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सन्त पापा फ्राँसिस का थायलैण्ड में स्वागत सन्त पापा फ्राँसिस का थायलैण्ड में स्वागत 

थायलैण्ड, जापान में सन्त पापा की प्रेरितिक यात्रा की पृष्ठभूमि

सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु, सन्त पापा फ्राँसिस, 19 नवम्बर से 26 नवम्बर तक, थायलैण्ड एवं जापान की प्रेरितिक यात्रा कर रहे हैं। अपनी इस सात दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के लिये वे मंगलवार सन्ध्या रोम से रवाना हुए थे।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 20 नवम्बर 2019 (विविध, वाटिकन रेडियो): सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु, सन्त पापा फ्राँसिस, 19 नवम्बर से 26 नवम्बर तक, थायलैण्ड एवं जापान की प्रेरितिक यात्रा कर रहे हैं। अपनी इस सात दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के लिये वे मंगलवार सन्ध्या रोम से रवाना हुए थे। इटली से क्रोएशिया, बोज़निया हेर्ज़ेगोविना, सेर्बिया, मोन्तेनेग्रो, बुल्गारिया, तुर्की, ईरान, अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान, भारत तथा म्यानमार के आकाशों से होते हुए उनका विमान बुधवार को थायलैण्ड के बैंककॉक पहुँचा। इन सभी राष्ट्रों के प्रति मंगलकामनाएँ अर्पित कर सन्त पापा ने इनके राष्ट्राध्यक्षों के नाम तार सन्देश प्रेषित कर इन देशों में सुख, समृद्धि और खुशहाली की प्रभु ईश्वर से याचना की।

पत्रकारों से

विमान यात्रा के दौरान सन्त पापा ने वहाँ उपस्थित पत्रकारों का अभिवादन किया तथा उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा..., "इस यात्रा में मेरा साथ देने के लिये मैं आप सबका आभारी हूँ, आपकी अनुपम सेवा के लिये मैं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ जो लोगों को सूचना प्रदान कर उनकी भलाई करती, और साथ ही उन्हें पश्चिम जगत से दूर विद्यमान संस्कृतियों का ज्ञान कराती है।"

यात्रा के प्रकाशस्तम्भ

बैंककॉक का परिवार सम्मेलन तथा जापान से सम्पूर्ण विश्व के लिये परमाणु विरोधी एवं निरस्त्रीकरण का सन्देश पहुँचाना एशियाई देशों की इस सात दिवसीय यात्रा के प्रकाशस्तम्भ हैं। वाटिकन से अपनी यात्रा आरम्भ करने से पूर्व सन्त पापा फ्रांसिस ने एक ट्वीट सन्देश प्रकाशित कर कहा था, "थायलैंड और जापान के प्रिय मित्रो, मुलाकात से पूर्व, हम सब मिलकर प्रार्थना करें कि हमारे ये दिन अनुग्रह और आनंद से भरपूर रहें।"

थायलैण्ड का पूर्व नाम सियाम हुआ करता था और सियाम में प्रथम परमधर्मपीठीय मिशन की स्थापना की 350 वीं वर्षगाँठ के स्मरणार्थ यह यात्रा आयोजित की गई है। बौद्ध बहुल राष्ट्र थायलैण्ड में काथलिक धर्मानुयायी कुल आबादी का केवल एक प्रतिशत हैं। शनिवार को जापान के लिये रवाना होने से पूर्व सन्त पापा फ्राँसिस थायलैण्ड के सम्राट महाराजाधिराज वजीरालॉंन्गकॉर्न, बौद्ध धर्मानुयायियों के प्रधान गुरु सोमदेत मुनेवॉन्ग आर्यवॉन्गसागातयाना, काथलिक धर्माध्यक्षों तथा देश के युवाओं से मुलाकातें करेंगे। बैंककॉक में विगत पचास वर्षों से सेवारत 77 वर्षीय आर्जेन्टीना की सि. आना रोज़ा सिवोरी सन्त पापा के साथ शहर का दौरा करेंगी तथा उनकी आधिकारिक अनुवादक भी होंगी। सि. आना रोज़ा सन्त पापा की बचपन की दोस्त होने के साथ-साथ उनकी चचेरी बहन भी हैं। वे विगत पचास वर्षों से थाय सूकलों में अपनी सेवा अर्पित करती रहीं हैं।

