POPE-ANGELUS/ POPE-ANGELUS/ 

विनम्र और विवेकशील जोसेफ हमें ईश्वर पर भरोसा रखना सिखलाते हैं

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 22 दिसम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।

उषा मनोरम ातिरकी-वाटिकन सिटी

आगमन काल के इस चौथे और अंतिम सप्ताह में सुसमाचार पाठ (मती. 1,18-24) हमें संत जोसेफ के अनुभव के द्वारा ख्रीस्त जयन्ती की ओर ले चलता है जो प्रत्यक्ष रूप से गौण व्यक्ति हैं किन्तु उनका मनोभाव सभी ख्रीस्तीयों की प्रज्ञा के परिवृत्त है।

संत योसेफ, सुसमाचार एवं आशीर्वचन के अनुरूप जीवन

योहन बपतिस्ता एवं मरियम के साथ-साथ वे भी एक छवि हैं जिनको पूजनविधि, आगमन काल में प्रस्तुत करती है और इन तीनों में वे सबसे अधिक सरल व्यक्ति हैं। वे न तो उपदेश देते, न बोलते किन्तु ईश्वर की इच्छा पूरी करते हैं। वे इसे सुसमाचार एवं आशीर्वचन के अनुसार करते हैं। "धन्य हैं वे, जो अपने को दीन-हीन समझते हैं। स्वर्ग राज्य उन्हीं का है।" (मती. 5: 3) जोसेफ गरीब हैं क्योंकि वे जीवन की आवश्यकताओं में, कार्य करते हुए, अपने परिश्रम से जीते हैं। यह गरीबी, एक ऐसी गरीबी है जिसमें वे पूरी तरह ईश्वर पर निर्भर करते और उन्हीं पर भरोसा रखते हैं।

मरियम की प्रतिष्ठा एवं पवित्रता को सम्मान

संत पापा ने कहा, "आज का सुसमाचार पाठ मानवीय रूप से व्याकुल एवं असंगत परिस्थिति को प्रस्तुत करता है। योसेफ और मरियम की मंगनी हो चुकी है, वे एक साथ नहीं रहते, फिर भी ईश्वर की ओर से मरियम गर्भवती है। इस विस्मय के सामने योसेफ निश्चय ही मुसीबत में हैं। पर वह आवेशपूर्ण और दंडात्मक तरीके से प्रतिक्रिया करने के बजाय, रिवाज के अनुसार कानूनी रूप से उसकी रक्षा करता है। वह एक ऐसा समाधान ढूँढ़ता है ताकि अपनी प्यारी मरियम की प्रतिष्ठा एवं पवित्रता को सम्मान दे सके। सुसमाचार बतलाता है, "उसका पति योसेफ चुपके से उसका परित्याग करने की सोच रहा था क्योंकि वह धर्मी था और मरियम को बदनाम करना नहीं चाहता था।    (पद. 19) वास्तव में योसेफ जानता था कि यदि वह अपनी होने वाली पत्नी को त्याग देगा, तो वह उसे अधिक गंभीर संकट में डालेगा, और उसके लिए मौत की स्थिति भी आ सकती है। उसे मरियम पर पूर्ण विश्वास था जिसको उसने अपनी पत्नी के रूप में चुना था। वह कुछ नहीं समझता किन्तु दूसरा हल खोजता है।

विवेशील

अब यह अकथनीय परिस्थिति उसे अपने रिश्ते पर सवाल करने के लिए बाध्य करता है अतः वह बड़े दुःख के साथ, किसी तरह के कलंक की आंच आने दिये बिना, अपने आप को मरियम से अलग कर लेना चाहता है। वह इस पर विचार कर ही रहा था कि प्रभु का दूत स्वप्न में दिखाई पड़ा और बतलाया कि जो समाधान वह चाह रहा है वह ईश्वर की इच्छा के अनुरूप नहीं है। वास्तव में, ईश्वर उनके लिए एक नया रास्ता खोल देंगे, एकता, समझदारी और प्रेम का रास्ता। स्वर्गदूत ने कहा, "योसेफ दाऊद की संतान अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ लाने से न डरें क्योंकि उनके जो गर्भ है वह पवित्र आत्मा से है।"(पद. 20)

स्वर्गदूत के संदेश का पालन

इस विन्दु पर, जोसेफ ईश्वर पर पूर्ण विश्वास करता है, स्वर्गदूत के संदेश का पालन करता और मरियम को अपने पास लाता है। निश्चय ही, यह उनका ईश्वर पर अटूट विश्वास है जिसके कारण वह एक कठिन एवं समझ से बाहर की स्थिति को विनम्रता पूर्वक स्वीकार करता है। जोसेफ विश्वास द्वारा समझता है कि जो शिशु मरियम के गर्भ में पल रहा है वह उसकी अपनी औलाद नहीं बल्कि ईश्वर का बेटा है और जोसेफ उसका पालक पिता बनेगा एवं पूरी तरह से सांसारिक पितृत्व ग्रहण करेगा। इस विनम्र और विवेकशील व्यक्ति का उदाहरण हमसे आग्रह करता है कि हम उनपर नजर डालें एवं आगे बढ़ें। यह ईश्वर के विस्मयकारी तर्क को समझना है जो छोटे-बड़े का हिसाब किये बिना, एक नये क्षितिज, ख्रीस्त और उनके शब्दों के प्रति खुला होना है।  

संत पापा ने कुँवारी मरियम एवं उनके पवित्र पति से प्रार्थना की है कि वे हमें येसु को सुनने में मदद दें जो आ रहे हैं और जो चाहते हैं कि हम उन्हें अपनी योजनाओं एवं चुनावों में उनका स्वागत करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

23 December 2019, 15:07