धर्मसमाजियों को सम्बोधित करते संत पापा धर्मसमाजियों को सम्बोधित करते संत पापा 

थाईलैंड के पुरोहितों व धर्मसमाजियों को संत पापा का संदेश

संत पापा फ्राँसिस ने थाईलैंड के साम फ्रान जिला स्थित संत पेत्रुस गिरजाघर में शुक्रवार को, वहाँ के पुरोहितों, धर्मसमाजियों, गुरूकुल छात्रों एवं प्रचारकों से मुलाकात की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

थाईलैंड, शुक्रवार, 22 नवम्बर 2019 (रेई)˸ संत पापा ने उनके साक्ष्यों एवं सेवाओं के लिए धन्यवाद दिया तथा उन्हें सम्बोधित कर कहा, "मैं विश्वास करता हूँ कि हम प्रत्येक की बुलाहट की कहानी उन लोगों के द्वारा प्रभावित है जिन्होंने पवित्र आत्मा की आग को खोजने और परखने में मदद दी। यह उचित और आवश्यक है कि हम उन्हें धन्यवाद दें। कृतज्ञता हमेशा एक शक्तिशाली उपकरण है। यदि हम उन रास्तों पर चिंतन कर पाते तथा ईश्वर के प्रेम, उदारता, एकात्मता, भरोसा, क्षमाशीलता, धैर्य, सहनशीलता और करुणा के लिए सच्चे रूप में कृतज्ञ हो पाते हैं, तब हम आत्मा को ताजगी प्रदान करने देते हैं, जो हमारे जीवन और मिशन को नवीकृत कर देता है।"

येसु और उनके राज्य के लिए समर्पित

संत पापा ने सभी शहीदों एवं समर्पित धर्मसमाजियों के प्रति कृतज्ञ होने के लिए प्रेरित करते हुए कहा, "आइये हम कृतज्ञता के साथ उनकी याद करें तथा उनके कंधों पर खड़े होकर, प्रभु प्रदत्त नये जीवन को लाने वालों की मदद करने हेतु बुलाये गये महसूस करें। जो लोग प्रेरिताई के लिए बुलाये गये हैं वे साहस के साथ संघर्ष करने के लिए भी बुलाये गये हैं जैसा कि प्रभु ने प्रेम किया और अपना जीवन अर्पित किया। आइये हम उसी कृपा की याचना करें जिससे कि हमारा हृदय भी प्रभु की तरह धड़के। मैं आपको येसु और उनके राज्य के लिए उसी प्रेम एवं उत्साह से प्रेरित होने का प्रोत्साहन देता हूँ।"

प्रेरितिक परिपूर्णता की प्राप्ति

संत पापा ने चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, "हम किस तरह प्रेरितिक परिपूर्णता प्राप्त कर सकते हैं?"

संत पापा ने समर्पित लोगों से कहा कि प्रभु हमें इसलिए नहीं बुलाते और भेजते हैं कि हम लोगों पर दबाव डालें अथवा भारी बोझ लाद दें जिनके पास पहले से कई भार हैं, बल्कि उनके बीच आनन्द बांटें, उन्हें एक सुन्दर, नया एवं अनोखा क्षितिज प्रदान करें। कलीसिया धर्मांतरण से नहीं बढ़ती बल्कि आकर्षण से बढ़ती है। ख्रीस्त का प्रचार करने का अर्थ है यह दिखलाना कि उनपर विश्वास करना और उनका अनुसरण करना न केवल सही और उचित है बल्कि सुन्दर भी है, जो जीवन को कठिनाई के समय भी नई ज्योति एवं गहरे आनन्द से भर सकता है। इसका अर्थ है कि हम नये प्रतीकों एवं छवियों को देखने से नहीं डरते, उस खास संगीत से जो थाई लोगों को जागने में मदद करता है और जिसे प्रभु उन्हें देना चाहते हैं। आइये, हम सुसमाचार के संस्कृतिक अनुकूलन से न डरें। हमें ईश वचन का प्रचार करने हेतु नये रास्तों को खोजने की जरूरत है उन रास्तों को जो लोगों में प्रभु को जानने की इच्छा उत्पन्न कर सकें।

क्रूसित येसु का अनुसरण

क्रूसित येसु की ओर इशारा करते हुए संत पापा ने कहा, "वह व्यक्ति कौन है? वे कौन लोग हैं जो एक क्रूसित व्यक्ति का अनुसरण करते हैं?"

संत पापा ने कहा, "कई लोगों के लिए ख्रीस्तीय धर्म एक विदेशी धर्म है जो विदेशी लोगों के लिए है। यह विचार हमें प्रेरित करता है कि हम विश्वास के बारे स्थानीय भाषाओं में बात करें, उस मां की तरह जो अपने बच्चों को लोरी सुनाती है। उसी आत्मीयता के साथ विश्वास को हम थाई चेहरा एवं शरीर प्रदान करें, जो अनुवाद से बढ़कर है। इसके लिए सुसमाचार के विदेशी वस्त्र को उतारना है ताकि स्थानीय संगीत को गा सकें तथा भाई बहनों के दिल को उसकी सुन्दरता की ओर प्रेरित कर सकें जो खुद हमारे हृदय को प्रज्वलित करता है।

