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बौद्ध मंदिर में बौद्ध सर्वोच्च धर्मगुरू से मुलाकात करते संत पापा बौद्ध मंदिर में बौद्ध सर्वोच्च धर्मगुरू से मुलाकात करते संत पापा 

थाईलैंड के काथलिक एवं बौद्ध एक अच्छे पड़ोसी

थाईलैंड में अपनी प्रेरितिक यात्रा के पहले दिन संत पापा फ्राँसिस ने बौद्ध सर्वोच्च धर्मगुरू से मुलाकात की तथा शांति की सेवा में खुली और सम्मानपूर्ण वार्ता के प्रति कलीसिया के समर्पण को सुदृढ़ किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

बैंकॉक, बृहस्पतिवार, 21 नवम्बर 19 (रेई)˸ मुलाकात बृहस्पतिवार को बैंकॉक के बौद्ध मंदिर में सम्पन्न हुई। बौद्ध सर्वोच्च धर्मगुरू को सम्बोधित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने इस बात की पुष्टि की कि उनकी मुलाकात एक सम्मानपूर्ण यात्रा एवं आपसी पहचान का हिस्सा है जिसकी शुरूआत उनके उत्तराधिकारी ने की थी। संत पापा ने बौद्ध सातवें सर्वोच्च धर्मगुरू के साथ संत पापा पौल षष्ठम की मुलाकात की याद की। यह मुलाकात 50 वर्षों पहले वाटिकन में सम्पन्न हुई थी। संत पापा ने कहा कि वे उनके पद चिन्हों पर चलना चाहते हैं ताकि समुदायों के बीच सम्मान एवं मित्रता की भावना में वृद्धि हो।

मुलाकात की संस्कृति

संत पापा ने कहा कि ये पहल इस बात को साबित करने में मदद देता है कि मुलाकात की संस्कृति संभव है न केवल अपने समुदाय में बल्कि हमारी दुनिया में जो संघर्ष और बहिष्कार उत्पन्न करने एवं फैलाने के लिए प्रवृत्त है। इस तरह के अवसर हमें स्मरण दिलाते हैं कि धर्मों के लिए कितना आवश्यक है कि वे अधिक से अधिक आशा के स्तम्भ बनें तथा भाईचारा को बढ़ावा एवं गारांटी प्रदान करें।

थाईलैंड के काथलिक

संत पापा फ्राँसिस ने कृतज्ञता व्यक्त की कि थाईलैंड में 350 वर्षों पहले ईसाई धर्म के आगमन के समय से ही काथलिकों ने अल्पसंख्यक होने के बावजूद धर्म मानने की स्वतंत्रता का आनन्द लिया है तथा कई सालों से बौद्ध भाई बहनों के साथ सौहार्द का जीवन व्यतीत किया है।  

अच्छे पड़ोसी

संत पापा ने थाईलैंड के लोगों के बीच शांति एवं कल्याण की सेवा में खुले और सम्मानपूर्ण वार्ता के प्रति अपनी एवं पूरी कलीसिया की प्रतिबद्धता दुहराई। उन्होंने कहा कि बुद्धिमतापूर्ण वार्ता जो आपसी समझदारी को बढ़ावा देता है और साथ ही साथ, ध्यान साधना, करुणा और आत्मपरख के द्वारा हम एक-दूसरे के साथ अच्छे पड़ोसी के रूप में जी सकते हैं।

एक साथ काम करना

संत पापा ने दोनों धर्मों के सदस्यों द्वारा नये परोपकारी योजनाओं के विकास को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने कहा कि ये योजनाएँ भाईचारा के रास्ते पर व्यावहारिक पहलों को उत्पन्न करें और आगे बढ़ाएँ, विशेषकर, गरीबों एवं हमारे शोषित आमघर के लिए। इस तरह हम दया, बंधुत्व और मुलाकात की संस्कृति को सहयोग दे पायेंगे और हमारी यात्रा अधिक फल उत्पन्न करती रहेगी।

 

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21 November 2019, 14:25