काथलिक अक्शन दल के दो बच्चे संत पापा के साथ काथलिक अक्शन दल के दो बच्चे संत पापा के साथ  

ईश्वर के प्रेम के संदेशवाहक व साक्षी बनें, पोप

संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 26 जनवरी को, प्रथम ईश वचन रविवार के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 27 जनवरी 2020 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 26 जनवरी को, प्रथम ईश वचन रविवार के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।

आज का सुसमाचार पाठ (मती. 4:12-23) येसु के सार्वजनिक मिशन की शुरूआत को प्रस्तुत करता है। यह गलीलिया में घटी, जो येरूसालेम के बाहर की भूमि है तथा जिसको गैर यहूदियों के साथ मिस्रित जगह के रूप में देखा जाता है। उस प्रांत से कोई उम्मीद नहीं की जाती थी जबकि येसु वहीं गलीलिया के नाजरेथ में बढ़े और अपना उपदेश शुरू किया।

पिता ईश्वर का मानव के प्रति सामीप्य एवं मित्रता

वे अपनी शिक्षा के केंद्रविन्दु की घोषणा करते हैं जिसका सार सुसमाचार में इस प्रकार है, ''पश्चात्ताप करो। स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।'' (पद. 17) यह घोषणा एक तेज प्रकाश स्तम्भ के समान है जो अंधकार को चीरता तथा कोहरा को पार करता एवं नबी इसायस की भविष्यवाणी जिसको क्रिसमस की रात पढ़ी जाती है, साकार बनाता है "अन्धकार में भटकने वाले लोगों ने एक महती ज्योति देखी है, अन्धकारमय प्रदेश में रहने वालों पर ज्योति का उदय हुआ है।" (इसा. 9,1) दुनिया की ज्योति, येसु के आगमन के साथ, पिता ईश्वर ने मानव को अपना सामीप्य एवं मित्रता प्रदर्शित किया। यह हमें हमारी योग्य के आधार पर नहीं बल्कि मुफ्त में प्रदान की गयी। ईश्वर का सामीप्य और उनकी मित्रता हमारी योग्यता पर निर्भर नहीं करती, वे ईश्वर के मुफ्त वरदान हैं। हमें इस वरदान की रक्षा करनी चाहिए।

ख्रीस्त और उनकी आत्मा पर भरोसा

मन-परिवर्तन, जिसका आह्वान येसु सभी लोगों से करते हैं उसे पूरी तरह खासकर, ईश्वर के पुत्र के प्रकट होने की घटना के आलोक में समझा जा सकता है जिसपर हमने विगत रविवार को चिंतन किया है। कई बार अपने जीवन को बदलना, स्वार्थ, बुराई और पाप के रास्ता का परित्याग करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि ख्रीस्त और उनकी आत्मा के बदले, हम मन-परिवर्तन के लिए सिर्फ अपने समर्पण एवं शक्ति पर भरोसा करते हैं। प्रभु के प्रति हमारी निष्ठा व्यक्तिगत प्रयास तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, केवल अपने आप पर भरोसा करना घमंड का पाप है। प्रभु के साथ हमारे संबंध को एक व्यक्तिगत प्रयास के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि हृदय और मन को येसु के संदेश का स्वागत करने हेतु दृढ़ता से खोलने के द्वारा व्यक्त होना चाहिए। येसु का वचन, सुसमाचार ही दुनिया और हृदयों को बदल सकता है। अतः हम ख्रीस्त के वचन पर विश्वास करने के लिए बुलाये जाते हैं, पिता की करूणा के लिए अपने आपको खोलने एवं पवित्र आत्मा की कृपा द्वारा अपने आपमें परिवर्तन आने देने के लिए।

मुक्तिदाता के पदचिन्हों का अनुसरण

संत पापा ने कहा कि यहीं से मन-परिवर्तन का रास्ता शुरू होता है। जैसा कि प्रथम शिष्यों के साथ हुआ जब उन्होंने प्रभु के साथ मुलाकात की, उनकी नजर एवं उनके शब्द ने उन्हें, उनका अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया और ईश्वर के राज्य की सेवा में संलग्न कर उनके जीवन में परिवर्तन लाया। येसु का वचन हम तक पहुँचा क्योंकि उन साधारण मछुआरों ने अपना जाल (पेशा) छोड़ा एवं "हाँ" कहा। आज का सुसमाचार पाठ उन्हें गलीलिया झील के तट पर प्रस्तुत करता है जो क्षेत्र का सीमान्त है। येसु के समान वे भी अपने आपको सीमान्त पर पाते हैं, गैर यहूदियों के बीच एक प्रकाश के रूप में, जो सच्ची मुक्ति की घोषणा करते हैं जिसको ख्रीस्त ने प्रदान किया है।

