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बुधवारीय आमदर्शन में संत पापा बुधवारीय आमदर्शन में संत पापा  

आप्रवसियों का आतिथ्यसत्कार करें, संत पापा

अपने बुधवारीय आमदर्शन कार्यक्रम में संत पापा फ्रांसिस ने विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों को आतिथ्यसत्कार पर धर्मशिक्षा दी।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, 22 जनवरी 2020 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पापा पौल षष्टम के सभागार में विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को अपनी धर्मशिक्षा माला देने के पूर्व संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

आज की धर्मशिक्षा ख्रीस्तीय एकता हेतु प्रार्थना की विषयवस्तु पर आधारित है। इस वर्ष की विषयवस्तु आतिथ्यसत्कार है जो माल्टा और गोजो समुदायों से विकसित हुई जिसे हम प्रेरित चरित मे पाते हैं। माल्टा के निवासियों के संत पौलुस और उनके साथियों का स्वागत किया विशेषकर जब समुद्री यात्रा के दौरान उनका जहाज टूट गया था। मैंने अपने विगत दो सप्ताह की धर्मशिक्षा मालों में इसी घटना की चर्चा की थी।

हम, अतः जहाज टूटने के उस अनुभव से शुरू करें। संत पौलुस जिस जहाज पर यात्रा कर रहे होते हैं वह करूणा की निशानी बनती है। वे चालीस दिनों तक समुद्र में भटकते रहे और उन्हें न तो सूर्य और न ही तारे दिखाई दिये। ऐसी परस्थिति में समुद्री यात्री हताश और निराश अपने को खोने का अनुभव करते हैं। इसके साथ ही समुद्री तूफान जो जहाज से टकरा रहा था जो उनमें भय उत्पन्न करता था कि लहरों की थपेड़ों से कहीं वह टूट न जायेगा। ऊपर से वे वायु और बारिश की मार से परेशान थे। समुद्र और तूफान की ताकत अपने में भयंकर शक्तिशाली थी जिसमें 260 लोगों के भाग्य की कोई चिंता नहीं थी।

संत पौलुस का विश्वास

संत पापा ने कहा कि लेकिन पौलुस जानता है कि ऐसी कोई बात नहीं। विश्वास के कारण वह जानता है कि उसका जीवन ईश्वर के हाथों में है जिन्होंने येसु ख्रीस्त को मुर्दों में से जीवित किया है। वही ईश्वर उन्हें बुलाते और सुसमाचार के प्रचार हेतु दुनिया के अंतिम छोर तक निर्देशित करते हैं। अपने विश्वास में वे इस रहस्य से परिचित हैं कि वे एक प्रेमी पिता हैं, जिसे येसु ख्रीस्त ने प्रकट किया है। अतः विश्वास से प्रेरित होकर वे अपने सह-समुद्री यात्रियों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि ईश्वर उनका एक भी बाल बांका होने नहीं देंगे।

दुर्लभ मानवता का एहसास

उसकी यह भविष्यवाणी अपने में खरा उतरती है और उनका जहाज माल्टा के तट पर पहुंचता औऱ सभी यात्री सही सलामत सूखी भूमि में पर रखते हैं। वहाँ उन्हें एक नई बात की अनुभूति होती है। समुद्री तूफान की क्रूरता के विपरीत उन्हें एक “दुर्लभ मानवता” का एहसास वहाँ के द्वीप निवासियों से होता है। वहाँ के अपरिचित निवासी उनकी हर जरूरतों का ख्याल करते हैं। वे उनके लिए आग जलाते जिससे वे अपने को गर्म कर सकें, पानी से बचने हेतु उन्हें आश्रय देते और उनके लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं। उन्होंने ईश्वर के सुसमाचार को अपने में ग्रहण नहीं किया था यद्यपि वे ईश्वर के करूणामय प्रेम का प्रमाण ठोस कार्यों में व्यक्त करते हैं। वास्तव में, स्वाभाविक आतिथ्य और सेवा के कार्य ईश्वरीय प्रेम का संचार करता है। माल्टा द्वीप समूह के लोगों का आतिथ्यसत्कार, संत पौलुस के माध्यम ईश्वर के चमत्कारी चंगाई कार्यों में फलित होता है। माल्टा के निवास प्रेरित संत पौलुस हेतु ईश्वीय दिव्य करूणा की निशानी बनें अतः वे भी उनके लिए ईश्वरीय करूणामय प्रेम का साक्ष्य बनते हैं।

