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लुमसा कॉलेज के विद्यार्थियों से मुलाकात करते संत पापा लुमसा कॉलेज के विद्यार्थियों से मुलाकात करते संत पापा 

काथलिक विश्वविद्यालय लुमसा को संत पापा का संदेश

संत पापा फ्राँसिस ने 14 नवम्बर को रोम के काथलिक विश्वविद्यालय लुमसा की स्थापना की 80वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों से मुलाकात की। उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे विरोधाभास भरे एक खंडित विश्व में समग्र शिक्षा के लिए प्रयास करें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 14 नवम्बर 2019 (रेई)˸ रोम के दूसरे सबसे पुराने कॉलेज लुमसा (संत मरियम के स्वर्गोदग्रहण के आजाद कॉलेज) की स्थापना माननीय जुईजा तिंकानी ने की थी जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन संत पापा पियुस 12वें की सहायता से, शिक्षा एवं अपोस्तोलिक स्कूलों के लिए समर्पित किया। कॉलेज की स्थापना सन् 1939 में शिक्षकों के प्रशिक्षण की अवश्यकता की पूर्ति के लिए की गयी थी। 

लुमसा कॉलेज के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने कहा कि "यूनिवर्सिटी" का अर्थ है समुदाय, जिसका अर्थ ज्ञान को एक साथ करना भी है ताकि दुनिया के सभी लोगों के बीच वार्ता में सच्चाई और मूल्य प्रदान किया जा सके।   

मुलाकात एवं एकात्मता की संस्कृति को पोषित करना

संत पापा ने कहा कि सचेत और सक्षम बनना बड़ा काम है, और उन्होंने उपस्थित लोगों को निमंत्रण दिया कि वे बांटने एवं सेवा करने में अपने आपको समर्पित करें, जिससे रोम शहर एक आमघर बनने की भावना में बढ़ सके।

उन्होंने उन्हें निम्न लोगों के साथ भी कार्य करने का प्रोत्साहन दिया जो मुलाकात और एकात्मता हेतु बढ़ावा देते हैं ताकि एक साथ विश्वास की भावना को पुनः प्राप्त किया जा सके।

संत पापा ने गौर किया कि यूनिवर्सिटी प्रशिक्षण प्रदान करता है जो व्यक्ति से शुरू होता और व्यक्ति तक पहुँचता है। काथलिक यूनिवर्सिटी जहाँ काथलिक शब्द से अलग नहीं होता वहीं अपनी अनुकरणीयता के कारण विशिष्ठ होता है।  

चार बिन्दुएँ

संत पापा ने अपने संदेश में चार बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हुए काथलिक संस्थाओं की जिम्मेदारियों और लक्ष्यों को प्रस्तुत किया।

पहला, उन्होंने समुदाय की आवश्यकता पर जोर दिया। कॉलेज समुदाय हमेशा भविष्य के लिए कार्य करता है जिसको वह अपने मूल के प्रति गहरी चेतना एवं वर्तमान की वास्तविकताओं को देखते हुए करता है।

दूसरा, संत पापा ने कहा कि दुनिया के सामने संस्था की मिशनरी जिम्मेदारी है कि जो प्रशिक्षण वह प्रदान करता है उसमें पाठ्य ज्ञान हो तथा व्यक्ति के समग्र विकास के लिए भी जगह हो।

तीसरा, संत पापा ने तीसरी बिन्दु पर सामाजिक जिम्मेदारी पर बल देते हुए कहा कि कॉलेज, समाज के सकारात्मक ऊर्जा के साथ अभिन्न विकास के नेक परिधि के निर्माण के लिए बुलाया जाता है।

चौथी बिन्दु पर संत पापा ने कहा कि एक अंतर-कॉलेज जिम्मेदारी है और इस बात की ओर ध्यान आकृष्ट किया कि यूरोप जो विश्वविद्यालयों का गढ़ है वह हर स्तर पर विश्वविद्यालयों पर कार्य करते हुए इसके अर्थ को पुनः प्राप्त करे, विशेषकर, काथलिक विश्वविद्यालयों में जहाँ सहयोग, आपसी आदान-प्रदान और मदद की भावना बढ़ सके।   

संत पापा ने अपने संदेश के अंत में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को प्रोत्साहन दिया कि वे अपने हृदय एवं मन को खोलें तथा प्रधानता वाली सोच से संतुष्ट न हों क्योंकि इसके कारण आपस में संघर्ष उत्पन्न होता है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों का आदर्शवाक्य है, "विश्वास और मानवता"। उन्होंने कहा कि एक वैश्विक और खंडित दुनिया जो विरोधाभासों से पूर्ण है समग्र शिक्षा के लिए एक साथ कार्य करने की मांग करती है।

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14 November 2019, 17:12