आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के प्रतीक क्रूस की आशीष करते संत पापा फ्राँसिस आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के प्रतीक क्रूस की आशीष करते संत पापा फ्राँसिस 

आप्रवासियों का समुद्र में मर जाना अन्याय है, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को मानवीय कोरिडोर की सहायता से लेसबोस द्वीप से हाल में रोम लाये गये 33 शरणार्थियों के साथ मुलाकात की तथा सभी आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की याद में वाटिकन के बेलवेदेरे प्रांगण में क्रूस का उद्घाटन किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पितवार, 19 दिसम्बर 2019 (रेई)˸ आप्रवासी एवं शरणार्थी बेहतर जीवन की तलाश में अपना जीवन खो देते हैं। इस बात को दो जीवन रक्षक जैकेट् अपनी कहानी में बयाँ करते हैं। पहला जैकेट कुछ दिनों पूर्व एक रक्षा दल द्वारा संत पापा को दिया गया था। यह एक लड़की का था जो भूमध्यसागर में डूब गयी थी। दूसरा जैकेट, दूसरे सुरक्षा दल द्वारा संत पापा को प्रदान किया गया था जो एक आप्रवासी था जो जुलाई माह में समुद्र में खो गया था। कोई नहीं जानता कि वह कहाँ से आया था और कौन था।

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को 33 शरणार्थियों से मुलाकात की जिन्हें हाल ही में ग्रीक द्वीप लेसबोस से मानवीय सहायता कोरिडोर से लाया गया है। उन्होंने पहले जीवन रक्षा जैकेट को, समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद के आप्रवासी एवं शरणार्थी विभाग के उप सचिव को सौंपते हुए कहा था, "यह आपका मिशन है।"  

संत पापा ने कहा कि वे कहना चाहते थे कि "इसका मतलब आप्रवासियों के जीवन को बचाना, कलीसिया का अपरिहार्य प्रतिबद्धता है ताकि हम उनका स्वागत, रक्षा, बढ़ावा और एकीकरण कर सकें।"

शरणार्थियों के साथ संत पापा
शरणार्थियों के साथ संत पापा

अन्याय बहुत सारे आप्रवासियों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर करता

वाटिकन के बेलवेदेरे प्रांगण में एकत्रित लोगों को सम्बोधित कर संत पापा ने इस बात को रेखांकित किया कि अन्याय ही आप्रवासियों को अपनी भूमि छोड़ने, शोषण के शिकार होने और हिरासत शिविर में पड़ने के लिए मजबूर करता है। अन्याय ही उनका बहिष्कार करता एवं समुद्र में मरने देता है।

क्रूस पीड़ा और मुक्ति का प्रतीक

संत पापा ने कहा, "ख्रीस्तीय परम्परा में क्रूस पीड़ा एवं बलिदान का प्रतीक है किन्तु यह मुक्ति और छुटकारा का भी चिन्ह है। क्रूस का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि क्रूस पर जीवन रक्षा जैकेट को रखने का निश्चय उन्होंने इसलिए किया ताकि "याद दिलाया जा सके कि हमें अपनी नजरों को खुला रखना चाहिए... हमारे हृदयों को खुला रखना है..., हरेक व्यक्ति के जीवन की रक्षा करने के इस परम आवश्यक जिम्मेदारी को सभी को स्मरण दिलाया जा सके, जो एक नैतिक जिम्मेदारी है जो विश्वासियों एवं गैर-विश्वासियों सभी को एकजुट करता है।"

हमारी अज्ञानता पाप है

संत पापा ने कहा, "हम किस तरह हमारे अनेक भाई-बहनों के निराश आवाज को नहीं सुन सकते जो लीबिया के हिरासत शिविर में, अत्याचार एवं नीच दासता से धीरे-धीरे मरने की अपेक्षा तूफानी समुद्र का रास्ता चुनते हैं? हम किस तरह शोषण एवं हिंसा के सामने उदासीन रह सकते हैं जिसके शिकार बेशर्म तस्करों के हाथों पड़कर, निर्दोष बनते हैं? हम किस तरह भले समारी के दृष्टांत के उन याजकों एवं लेवियों की तरह गुजरते हुए उनकी मृत्यु के लिए जिम्मेदार बन सकते हैं? संत पापा ने कहा कि "हमारी अज्ञानता पाप है।"  

संत पापा ने कहा कि रक्षा जहाज को रोककर ही समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता। हमें लीबिया के हिरासत शिविर को खाली करने का गंभीरता से प्रयास करना चाहिए और उसके समाधान के लिए हरसंभव समाधान ढूंढ़ने का प्रयास करना चाहिए। "हमें मानव तस्करों का बहिष्कार करना एवं उनपर मुकदमा चलाना चाहिए जो आप्रवासियों का शोषण करते हैं। व्यक्ति को प्राथमिकता देने के लिए आर्थिक लाभ को दरकिनार करना चाहिए क्योंकि हरेक व्यक्ति का जीवन एवं प्रतिष्ठा ईश्वर की नजरों में मूल्यवान है।"

संत पापा ने अंत में कहा कि "हमें उनकी मदद करना और उनकी रक्षा करनी चाहिए क्योंकि हम सभी अपने पड़ोसियों के जीवन के लिए जिम्मेदार हैं। महान्याय के दिन प्रभु हमसे इसका हिसाब मांगेंगे।"

आप्रवासियों एवं शरणार्थियों का प्रतीक क्रूस
आप्रवासियों एवं शरणार्थियों का प्रतीक क्रूस

संदेश के अंत में संत पापा ने क्रूस को आशीष दी तथा उसे दो शरणार्थियों द्वारा आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की स्मृति में दीवार पर लटकाया गया।     

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19 December 2019, 17:18