खोज

संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

यौन दुराचार मामले में पोप ने किया परमधर्मपीठीय गोपनीयता का अंत

संत पापा फ्राँसिस ने यौन दुराचार के मामले में कानूनी प्रक्रिया की गवाही एकत्रित करने हेतु वैध अधिकारियों के पास उपलब्ध दस्तावेजों की परमधर्मपीठीय गोपनीयता समाप्त की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 17 दिसम्बर 2019 (रई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने यौन हिंसा के मामले में और याजकों द्वारा नाबालिगों पर यौन दुराचार पर परमधर्मपीठीय गोपनीयता को समाप्त किया। उन्होंने 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, जो डेलिक्टा ग्राविओरा (सबसे गंभीर नियमभंग) की श्रेणी में आते हैं उनके अश्लील चित्रों को रखने और प्रसार करने के द्वारा, बाल पोर्नोग्राफी के अपराध से संबंधित नियम को भी बदलने का निश्चय किया है।

पहला और सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पेरोलिन द्वारा हस्ताक्षरित एक अध्यादेश है। यह अध्यादेश बतलाता है कि विगत 4 दिसम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने हाल में प्रकाशित मोतु प्रोप्रियो वोस एसतीस लुक्स मुंदी (अधिकार के दुरुपयोग या दुरुपयोग के तहत हिंसा और यौन शोषण, नाबालिगों एवं कमजोर लोगों के प्रति यौन शोषण, बाल पोर्नोग्राफी, रिपोर्टिंग की कमी, धर्माध्यक्षों एवं धर्मसंघों के परमाधिकारियों द्वारा अपराधी को छिपाने की कोशिश आदि के मामले) के पहले अनुच्छेद में, अपराध सूची के संबंध में रिपोर्टिंग, परीक्षणों और निर्णयों से जुड़े अनौपचारिक गोपनीयता को खत्म करने का फैसला किया था।

नया निर्देश निर्दिष्ट करता है कि इस तरह की जानकारी जो "सुरक्षा, अखंडता और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए रखें गये थे उनका व्यवहार किया जाए" जो शामिल लोगों के "अच्छे नाम, छवि और गोपनीयता" की रक्षा के लिए कलीसिया के कानून द्वारा स्थापित था। किन्तु इस गोपनीयता में यह निर्देश भी दिया गया है कि यह, रिपोर्टिंग करने के संभावित दायित्व और नागरिक न्यायिक अधिकारियों के लागू करने योग्य अनुरोधों का निष्पादन के साथ "सिविल कानून द्वारा सभी स्थानों पर निर्धारित दायित्वों की पूर्ति को न रोके।" इसके अलावा, अपराध की रिपोर्ट करने वाले, पीड़ित और गवाह, तथ्यों के संबंध में "मौन के किसी भी दायित्व से बाध्य नहीं होंगे।"  

दूसरा अध्यादेश जिसपर भी वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो परोलिन एवं विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल लुईस लादारिया फेर्रेर ने हस्ताक्षर किया है, मोतु प्रोप्रियो साक्रामेंतोरूम सांकतितातिस तुतेला (प्रकाशित 2001 और संशोधित 2010) में तीन अनुच्छेदों में सुधार किये गये हैं। यह बतलाता है कि सबसे गंभीर नियमभंग के खिलाफ अपराध का न्याय, विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के लिए आरक्षित है, जिसमें नाबालिग जिनकी उम्र 18 साल से कम हो उनके अश्लील तस्वीर, किसी याजक द्वारा यौन सुख के मकसद से लेने, रखने या बांटने का काम किया जाए, उसके लिए चाहे किसी भी तकनीकी का प्रयोग क्यों न किया जाए। अब तक, इसकी उम्र सीमा 14 वर्ष थी।    

इसी अध्यादेश के दूसरे अनुच्छेद में यह अनुमति दी गयी है कि गंभीर नियमभंग के मामले में, कलीसिया के कानून में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने वाला लोकधर्मी भी वकील या मुख़्तार की भूमिका अदा कर सकता है और यह अब केवल पुरोहित के लिए आरक्षित नहीं है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

17 December 2019, 17:26