी लोग बचने की आशा खो चुके थे तब पौलुस ने आशा का एक अनापेक्षित संदेश लाया। प्रभु के दूत ने उसे रात में यह कहते हुए आश्वासन दिया था, पौलुस! डरिए नहीं। आप को कैसर के सामने उपस्थित होना है, इसलिए ईश्वर ने आप को यह वरदान दिया है कि आपके साथ यात्रा करने वाले सब-के-सब बच जायेंगे।' (प्रे.च 27:24) पौलुस विश्वास में अडिग रहा और अंत में सभी यात्री बच गये। जब वे माल्टा में पाँव रखे, तब उन्होंने वहाँ के लोगों के आतिस्थ्य सत्कार, दयालुता और मानवता को देखा। संत पापा ने कहा कि यहीं से इस प्रार्थना सप्ताह की विषयवस्तु चुनी गयी है जिसका समापन आज हो रहा है।

पहला आयाम

संत पापा ने कहा कि प्रेरित चरित का यह पाठ हमारे ख्रीस्तीय एकता यात्रा के बारे कहता है, वह यात्रा जो एकता हेतु ईश्वर की तीव्र अभिलाषा की ओर अग्रसर करती है। पहले आयाम में हम पाते हैं कि जो लोग कमजोर और दुर्बल हैं और जिनके पास दूसरों को देने के लिए भौतिक वस्तुएँ कम हैं किन्तु वे ईश्वर में अपनी शक्ति प्राप्त करते हैं, वे सभी की भलाई के लिए महत्वपूर्ण संदेश दे सकते हैं।

हम ख्रीस्तीय समुदाय की याद करें, दुनिया की नजरों में चाहे वह कितना ही छोटा समुदाय क्यों न हो पर यदि पवित्र आत्मा की उपस्थिति का एहसास करता हो, यदि वह ईश्वर एवं पड़ोसियों के प्रेम से प्रेरित हों, तब वह पूरे ख्रीस्तीय परिवार को संदेश दे सकता है। हम पीड़ित और दरकिनार कर दिये गये ख्रीस्तीय समुदाय की याद करें। जैसा कि पौलुस की यात्रा में हुआ उसी तरह कमजोर लोग ही मुक्ति का महान संदेश लाते हैं। ईश्वर ने सुसमाचार की ''मूर्खता'' द्वारा विश्वासियों को बचाना चाहा। उन्होंने ज्ञानियों द्वारा नहीं बल्कि अज्ञानियों द्वारा दुनिया को बचाना चाहा।" (1 कोर. 1:20-25)

संत पापा ने कहा, "येसु के शिष्यों के रूप में हमें दुनियावी तर्क से सावधान रहना है बल्कि छोटे और कमजोर लोगों को सुनना है क्योंकि ईश्वर अपने पुत्र के समान दीन लोगों के द्वारा अपना संदेश देना चाहते हैं।"

दूसरा आयाम

घटना का दूसरा आयाम हमें याद दिलाती है कि ईश्वर की प्राथमिकता है सभों की मुक्ति। जैसा कि दूत ने पौलुस से कहा, "ईश्वर उन सभी की रक्षा करेंगे जो तुम्हारे साथ यात्रा कर रहे हैं। इस बात पर पौलुस जोर देते हैं। संत पापा ने कहा कि हमें भी इसे दोहराना चाहिए। यह हमारा कर्तव्य है कि हम ईश्‍वर की सर्वोपरि इच्छा का पालन करें, जैसा कि स्वयं पौलुस लिखते हैं, "वह चाहता है कि सभी मनुष्य मुक्ति प्राप्त करें।" (1 तिम 2:4) हमें अपने समुदायों में इसी बात को ध्यान देना है, हमें अपने आपको सभी की भलाई के लिए उदार बनना है, ईश्वर के लिए जिन्होंने समस्त मानव जाति का आलिंगन करने हेतु शरीरधारण किया तथा हमारी मुक्ति के लिए मरे एवं जी उठे। यदि हम उनकी कृपा से चीजों को उनकी नजर से देख पायेंगे तब हम विभाजन से ऊपर उठ पायेंगे। जहाज टूटने पर पौलुस के साथ यात्रा कर रहे सभी लोगों ने अपना सहयोग दिया। शतपति ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया, नाविकों ने अपने ज्ञान एवं क्षमता का प्रयोग किया और पौलुस ने निराश लोगों को आशा दिलाई। उसी तरह ख्रीस्तीय समुदाय में दूसरों को देने के लिए हमारे पास भी अनेक वरदान हैं। हम जितना अधिक दीवार के उस पार देखेंगे उतना ही अतीत की कड़वी भावनाओं से ऊपर उठ पायेंगे तथा एक आम लक्ष्य की ओर आगे बढ़ पायेंगे, जहाँ हम अधिक तत्परता से कृपा को पहचानेंगे, स्वागत करेंगे एवं बाटेंगे।   

तीसरा आयाम

तीसरा आयाम है आतिथ्य सत्कार जो ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह की विषयवस्तु है। प्रेरित चरित के अंतिम अध्याय में संत लूकस माल्टा के निवासियों के संबंध में कहते हैं "वहाँ के निवासियों ने हमारे साथ बड़ा अच्छा व्यवहार किया।" (पद. 2) समुद्र तट पर उन्होंने यात्रियों के लिए आग सुलगायी, यह अनजान लोगों के प्रति उनकी मानव सहृदयता का प्रतीक है। वहाँ के प्रशासक ने भी पौलुस के प्रति स्वागत और आतिथ्य दिखलाई जिसकी कीमत उन्होंने उनके पिता को चंगाई प्रदान कर चुकायी और उनके साथ कई अन्य लोगों को निरोग किया। (पद 7-9) अंततः पौलुस और उनके साथी जब इटली रवाना हुए तो उन्होंने वह सब समान जहाज पर रख दिया जो उन्हें आवश्यक था। (पद. 10)

अतिथि-सत्कार

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय एकता के लिए प्रार्थना के इस सप्ताह में, एक ख्रीस्तीय के रूप में अपने ही बीच एवं अन्य ख्रीस्तीय समुदायों के बीच हम अतिथि-सत्कार सीखना चाहते हैं। आतिथ्य हमारे ख्रीस्तीय समुदायों एवं परिवारों में परम्परा से ही है। अपने उदाहरणों से हमारे पूर्वजों ने हमें सिखलाया है कि ख्रीस्तीय परिवारों में भोजन अतिरिक्त रखा जाता था ताकि द्वार पर दस्तक देने वाले जरूरतमंद लोगों को खाने हेतु भोजन दिया जा सके। मठवासों में अतिथियों का बड़े आदर से स्वागत किया जाता था। संत पापा ने कहा कि हम इस परम्परा को जिसमें सुसमाचार की खुशबू है उसे न खोयें बल्कि पुनः सजीव बनायें।

उन्होंने विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों के प्रतिनिधियों का अभिवादन करते हुए कहा, "आइये, हम प्रार्थना जारी रखें एवं हमारे बीच ईश्वर से पूर्ण एकता के वरदान की याचना करें।"    

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

25 January 2020, 16:01