संत पापा ने उन्हें माता मरियम से प्रार्थना करने एवं बाल सुलभ भरोसे के साथ प्रार्थना करने का प्रोत्साहन दिया, कि वे "हमारे लिए पुनरुत्थान से उत्पन्न एक नई उत्कंठा प्रदान करें ताकि हम सभी लोगों के लिए सुसमाचार के उस जीवन को ला सकें जिसने मृत्यु पर विजय पायी है। हमें पवित्र साहस प्रदान कर कि हम नये रास्तों की खोज कर सकें जिससे कि कभी न मुरझाने वाली सुन्दरता की कृपा सभी लोगों तक पहुँच सके।"

माता मरियम की नजर

माता मरियम की नजर, हमारी नजर को उस ओर देखने के लिए प्रेरित करती है जिसमें हम देख पाते हैं कि प्रभु हमसे क्या चाहते हैं। (यो. 2:1-12) यह प्रत्येक व्यक्ति में निहित सुन्दरता को देखने और खुश होने के लिए प्रेरित करता है। यही वह नजर है जिसकी शिक्षा सुसमाचार देता है। जिसे अधिकतर लोग केवल एक पापी, ईशनिंदक, चुंगी जमा करनेवाला, बुराई करने वाला अथवा धोखेबाज के रूप में देखते थे येसु उसमें एक प्रेरित को देखते हैं। यही सुन्दरता है जो हमारी नजरों को निमंत्रण देता है, जो बदलाव लाता और दूसरों की सबसे अच्छी चीजों को बाहर निकालता है।

संत पापा ने धर्मसमाजियों और पुरोहितों को उनकी बुलाहट के शुरूआती दिनों की याद दिलाते हुए कहा कि बुलाहट की उत्तेजना ने कई लोगों को उन युवाओं के कार्यक्रमों में शामिल किया जो सुसमाचार को जीना चाहते थे एवं शहरों में जरूरतमंद, तिरस्कृत, वंचित, अनाथ और बुजूर्गों के पास गये। उन्होंने कहा कि वहाँ निश्चय ही प्रभु ने आपसे मुलाकात की और उन्होंने प्रकट किया कि वे आपको सबकुछ छोड़कर अपने पास बुला रहे हैं ताकि आप खुद को पा सकें। मुलाकात के इस रास्ते पर हमने उन्हें भाई बहन के रूप में देखने की सुन्दरता को पाया। अब हम उन्हें एक अनाथ, परित्यक्त, बहिष्कृत या तिरस्कृत रूप में नहीं देखते। अब उनका चेहरा येसु ख्रीस्त में मुक्ति प्राप्त भाई बहनों का चेहरा हो चुका है। यही ख्रीस्तीयता है।

सच्ची पवित्रता प्रत्येक मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा को पहचानने में

क्या पवित्रता को प्रत्येक मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा को पहचानते हुए जीने से अलग समझा जा सकता है?

संत पापा ने उन्हें प्रोत्साहन दिया कि जहाँ लोग केवल तिरस्कार, परित्यक्त एवं शारीरिक सुख की वस्तु के रूप में देखते हैं वे उनकी सुन्दरता को देखें। इस तरह वे इस भूमि में एक अभिषिक्त पवित्र व्यक्ति के रूप में सजीव एवं सक्रिय होकर, प्रभु की करूणा के ठोस चिन्ह बनेंगे।

संत पापा ने कहा कि इसके लिए प्रार्थना की आवश्यकता है। प्रेरितिक परिपूर्णता गहरी प्रार्थना के प्रति विश्वस्त होने के द्वारा पोषित होती है। उन बुजूर्गों की तरह जो रोजरी प्रार्थना में लीन रहते हैं। कितने लोगों ने अपनी दादी से विश्वास ग्रहण किया है जो अपने हाथों में रोजरी ली रहती थी और दिनभर त्याग करती थीं। यही काम और चिंतन है। प्रभु को अपने दिनचर्या की छोटी चीजों का हिस्सा बनाना है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी के द्वारा कलीसिया बिना डर सभी लोगों के बीच और हर जगह सुसमाचार का प्रचार कर सकती है। प्रार्थना के बिना हमारा जीवन और मिशन, अपना अर्थ, शक्ति और उत्साह खो देगा।  

सुसमाचार प्रचार में सबसे बड़ी बाधा

संत पाप पौल छाटवें ने कहा है कि सुसमाचार प्रचार में सबसे बड़ी बाधा है उत्साह की कमी। धर्मसमाजी, पुरोहित और प्रचारकों के लिए यह उत्साह प्रभु से मुलाकात एवं भाई बहनों से मुलाकात द्वारा मिलती है। हमें भी स्रोत के पास वापस लौटना और जीवन स्रोत में से पीने की आवश्यकता है। अतः असंख्य जिम्मेदारियों के बीच भी हमेशा एकान्त स्थान की खोज करें जहाँ याद कर सकें, प्रार्थना कर सकें, कि प्रभु ने दुनिया को बचा लिया है और हम उनके साथ एक होने के लिए बुलाये गये हैं ताकि हम सभी लोगों को उस मुक्ति का एहसास करा सकें।  

संत पापा ने अपने संदेश के अंत में पुनः सभी पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं प्रचारकों को उनके जीवन, साक्ष्य और उदार समर्पण के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने उन्हें याद दिलाया कि वे कम संख्या में होने की सोच न रखें, बल्कि अपने आपको प्रभु के हाथों छोटे औजार के रूप में रखें जिनके जीवन से प्रभु इस भूमि पर मुक्ति इतिहास के सबसे सुन्दर पृष्ठ को लिख सकेंगे।

थाईलैंड के पुरोहितों, धर्मसमाजियों, गुरूकुल छात्रों एवं प्रचारकों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस।

 

              

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

22 November 2019, 14:49