एक युवा प्रदर्शनकारी को रोकती पुलिस एक युवा प्रदर्शनकारी को रोकती पुलिस  

ईसाईयों ने युवा विरोध प्रदर्शनों की दमन की कड़ी निंदा की है

भारत के करीब 200 से अधिक ख्रीस्तीय नेताओं ने नागरिकता कानून अधिनियम 2019 का विरोध किया है तथा युवाओं एवं समाज के नागरिकों द्वारा कानून के विरोध में प्रदर्शन के "क्रूर दमन" की कड़ी निंदा की है।

उषा मनोरम ातिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, शनिवार, 21 दिसम्बर 2019 (रेई)˸ भारत में येसु समाजियों के प्रमुख फादर जोर्ज पैट्री, ईशशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर टी. के. जॉन, मानव अधिकार कार्यकर्ता जॉन दयाल और भारत में एवंजेलिकल फेलोशिप के महासचिव माननीय विजयेश लाल द्वारा हस्ताक्षरित एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि "हम विद्यार्थियों एवं उन सभी लोगों के प्रति एकात्मता प्रकट करते हैं जो गंभीर रूप से घायल हो गये हैं और उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना करते हैं।"

विज्ञप्ति में सरकार के मई महीने में प्रशासन में आने के बाद से ही संसद में पारित विवादस्पद कानूनों पर गौर किया गया है। कहा गया है कि इन कानूनों द्वारा भारत के लोकतांत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त किया जा रहा है जिनको बड़ी सावधानी एवं परिश्रम के साथ प्रबुद्ध नेताओं ने विगत 7 दशकों तक बनाये रखा।  

कलीसिया के धर्मगुरूओं ने कहा कि नया कानून पूरी तरह विभाजनकारी, भेदभावपूर्ण एवं मानव अधिकारों का अतिक्रमक है।  

इस कानून के द्वारा खासकर, भारत के मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव किया गया है जिनकी संख्या देश की कुल आबादी का 14 प्रतिशत है, अतः एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के लिए यह बिलकुल अस्वीकारीय है।   

विज्ञप्ति में कहा गया है कि "संविधान के अक्षर एवं भाव, उन स्त्रियों एवं पुरूषों द्वारा ढांचा प्रदान किये गये हैं जिन्होंने आजादी के संग्राम में भाग लिया है, उन्हें एक खास विचारधारा की लहर में फेंका नहीं जा सकता। हम उस जल्दबाजी से बहुत दुःखी हैं, जिसमें भारत के राष्ट्रपति ने अपनी सहमति दी थी।"

हम भारत के विभिन्न ख्रीस्तीय समुदाय के नागरिक, प्रबुद्ध युवाओं एवं देश के नागरिकों के प्रति एकात्मता व्यक्त करते हैं जो भारत के संविधान के मूल्यों के समृद्ध धरोहर की रक्षा करने के लिए, हाल में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 के विरूद्ध शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष कर रहे हैं।

उन्होंने कहा है कि हम युवाओं एवं भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन पर, पुलिस और अर्धसैनिक बल के क्रूर दमन की कड़ी निंदा करते हैं, विशेषकर, जामिया मिल्लिया इसलामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में। कई निर्दोष लोगों ने अपनी जान गवाँ दी है एवं कई युवा घायल हुए हैं। हम उन विद्यार्थियों एवं अन्य लोगों के प्रति अपनी एकात्मता व्यक्त करते हैं जो गंभीर रूप से घायल हैं और उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।  

धर्मगुरूओं ने कहा है कि हम भारत के नागरिकों के साथ मिलकर, सीएए 2019, एन आर सी और बंदी बनाये जाने के खिलाफ विरोध करते हैं। हम सभी राजनीतिक नेताओं एवं सांसदों से विनम्र अपील करते हैं कि वे भारत की जनता की आवाज सुनें, जिन्होंने उनको चुना है।

अपील करते हैं कि वे जल्द से जल्द सीएए 2019 को निरस्त करें, एनआरसी को रद्द करें और कैदी शिविरों के निर्माण को रोकें।

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21 December 2019, 16:21