उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 19 नवम्बर 2019 (रेई)˸ संत पापा ने लिखा, "यदि हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना चाहते हैं जिसमें कोई पीछे न रहे, तब हमें ऐसे वर्तमान का निर्माण करना होगा जो भोजन की बर्बादी को रोके।" समय नष्ट किये बिना विचारों एवं संसाधनों को एक साथ रखकर, हम एक ऐसी जीवनशैली का प्रस्ताव रखें जो खाद्य पदार्थों को उचित महत्व दे।"
संत पापा फ्राँसिस ने यह संदेश विश्व खाद्य कार्यक्रम के दूसरे नियमित सत्र के उद्घाटन के अवसर पर दिया। सत्र में विश्व में भूख के खिलाफ लड़ाई को और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से व्यावहारिक पहल करने की मांग की जा रही है। संत पापा ने कहा, "आपकी कई योजनाएँ जिनमें खाद्य पदार्थों को नष्ट करना जो हमारे अंतःकरण को भारी बनाता है, उसके निराकरण के लिए निर्णायक उपाय अपनाना भी शामिल है।"
संयुक्त राष्ट्र की रोम शाखा विश्व की सबसे बड़ी मानवीय संस्था है जो भूख का सामना करती एवं विश्व में भोजन संरक्षण को बढ़ावा देती है। यह 83 देशों में करीब 86.7 मिलियन लोगों को हर साल सहायता प्रदान करती है।
बहुतायत का विरोधाभास
विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार विश्व के अनेक स्त्री और पुरूष अपने बच्चों को पौष्टिक भोजन खिलाने के लिए संघर्ष करते हैं। विश्व जो सभी लोगों को भोजन प्रदान करने के लिए पर्याप्त खाद्य पदार्थों का उत्पादन करता है, करीब 821 मिलियन लोग या हर नौ में से एक रात में खाली पेट सोने जाता है। उससे भी बदतर स्थिति यह है कि हर तीन में से एक व्यक्ति को कुपोषण का शिकार होना पड़ता है।
संत पापा ने गौर किया किया कई स्थानों में हमारे भाई-बहनों को पर्याप्त एवं पौष्टिक आहार प्राप्त नहीं होते हैं जबकि दूसरी ओर खाद्य पदार्थों को फेंका और नष्ट किया जाता है। संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने इसे बहुतायत का विरोधाभास कहा था जो भूखों को खिलाने की समस्या के समाधान में बाधक है।
सभी जिम्मेदार
संत पापा ने कहा कि इस विरोधाभास में सतहीपन, लापरवाही और स्वार्थ के तंत्र शामिल हैं, जो नष्ट करने की संस्कृति को दिखलाती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक हम खाद्य पदार्थों को नष्ट करने पर नियंत्रण नहीं करेंगे तब तक जलवायु परिवर्तन के लिए पेरिस समझौते के प्रति प्रतिबद्धता को सम्मान देना और संयुक्त राष्ट्र 2030 के सतत् विकास लक्ष्य को साकार करना सम्भव नहीं है।
यह उद्देश्य न केवल अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सरकारों की जिम्मेदारी है बल्कि हरेक की जिम्मेदारी है। इसके लिए शिक्षित करने एवं जागरूकता लाने हेतु परिवारों, स्कूलों और संचार माध्यमों की एक विशेष भूमिका है। कोई भी उस संस्कृति से संघर्ष करने से अपने आपको दूर नहीं कर सकता जो लोगों की उपेक्षा करता है, खासकर, समाज के गरीबों एवं कमजोर लोगों की।
"नष्ट करना बंद करें" अभियान
लोगों के खाने के लिए तैयार भोजन का एक तिहाई हिस्सा नष्ट किया जाता है जबकि मिलियन लोग भूखे रह जाते हैं। अतः विश्व खाद्य कार्यक्रम ने अक्टूबर माह में एक वैश्विक जागरूकता अभियान जारी किया है जिसका नाम है "नष्ट करना बंद करें।"
संत पापा फ्राँसिस ने खाद्य पदार्थों को नष्ट होने से बचाने के लिए इस अभियान का समर्थन करने का आह्वान किया है क्योंकि इसके द्वारा कई लोगों का विकास रूक जाता है। "यदि हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ कोई पीछे न रहे तब हमें एक ऐसे वर्तमान का निर्माण करना होगा जो मूल रूप से भोजन के अपव्यय को अस्वीकार करता है। एक नयी जीवनशैली जो भोजन को उचित महत्व देती, धरती माता के दिये दान को सही मूल्य देती तथा समस्त मानवता पर प्रभाव डालती है, उसे अपनाना होगा।
मानव व्यक्ति की निश्चितता
इस संबंध में संत पापा फ्राँसिस ने काथलिक कलीसिया की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया कि विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा वह लोगों के प्रति एकात्मता एवं सहयोग को बढ़ावा देगी। इस बात पर जोर देगी कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ और पर्याप्त आहार का अधिकार प्राप्त हो, जिसमें व्यक्ति को राजनीति एवं आर्थिक निर्णय के केंद्र में रखा जाए। राष्ट्रों के बीच शांति एवं स्थायित्व स्थापित हो एवं सभी ओर आपसी समझदारी एवं सच्चा मानवीय विकास को बढ़ावा मिले।
अंत में, संत पापा ने शुभकामनाएँ अर्पित की कि विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रति प्रतिबद्धता द्वारा सभी लोगों में न्याय, शांति और भाईचारा के बैनर तले, एक नये और बेहतर विश्व के निर्माण की इच्छा जागृत हो।