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जेस्विट सामाजिक न्याय और पारिस्थितिकी सचिवालय की सभा के प्रतिभागियों से मुलाकात करते संत पापा जेस्विट सामाजिक न्याय और पारिस्थितिकी सचिवालय की सभा के प्रतिभागियों से मुलाकात करते संत पापा 

जेस्विट सामाजिक न्याय और पारिस्थितिकी सम्मेलन

संत पापा फ्राँसिस ने रोम में जेस्विट सामाजिक न्याय और पारिस्थितिकी सचिवालय की सभा के प्रतिभागियों से मुलाकात की और 50वीं वर्षगाँठ पर उन्हें अपना संदेश दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 7 नवम्बर 2019 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने रोम में जेस्विट सामाजिक न्याय और पारिस्थितिकी सचिवालय की सभा के प्रतिभागियों से मुलाकात की तथा उन्हें संदेश दिया जो अपनी 50वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं।

जेस्विट धर्मसमाज के पूर्व परमाधिकारी फादर पेद्रो अरूपे ने इसकी स्थापना सन् 1969 ई. में सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए जेसुइट सचिवालय के रूप में की थी। अब इसे जेस्विट सामाजिक न्याय और पारिस्थितिकी सचिवालय के रूप में जाना जाता है।

बृहस्पतिवार को सदस्यों को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने कहा, "फादर पेद्रो हमेशा मानते थे कि विश्वास की सेवा और न्याय को प्रोत्साहन दिये जाने को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता क्योंकि वे मूल रूप से संयुक्त हैं।"  

गरीबों की सेवा

संत पापा ने कहा, "संत इग्नासियुस के समय से ही येसु समाज गरीबों की सेवा के लिए बुलाया गया है। गरीबों में हम ख्रीस्त से मुलाकात करने के विशेष स्थान को पाते हैं। गरीबों एवं पीड़ितों में उनसे मुलाकात करना एक मूल्यवान उपहार है।"  

जेस्विट सामाजिक न्याय और पारिस्थितिकी सचिवालय के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने आग्रह किया कि वे हमेशा कमजोर लोगों के करीब रहें। "हमारे टूटे और विभाजित विश्व में सेतु का निर्माण करने की जरूरत है। मानव मुलाकातें हमें यह खोजने में मदद देंगी कि गरीब लोग ही भाई और बहनों के सुन्दर चेहरे हैं जिनमें हम अपनी पहचान पाते हैं।"

येसु का अनुसरण

आज ख्रीस्त का अनुसरण करने का अर्थ है हमारे समय में क्रूसित येसु की सेवा करना। संत पापा ने मानव तस्करी, ज़ेनोफोबिया, असमानताओं और "राष्ट्रीय हितों के स्वार्थ की खोज" में दुनिया भर में लड़े जा रहे युद्धों का उदाहरण दिया।

उन्होंने कहा कि हमारे आमघर को पहले कभी इतना दुःख और चोट नहीं दिया गया था जितना हमने सौ सालों में दिया है। निःसंदेह पर्यावरण और समाज का बिगड़ना सबसे अधिक ग्रह के कमजोर लोगों को प्रभावित करता है।

इन परिस्थितियों में येसु का अनुसरण पीड़ितों का साथ देकर और उनके मानवीय आवश्यकताओं पर ध्यान देकर किया जा सकता है। दुनिया की सच्चाई पर चिंतन करते हुए, इसकी बुराई को प्रकट करते हुए और सबसे प्रभावशाली एवं रचनात्मक जवाब खोजने के द्वारा किया जा सकता है। 

सांस्कृतिक क्रांति

संत पापा ने इस बात पर जोर देते हुए कि हम आगे जाएँ, उन्होंने कहा, "हमें सच्ची सांस्कृतिक क्रांति की आवश्यकता है, हमारी सामूहिक नजर में, मनोभाव में और अपने आप को देखने के तरीके में परिवर्तन लाना है। हमें लोगों के साथ बातचीत में भाग लेकर, संरचना को बदलने की धीमी गति के कार्य को, जहाँ निर्णय लिये जाते हैं और जो सबसे कमजोर लोगों के जीवन पर प्रभाव डालता है, जिम्मेदारी लेने की जरूरत है।   

संत पापा ने आग्रह किया कि वे गरीबों और शरणार्थियों की सेवा करने, मानव अधिकार की रक्षा करने और कई क्षेत्रों में सामाजिक सेवा प्रदान करने की अपनी रचनात्मक प्रतिबद्धता को जारी रखें। उन्होंने उन्हें प्रोत्साहन दिया कि वे आपस में सम्पर्क बनाये रखें और दूसरी कलीसियाओं एवं नागरिक संगठनों के साथ भी मिलकर रहें ताकि तेजी से बढ़ रहे वैश्वीकृत दुनिया में सबसे वंचित लोगों की सेवा कर सकें।

आशा के रास्ते

जेसुइट सामाजिक न्याय और पारिस्थितिकी सचिवालय के सदस्यों से संत पापा ने आशा बनाये रखने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा, "यदि हम केवल मानवीय तर्क पर ध्यान देते हैं तो हम निराश होने के खतरे में पड़ जायेंगे जबकि हम सभी इस बात के साक्षी हैं कि सबसे कमजोर, शोषित, गरीब और बहिष्कृत लोग भी बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं।"

संत पापा ने यह भी याद दिलाया कि सामाजिक प्रेरिताई समस्याओं का हल करना नहीं है बल्कि प्रक्रिया को बढ़ावा एवं आशा के लिए प्रोत्साहन देना है। इस प्रक्रिया द्वारा लोगों एवं समुदायों को बढ़ने, अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने, अपनी क्षमताओं का प्रयोग करने और अपने भविष्य का निर्माण करने में मदद मिलनी चाहिए।

चुनौतियाँ

अपने संदेश के अंत में संत पापा ने सदस्यों को चुनौती दी कि वे जहाँ कहीं भी हैं अपनी आशा को बांटें, प्रोत्साहित करें, सांत्वना दें और उन्हें सुदृढ़ करें। भविष्य को खोलें, संभवनाओं को उठायें, विकल्प उत्पन्न करें, सोचने में मदद दें और अलग तरह से कार्य करें।

संत पापा ने कहा, "गाते हुए आगे बढ़ें, ताकि जीवन के संघर्ष और परेशानियाँ...खुशी न छीन ले जिसे आशा हमारे लिए लेकर आती है।"

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07 November 2019, 17:43