आतिथ्य अंतरधार्मिक मूल्य

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि आतिथ्य अपने में एक महत्वपूर्ण अन्तरधार्मिक मूल्य है। इसका अर्थ सर्वप्रथम हमारे लिए यही है कि हम येसु ख्रीस्त में दूसरे ख्रीस्तीय भाई-बहनों को एक सच्ची पहचान प्रदान करें। यह एक-तरफा उदारता का कार्य नहीं है क्योंकि जब हम दूसरे ख्रीस्तियों का स्वागत करते तो हम उन्हें अपने लिए एक उपहार स्वरूप ग्रहण करते हैं, जो हमारे लिए दिये  जाते हैं। माल्टा के निवासियों को उनका उपहार प्राप्त हुआ, क्योंकि हम अपने भाई-बहनों में पवित्र आत्मा की कृपा को प्राप्त करते हैं जो उनके द्वारा हमारे लिए उपहार स्वरुप दिया जाता है। दूसरी रीति के ख्रीस्तियों का अपने बीच स्वागत करने का अर्थ उनके लिए ईश्वर के प्रेम को प्रदर्शित करना है क्योंकि वे ईश्वर की संतान हैं, साथ ही यह ईश्वरीय वरदानों का स्वागत करना है जिसे ईश्वर उनके जीवन में पूरा करते हैं। अंतरधार्मिक आतिथ्य इस बात की मांग करती है कि हम दूसरे ख्रीस्तियों को सुनने हेतु अपने को खुला रखें, उनके व्यक्तिगत विश्वास की घटनाओं और समुदाय के इतिहास को ध्यान से सुनें। यह आतिथ्य अपने में इस बात को सम्माहित करती है कि हम दूसरे ख्रीस्तीय समुदाय के ईश्वरीय अनुभूति को जाने और उसके द्वारा मिलने वाले आध्यात्मिक उपहारों को अपने लिए प्राप्त करें।

वर्तमान में यात्राओं के कारण

संत पापा ने कहा कि आज, समुद्र में जहाज का टूटना जैसे कि संत पौलुस और उनके साथियों के लिए हुआ था पुनः एक बार दूसरे नाविकों के जीवन हेतु खतरे का स्थल बनता है। दुनिया के विभिन्न स्थानों में प्रवासी स्त्री और पुरूष अपनी जान जोखिम में डालते हुए हिंसा, युद्ध औऱ गरीबी से भागने हेतु यात्राएँ कर रहें हैं। संत पौलुस और उनके साथियों ने अपने जीवन में मरूभूमि, नदियों और समुद्र की उदासीनता का अनुभव किया लेकिन उनसे भी अधिक दुर्भाग्यवश उन्होंने कई बार मनुष्यों में अधिक शत्रुता को पाया। वे देहव्यपारियों द्वारा अत्याचार के शिकार हुए, अधिकारियों ने उन्हें भय के रुप में पाया, तो वे कभी समुद्री लहरों द्वारा आतिथ्य से दूर ढ़केल दिये गये।

प्रवासियों हेतु कार्य का आहृवान

ख्रीस्तियों के रुप में हमें प्रवासियों के लिए एक साथ मिलकर कार्य करने की जरुरत है जिससे वे येसु ख्रीस्त के प्रेम का अनुभव कर सकें। हम अपने जीवन के द्वारा उन्हें इस बात का अनुभव करायें कि हर व्यक्ति ईश्वर के लिए अमूल्य है, न कि दुनिया केवल उदासीनता और शत्रुता से भरी है, ईश्वर हर व्यक्ति को प्रेम करते हैं। हमारे बीच विभाजन जो अभी भी व्याप्त है हमें उन्हें ईश्वरीय प्रेम की अनुभूति प्रदान करने में अवरोधक न बने। अंतरधार्मिक आतिथ्य की अनुभूति हेतु एक साथ मिलकर हमारा कार्य करना विशेषकर उनके लिए जो अपने में अंति संवेदनशील परिस्थिति में जीवनयापन करते हैं हमें सच्चे अर्थ में ख्रीस्तीय बनायेगा। हम बेहतर मानव, बेहतर येसु ख्रीस्त के शिष्य और एकता में अधिक संगठित ख्रीस्तीय बन पायेंगे। यह हमें एक दूसरे के और करीब लायेगा जिसकी आशा येसु ख्रीस्त हमसे करते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभों के संग हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। 

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22 January 2020, 15:28