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दिव्य करुणा की भक्ति के लिए समर्पित फ्रांसीसी तीर्थयात्रियों के साथ संत पापा फ्राँसिस दिव्य करुणा की भक्ति के लिए समर्पित फ्रांसीसी तीर्थयात्रियों के साथ संत पापा फ्राँसिस 

कभी भी अपने भाइयों और बहनों की तरफ नम्रता से देखिए, संत पापा

संत पापा ने दिव्य करुणा की भक्ति के लिए समर्पित फ्रांसीसी तीर्थयात्रियों के समूह का अभिवादन किया और कहा कि कोई भी ऐसी मानवीय गरीबी नहीं है जो ईश्वर की पहुँच से बाहर हो, जिसे वे मदद नहीं करना चाहते हों।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 14 दिसम्बर 2019 (वाटिकन न्यूज) :  संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 13 दिसम्बर को वाटिकन के कार्डिनल मंडल भवन में दिव्य करुणा की भक्ति के लिए समर्पित फ्रांसीसी तीर्थयात्रियों के समूह का अभिवादन किया और दुनिया को दिव्य करुणा के आनंद की गवाही देने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

ईश्वरीय करुणा ईश्वर की असीम दया की भक्ति है जिसे पोलैंड में संत फौस्तिना कोवाल्स्का ने और बाद में संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने विश्वव्यापी कलीसिया को दिया।

वाटिकन आये तीर्थयात्री उन कलीसियाई संगठनों, धर्मसंघों और आंदोलनों से सदस्य हैं जो गरीबों, प्रवासियों, बीमार लोगों, कैदियों, विकलांग लोगों के पास जाते और उनकी हर तरह से सहायता करते हैं।

सुंदर विविधता

संत पापा ने उनकी "सुंदर विविधता" की प्रशंसा करते हुए कहा, “आपकी सुन्दर विविधता इस बात को उजागर करती है कि कोई भी ऐसी मानवीय गरीबी नहीं है जो ईश्वर की पहुँच से बाहर हो, जिसे वे मदद नहीं करना चाहते हों।” संत पापा ने उनके कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि फ्राँस की कई पल्लियों में प्रभु की करुणामय कार्यों के लिए आर्थिक दान द्वारा पल्ली पुरोहित को सहयोग दिया जाता है।

फ्राँस से आये ये तीर्थयात्री रोम में दिव्य करुणा को समर्पित विभिन्न तीर्थस्थलों का दर्शन कर रहे हैं।

संत पापा ने कहा, "दया, वास्तव में, परम और सर्वोच्च कार्य है जिसके द्वारा ईशवर हमसे मिलने आते हैं, हम कितने ही गरीब या पापी क्यों न हो, ईश्वर हमारे दिलों को हमेशा के लिए प्यार करने की उम्मीद से खोलते हैं।”

संत पापा ने कहा कि हमारे लिए ईश्वर का प्रेम एक शब्द मात्र नहीं है, यह येसु मसीह में ठोस रुप से प्रकट हुआ और इसे हम अनुभव कर सकते हैं।

करुणा की जयंती

संत पापा ने कहा कि वर्ष 2015 को उन्होंने करुणा की असाधारण जयंती का वर्ष घोषित किया था। उनकी उम्मीद थी कि नए सुसमाचार प्रचार के परिप्रेक्ष्य में, जिसकी दुनिया को इतनी बुरी तरह से जरूरत है, 'ईश्वरीय करुणा को नए उत्साह और नए सिरे से प्रेरितिक कार्यों के साथ फिर से प्रस्तावित किया जाएगा।

संत पाप ने कहा, “यह कलीसिया के लिए और उसके संदेश की विश्वसनीयता के लिए नितांत आवश्यक है कि वह स्वयं जीवित रहे और करुणा की गवाही दे। उसकी भाषा और उसके हाव-भाव दया को संचारित करते हैं जिससे कि वो सभी लोगों के दिलों को छू सके। आप उन्हें एक बार फिर से पिता की ओर जाने वाले मार्ग की खोज करने हेतु प्रेरित करें।”  

संत पापा ने उन्हें एक साथ मिलकर प्रार्थना करने, अपने अनुभवों, अपनी कठिनाइयों साझा करने हेतु एक-दूसरे से मिलने के तरीकों को खोजने के लिए प्रेरित किया। साथ ही संत पापा ने उन्हें इस दया को बनाए रखने के लिए आमंत्रित किया, जिसका वे अपने जीवन द्वारा साक्ष्य देते हैं।  

संत पापा ने उन्हें याद दिलाया कि कभी भी किसी भाई या बहन का तिरस्कार नहीं करना चाहिए, लेकिन समझ, प्रशंसा, सम्मान और प्यार के साथ उनके साथ पेश आना चाहिए, क्योंकि "केवल वही करुणा का प्रेरित हो सकता है जो अपने अंदर पिता ईश्वर की करुणा को गहराई से अनुभव किया हो।

गौशाले पर मननचिंतन

अंत में, क्रिसमस की तैयारी के इस पुण्य समय में, संत पापा ने गौशाले पर चिंतन करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा, "यह गरीबी को महसूस करने का एक निमंत्रण है, जिस गरीबी को परमेश्वर के पुत्र ने इस धरती पर आने के लिए खुद चुना था।”

निसंदेह यह विनम्रता के मार्ग पर येसु के पीछे चलने की अपील है जो बेथलहम के गौशाले से क्रूस तक जाता है। हमारे सबसे जरूरतमंद भाइयों और बहनों के प्रति करुणा के साथ उनसे मिलने और उनकी सेवा करने की अपील है।

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14 December 2019, 14:42