काथलिक-प्रेरित गैर-सरकारी संगठन के चौथे मंच के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस काथलिक-प्रेरित गैर-सरकारी संगठन के चौथे मंच के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

साहस और आशा के साथ आगे बढ़ें, गैर-सरकारी संगठन से संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने काथलिक-प्रेरित गैर-सरकारी संगठन के चौथे मंच के सदस्यों से मुलाकात कर, जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 7 दिसम्बर 2019 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने काथलिक-प्रेरित गैर-सरकारी संगठन के चौथे मंच के सदस्यों से मुलाकात कर, जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

काथलिक-प्रेरित गैर-सरकारी संगठन के सदस्य विश्व के विभिन्न देशों से "समावेश" विषयवस्तु पर अपने अनुभवों को साझा करने एवं उन पर चिंतन करने के लिए रोम में एकत्रित हुए हैं। संत पापा ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, "मैं आपके इस प्रयास के लिए धन्यवाद देता हूँ जिसके द्वारा आप सबसे कमजोर लोगों को मदद करने के ठोस साक्ष्य को प्रस्तुत करना चाहते हैं। इस प्रकार आप हमारे विश्व को एक आमघर बनाना चाहते हैं। आप इन कार्यों को राजनीतिक पृष्टभूमि पर स्थानीय एवं अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तरों में पूरा करते हैं।"

संत पापा ने गौर किया कि संगठन के सदस्य उन स्थानों में जाकर लोगों की मदद करने का प्रयास करते हैं जहाँ मानव अधिकार, लोगों के रहने की स्थिति, निवास, शिक्षा, विकास एवं अन्य सामाजिक समस्याओं पर विवाद होते हैं। संत पापा ने कहा कि इस तरह आप वाटिकन द्वितीय महासभा में उल्लेखित "विश्व में कलीसिया की उपस्थिति और उसका जीवन एवं उसकी गतिविधि" को प्रदर्शित करते हैं। (गौदियुम एत स्पेस, 40)

उन्होंने कहा कि कलीसिया के लिए वे स्थान सीमा हैं जहाँ वह एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्रीस्तीय सहयोग की बात करते हुए महासभा में कहा गया है कि "विभिन्न काथलिक अंतरराष्ट्रीय ईकाई शांति और भाईचारा के रास्ते पर राष्ट्रों के समुदायों की मदद कर सकते हैं। इन ईकाईयों को प्रशिक्षित सदस्यों की संख्या में वृद्धि, आर्थिक मदद एवं आपसी सहयोग द्वारा सुदृढ़ किया जा सकता है।  

संत पापा ने संगठन के सदस्यों को तीन मुख्य बातों की सलाह दी- सदस्यों का प्रशिक्षण, आवश्यक साधन उपलब्ध होना तथा दलीय कार्य द्वारा समन्वय की पहल।

  प्रशिक्षण 

संत पापा ने कहा कि दुनिया की जटिलताओं एवं मानवीय संकटों के बीच जहाँ हम रहते हैं यह हमें जीवन का साक्ष्य देने, संवाद करने एवं मानव प्रतिष्ठा पर सकारात्मक चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है। यह हमें दो चीजों के लिए निमंत्रण देता है ˸ दृढ़ विश्वास एवं साहस, जो यह जानना से आता है कि हम दुनिया में ईश्वर के कार्यों के माध्यम हैं। दूसरी ओर, वैज्ञानिक और मानवीय मामलों में उपयुक्त पेशेवर तैयारी की भी आवश्यकता है ताकि उन्हें ख्रीस्तीय दृष्टिकोण से संबोधित किया जा सके। इसके लिए संत पापा ने कलीसिया की सामाजिक शिक्षा का सहारा लेने की सलाह दी। संत पापा ने उन्हें व्यावसायिकता और अपनी कलीसियाई पहचान में बढ़ने का प्रोत्साहित दिया।

 लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक साधन प्राप्त करना

संत पापा ने येसु द्वारा बतलाये गये अशर्फियों के दृष्टांत का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे लिए भी उन साधनों की आवश्यकता है। हमें निराश नहीं होना चाहिए किन्तु मन में इस बात को रखना चाहिए कि कलीसिया ने हमेशा सीमित साधनों से महान कार्य किया है। उन्होंने कहा कि निश्चय ही उन साधनों का उत्तम उपयोग किया जाना चाहिए किन्तु याद रखना चाहिए कि यह हमारा नहीं है बल्कि सब कुछ ईश्वर की ओर से आता है। " ईश्वर हम लोगों को प्रचुर मात्रा में हर प्रकार का वरदान देने में समर्थ है, जिससे हमें कभी किसी तरह की कोई कमी नहीं हो, बल्कि हर भले काम के लिए चन्दा देने के लिए भी बहुत कुछ बच जाये।" ” (2 कोर. 9:8)

  दल में कार्य करने के द्वारा समन्वय की पहल

विश्वास का अनुभव एवं यह जानना कि हम प्रभु की कृपा के माध्यम हैं, हमें बतलाता है कि दल में समन्वय की पहल संभव है। साझा परियोजनाओं में सहयोग करना हमारे कार्यों के मूल्य को और अधिक स्पष्ट करता है, क्योंकि यह कलीसिया के समान परिणाम लाता है जो "सह-जिम्मेदारी" और सभी के योगदान के माध्यम से, एक ही मिशन में सभी को सहयोग देने हेतु एक साथ यात्रा करती है। संत पापा ने कहा कि आपका संगठन इस संबंध में एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहता है। परिणामतः जिस योजना के लिए आप विभिन्न स्थानों पर अन्य काथलिक संगठनों और पल्ली एवं परमधर्मपीठ के प्रतिनिधियों के साथ कार्य कर रहे हैं, उसमें सुसमाचार प्रचार का प्रभाव एवं आरम्भिक ख्रीस्तियों का प्रकाश एवं शक्ति हो।

संत पापा ने उन्हें स्मरण दिलाया कि आज विश्व उनसे एक नवीन दृढ़ता एवं वार्ता हेतु एक नये रास्ते की खोज करने की मांग कर रही है ताकि मुलाकात की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके जो ईश्वर की रचनात्मक योजना एवं हरेक व्यक्ति की प्रतिष्ठा के अनुकूल हो।

अंत में संत पापा ने संगठन के सदस्यों से कहा कि कलीसिया एवं पोप को अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उनके कार्यों, समर्पण और साक्ष्य की आवश्यकता है। उन्होंने प्रोत्साहन दिया कि वे अपने कार्य में साहस एवं नवीकृत आशा के साथ आगे बढ़ें।

    

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07 December 2019, 16:17