सन् 1984 में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा सम्पन्न थायलैण्ड की यात्रा के उपरान्त कलीसिया के परमाध्यक्ष की इस देश में यह पहली यात्रा है, जिसके दौरान सन्त पापा फ्राँसिस, निःसन्देह, कुछ अहं सामाजिक मुद्दों को उठायेंगे। दूसरी ओर, उनकी थायलैण्ड यात्रा अवश्य ही यहाँ लघु काथलिक समुदाय के मनोबल को मज़बूत करेगी। अपनी यात्रा से पूर्व थाय काथलिकों को प्रेषित विडियो सन्देश में सन्त पापा ने कहा था कि उनकी यात्रा, "थायलैण्ड के काथलिकों को उनके विश्वास में सुदृढ़ करेगी ताकि वे सम्पूर्ण थाय समाज तथा अपनी मातृभूमि की भलाई के लिये काम करने हेतु प्रोत्साहन प्राप्त करें।" उन्होंने यह भी कहा था कि वे इस यात्रा के द्वारा, विशेष रूप से, शांति स्थापना एवं निर्धनों की सेवा में, अन्तरधार्मिक संवाद और सहयोग के महत्व को प्रकाशित करना चाहते थे।

थायलैण्ड में स्वागत

बुधवार, 20 नवम्बर को, लगभग साढ़े ग्यारह घण्टों की उड़ान पूरी कर, सन्त पापा का विमान मध्यान्ह साढ़े बारह बजे बैंककॉक अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुँचा। स्मरण रहे कि बैंककॉक रोम से छः घण्टे आगे हैं। हवाई अड्डे पर थायलैण्ड के सम्राट की ओर से एक उच्चाधिकारी ने सन्त पापा फ्राँसिस को पुष्पमाला अर्पित की, उनके संग थायलैण्ड के छः उच्चाधिकारियों, थाय पपारम्परिक वस्त्र धारण किये 11 बच्चों तथा काथलिक कलीसियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रतिनिधियों ने सैन्य सलामी सहित राष्ट्र में पधारे खास मेहमान का भावपूर्ण स्वागत किया। सन्त पापा की एक झलक पाने के लिये सैकड़ों उत्साही काथलिक बैंककॉक स्थित परमधर्मपीठीय राजदूतावास तथा सेन्ट लूईस अस्पताल के इर्द-गिर्द अपने सेल्फी लिये पहुँच गये थे। 60 वर्षीय ओरावन थोंगजामरून ने कहा, "जीवन में एक बार, मैं उन्हें देखना चाहता हूँ और उनकी आशीष लेना चाहता हूँ।"

भौगोलिक पृष्ठभूमि   

अतीत में सियाम के नाम से विख्यात, थायलैंड का आधिकारिक नाम है, "किंगडम ऑफ थायलैण्ड"।  दक्षिण पूर्व एशियाई इंडोचाइनीस प्रायद्वीप के केंद्र में बसा थायलैण्ड 76 प्रांतों से बना राष्ट्र है।  लगभग छः करोड़ आठ लाख की कुल आबादी में 95 प्रतिशत लोग बौद्ध, चार प्रतिशत इस्लाम तथा एक प्रतिशत लोग ख्रीस्तीय धर्म को मानने वाले हैं। थायलैण्ड की राजधानी बैंककॉक है जो देश का सर्वाधिक विशाल शहर भी है। राष्ट्र के उत्तर में म्यानमार, पूर्व में लाओस और कंबोडिया, दक्षिण में मलेशिया की खाड़ी और पश्चिम में अंडमान सागर से जुड़ा भारत और इन्डोनेशिया इसके सीमावर्ती देश हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

थायलैण्ड में काथलिक धर्म के इतिहास पर यदि एक दृष्टि डालें तो सर्वप्रथम 1567 ई. में यहाँ पुर्तगाल के दोमिनिकन धर्मसमाजी मिशनरियों का आगमन हुआ था। तदोपरान्त, सन् 1669 ई. में फ्राँस के काथलिक मिशनरियों ने थायलैण्ड में सुसमाचार का प्रचार किया तथा सदियों तक दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में काथलिक धर्म की उपस्थिति को बरकरार रखा। हालांकि, थायलैण्ड में व्याप्त आन्तरिक संघर्षों एवं उपनिवेशवाद के चलते, विशेष रूप से, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब एक राष्ट्रवादी सरकार ने सभी थाय नागरिकों का धर्मान्तरण बौद्ध धर्म में करने की कोशिश की थी तब काथलिक धर्म के अस्तित्व को गहरी चोट पहुँची थी।

सन्त पापा फ्राँसिस 20 से 23 नवम्बर तक थायलैण्ड में रहेंगे जहाँ वे दो अवसरों पर सार्वजनिक रूप से ख्रीस्तयाग समारोहों का नेतृत्व करेंगे। इन अवसरों पर 50,000 श्रद्धालुओं के एकत्र होने का अनुमान लगाया गया है। एशिया न्यूज़ के सम्पादक फादर बेर्नारदो चेरवेलेर्रा के अनुसार सन्त पापा फ्राँसिस अपनी थाय यात्रा के विभिन्न समारोहों के दौरान मानव तस्करी, महिलाओं एवं बच्चों के शोषण, शरणार्थी समस्या तथा भौतिकतावाद से जुड़े गम्भीर मुद्दों पर अवश्य ही लोगों में चेतना जागरण का प्रयास करेंगे।   

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20 November 2019, 11:55