ईश्वर के प्रेम के संदेशवाहक एवं साक्षी

येसु के साथ इस अनोखी एवं विशेष मुलाकात से शिष्यों की यात्रा शुरू होती है जिसने उन्हें लोगों के बीच ईश्वर के प्रेम के संदेशवाहक एवं साक्षी के रूप में बदल दिया। ईश वचन के इन प्रथम संदेशवाहकों का अनुसरण करते हुए, हम प्रत्येक जन मुक्तिदाता के पदचिन्हों पर चल सकें, ताकि इसके लिए प्यासे लोगों को आशा दिला सकें। धन्य कुँवारी मरियम, जिनकी ओर हम इस देवदूत प्रार्थना में आते हैं इस मतलब में हमारी सहायता करे, अपनी ममतामय मध्यस्थता द्वारा हमारा साथ दें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

ईश वचन का पहला रविवार

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने विभिन्न सूचनाएँ देते हुए कहा, "आज हम पहली बार ईश वचन रविवार मना रहे हैं, जिसकी स्थापना ईश्वर द्वारा अपनी प्रजा के लिए दिए गये वचन को मनाने एवं उसका स्वागत करने हेतु की गयी है। संत पापा ने विभिन्न धर्मप्रांतों और समुदायों को धन्यवाद दिया जिन्होंने कलीसिया के जीवन में पवित्र धर्मग्रंथ की केन्द्रीयता को याद दिलाने के लिए प्रयासों का प्रस्ताव रखा है, जैसा कि द्वितीय वाटिकन महासभा द्वारा सिखलायी गयी है।"   

27 जनवरी को प्रार्थना और चिंतन

संत पापा ने शोआह के प्रतीक, मौत शिविर ऑस्चविट्ज़-बिरकेनौ की आजादी की 75वीं वर्षगाँठ की याद दिलायी जो 27 जनवरी को पड़ता है। संत पापा ने कहा, "इस भयंकर त्रासदी एवं क्रूरता के सामने उदासीनता अस्वीकार्य है, इसकी याद आवश्य की जानी चाहिए। संत पापा ने सभी विश्वासियों से आग्रह किया कि 27 जनवरी को प्रार्थना और चिंतन की जाए और हरेक व्यक्ति अपने हृदय में कहे, "युद्ध फिर कभी नहीं।"

विश्व कोढ़ दिवस

26 जनवरी को विश्व कोढ़ दिवस मनाया जाता है। इसकी याद दिलाते हुए संत पापा ने कहा, "हम कोढ़ बीमारी से पीड़ित सभी लोगों एवं विभिन्न तरह से उनकी सेवा करने वाले लोगों के करीब हैं।"

कोरोना वाईरस से पीड़ित लोगों के प्रति संत पापा भी सहानुभूति

संत पापा ने चीन में तेजी से फैलती कोरोना वाईरस से पीड़ित लोगों के प्रति भी सहानुभूति प्रकट की। उन्होंने कहा, "हम उन लोगों के करीब रहना और उनके लिए प्रार्थन करना चाहते हैं जो चीन में वाईरस के कारण बीमार हैं। प्रभु मौत के शिकार लोगों को अनन्त शाति प्रदान करे, उनके परिवारों को सांत्वना दे एवं चीन के विशाल समुदाय को सहायता दे, जो महामारी का सामना कर रहा है।"

इसके उपरांत, संत पापा ने इटली एवं विश्व के विभिन्न हिस्सों से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया, विशेषकर, वेरोना, सालामांका, बुरगोस, सानतंदर और वाल्लादोलिद के तीर्थयात्री; मर्सिया, क्वेनका, बाडाजोज और पनामा के विद्यार्थियों का अभिवादन किया।

काथलिक अक्शन दल के युवा

संत पापा ने इटली के तुरसी एवं लात्सियो से यूनितालसी दल का भी अभिवादन किया जो आमदर्शन समारोह एवं देवदूत प्रार्थना में भाग लेने के लिए विकलांग लोगों की मदद करते हैं और आज ईश वचन की पुस्तक का वितरण किया है।

उसके बाद संत पापा ने रोम के विभिन्न पल्लियों एवं स्कूलों के काथलिक अक्शन दल के युवाओं का भी अभिवादन किया। उन्होंने कहा, "आप यहाँ बड़ी संख्या में शांति के  क़ाफ़िला संग आये। आपके इस प्रयास के लिए धन्यवाद। इसके उपरांत संत पापा के साथ उपस्थित बच्चों ने ईश वचन का पाठ किया और उसके उद्घाटन स्वरूप गुब्बारा उड़ाया।     

अंत में संत पापा ने प्रार्थना का आग्रह करते हुए, सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।    

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27 January 2020, 14:26