स्कूल बच्चों के साथ संत पापा स्कूल बच्चों के साथ संत पापा 

विद्यार्थियों को संत पापा का संदेश

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 30 नवम्बर को वाटिकन में 6-16 साल के 3,500 विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों एवं शिक्षकों से मुलाकात की जिन्होंने रोम में बच्चों की "मैं कर सकता हूँ" वैश्विक सम्मेलन में भाग लिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 2 दिसम्बर 2019 (रेई)˸ 26-30 नवम्बर तक बच्चों के वैश्विक सम्मेलन ने "मैं कर सकता हूँ" में भाग लिया जो सबसे बड़ा अंतरधार्मिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है। सम्मेलन में कुल 40 देशों के बच्चों ने भाग लिया। इटली के काथलिक स्कूलों के संघ "फिडाल" द्वारा मैं कर सकता हूँ परियोजना, संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक विश्व पत्र "लौदातो सी" द्वारा प्रेरित है।   

संत पापा ने उन्हें सम्बोधित करते हुए उनके कार्यों के प्रति उनके दैनिक समर्पण की तुलना मोसाईक कलाकृति से की। उन्होंने कहा, "कई छोटे-छोटे कार्यों को एक साथ करने के द्वारा निर्मित सुन्दरता मुझे मोसाईक कलाकृति की याद दिलाती है जिसमें एक तस्वीर का निर्माण करने के लिए कई टुकड़ों को एक साथ लगाया जाता है। पत्थर के इन छोटे टुकड़ों का अपने आप में कोई अर्थ नहीं होता किन्तु एक साथ मिलकर वे एक अत्यन्त मनोरम दृश्य उत्पन्न करते हैं।

हमारे यहूदी एवं ख्रीस्तीय परम्परा में सुन्दरता एवं अच्छाई एक-दूसरे से जुड़े हैं उन्हें  अलग नहीं किया जा सकता, उदाहरण के लिए उत्पति ग्रंथ में हम पाते हैं कि ईश्वर ने दुनिया की सृष्टि में कई चीजों को एक-दूसरे से अलग किया और अंत में उन्होंने अपनी कृति को देखा और उन्हें यह अच्छा लगा।(उत्प. 1:31).

विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने कहा कि ईश्वर ने अपनी सृष्टि के कार्य को मानव जाति के लिए सौंप दिया है ताकि वे उसकी देखभाल एवं रक्षा करें अतः मानव प्राणी एक "मिस्रित सुंदरता" के लिए दूसरों की सेवा में जीवन देकर ही अपनी पूर्णता का एहसास करती है।

सृष्टि में ईश्वर का उद्देश्य

संत पापा ने कहा कि "अच्छा" शब्द का हिब्रू में व्यापक मूल्य है और इसका अनुवाद न केवल अच्छा के रूप किन्तु सामंजस्य के रूप में भी किया जा सकता है। यह कई चीजों का सामंजस्य है जो सौंदर्य, अच्छाई एवं साझा करने से बना है। सृष्टि हमें अपने वैभव और विविधता से विस्मित करती है साथ ही साथ, हमें धरातल पर लाती है और हमें समझाती है कि इस महानता में हमारी भूमिका क्या है।

जब हम आश्चर्य के साथ आकाश और तारों अथवा शुद्ध जल के साथ झरने को देखते हैं तब हम इस अत्यन्त सुन्दर सृष्टि के रचयिता की याद करते हैं। (प्रज्ञा 13: 3), मानव जाति को प्रदान किये गये इस खजाने की देखभाल की जानी चाहिए, अतः धर्मग्रंथ में अच्छा और सुन्दर, सौंदर्य एवं अच्चाई के बीच घनिष्ट संबंध है जिसको दूसरों की सेवा के रूप में समझा जाता है।

संत पापा ने सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित कर कहा कि मैं आपमें साहसी निष्ठा को देखता हूँ, पर्यावरण और सामाज सुधार की योजना के भरोसे और साहस को; एक ऐसी योजना को जो एक छाप छोड़ देती है। आपने सही चुनाव किया है। आपने अपने समुदाय की सेवा करने का बीड़ा उठाया है।

संत पापा ने कहा कि सृष्टि हमें अपने वैभव एवं विविधता से विस्मित करती है और विश्व में अपनी भूमिका को समझने में मदद देती है। पवित्र धर्मग्रंथ हमें सुन्दरता एवं अच्छाई के बीच गहरे संबंध को बतलाता है। किन्तु वे सचेत करते हैं कि हम ईश्वर के अद्वितीय रचना के स्थान पर अपनी कृतियों को रखने की कोशिश से बचें।

ईश्वर का स्थान लेने का प्रलोभन

संत पापा ने कहा कि ग्रीक पौराणिक कथाओं के समान हम भी अनजाने में ईश्वर का स्थान लेने के प्रलोभन में पड़ सकते हैं। यह तब होता है जब "मैं" सब कुछ का केंद्र बन जाता।  

इस संबंध में संत पापा ने बच्चों के "मैं कर सकता हूँ" योजना की सराहना की  जो कहता है कि दूसरों के बिना हम नहीं कर सकते। उन्होंने बहिष्कार करने के जाल की निंदा की। उन्होंने कहा, "आपने समझा है कि मैं समर्थ हूँ को "हम एक साथ कर सकते हैं" के रूप में समझा है। एक साथ यह अधिक सुन्दर एवं प्रभावशाली है।  

शिक्षा का वैश्विक गाँव

शिक्षकों के साथ बच्चे शिक्षा का एक वैश्विक गाँव के निर्माण हेतु बुलाये गये हैं जहाँ मानव संबंधों का नेटवर्क है जो हर प्रकार के भेदभाव, हिंसा एवं धौंसने के खिलाफ अच्छी दवाई है। इस विशाल गाँव में शिक्षा पूरे मानव परिवार में भाईचारा एवं शांति के निर्माता और उनके धर्मों के बीच वार्ता का वाहक बन जाता है।

अभिभावक

संत पापा ने शैक्षणिक परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए अभिभावकों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रकृति संरक्षण में युवा सबसे आगे हैं और वयस्क उनसे सीख ले सकते हैं।  

सिर, हाथ और हृदय को एक साथ लेना

संत पापा ने पर्यावरणीय एवं सामाजिक विकास हेतु बच्चों के भरोसे एवं साहसपूर्ण सहयोग की सराहना की जो मोबाईल फोन को दरकिनार कर समुदाय की सेवा करते एवं अपने मोबाईल फोन का प्रयोग दूसरों की सेवा के लिए करते हैं।

संत पापा ने कहा, "आप, बच्चों ने दिखलाया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता केवल मानव की हर आवश्यकताएं पूर्ण नहीं कर सकतीं।" उन्होंने कहा कि वे एकात्मता, एक साथ कार्य करने एवं चीजों के प्रति जिम्मेदार होना पसंद करते हैं जो उस शैक्षणिक प्रणाली का फल है जो सिर, हाथ और हृदय को एक साथ शामिल करता है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

02 December 2019, 17:42