प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस 

ख्रीस्तियों का स्थान प्रभु के जख्मी हाथों में है, संत पापा

सभी मृतकों के दिन 2 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने रोम के प्रिसिला के काटाकोम्ब (कब्रों का तहखाना) में पवित्र युखरिस्तीय बलिदान का अनुष्ठान किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

रोम, सोमवार 4 नवम्बर, 2019 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को पहली बार काटाकोम्ब का दर्शन किया और वहाँ सभी मृत विश्वासियों की आत्माओं की अनंत शांति के लिए पवित्र मिस्सा बलिदान चढ़ाया।

संत पापा ने कहा, "एक काटाकोम्ब में सभी मृतकों की याद में मिस्सा समारोह, हमें कई बातें बतलाती हैं"। विशेष रूप से, यह हमें उन लोगों की याद दिलाती हैं जो विश्वास के लिए सताए जाते हैं - न केवल प्राचीन ख्रीस्तीय, बल्कि आज भी कुछ देशों में ख्रीस्तियों को पवित्र मिस्सा में भाग लेने के लिए कोई जन्म दिन की पार्टी या कोई समारोह करने का दिखावा करना पड़ता है। संत पापा ने एक बार फिर याद किया कि कई जगह ख्रीस्तीय पहले की तुलना में आज भी अधिक उत्पीड़ित हैं।

संत पापा फ्राँसिस ने अपने प्रवचन में तीन शब्दों पर केंद्रित किया : पहचान, स्थान और आशा।

आशीर्वचन: ख्रीस्तीय की पहचान

उन्होंने कहा, एक ख्रीस्तीय की पहचान, अब भी वही है जो अतीत में था। "ख्रीस्तीय की पहचान है : आशीर्वचन और इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए, उन्होंने संत मत्ती के सुसमाचार के पच्चीसवें अध्याय में एक अंश की ओर इशारा किया, जहाँ येसु कहते हैं कि हम अपने सबसे कमजोर और निसहाय भाइयों के साथ किस तरह का व्यवहार करते हैं उसी के आधार पर हमें आंका जाएगा। आशीर्वचन और न्याय के दिन (मत्ती 25)  "इन दो अनुखंडों को अपने जीवन में जीते हैं तो हम ख्रीस्तीय के रुप में अपनी पहचान को दिखाते हैं।

ईश्वर के हाथ में

काटाकोम्ब का यह परिवेश दूसरे शब्द "स्थान" की ओर हमारा ध्यान खींचती है। संत पापा ने पूछा, ख्रीस्तियो का "स्थान" क्या है?  प्रज्ञा ग्रंथ 3:1 का हवाला देते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कहा "ख्रीस्तीय का स्थान ईश्वर के हाथों में है, जहां ईश्वर उन्हें चाहते हैं"। उन्होंने कहा कि ईश्वर के हाथ, येसु के "जख्मी" हाथ हैं, वे पिता के एकमात्र पुत्र हैं, वे अपने साथ हमारे घावों को लेना चाहते थे ताकि पिता उन्हें देखें और येसु हमारे लिए मध्यस्त बन सकें।"

हमारी आशा स्वर्ग में है

संत पापा ने कहा, ख्रीस्तीय, अपने पहचान पत्र के साथ, ईश्वर के हाथों में सुरक्षित, "आशा के पुरुष और महिलाएं हैं", यह तीसरा शब्द आज के पाठ में पाया जा सकता है, जो "अंतिम न्याय जहां सब कुछ साझा किया जाता है और फिर से सब कुछ नया बनाया जाता है। वह मातृभूमि जहां हम सभी जाएंगे।” एक लंगर की उपमा का उपयोग करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कहा "हमारी आशा स्वर्ग में है, हमारी आशा वहां पर लंगर डाल रही है और हमें हाथ में रस्सी लिये, नदी के उस पार अपने ध्यान को केंद्रित करते हुए तथा अपने को संभालते हुए नदी को पार करना है।”  

संत पापा ने कहा, नदी के उस पार जाने के लिए हमें रस्सी को मजबूती के साथ पकड़े रहना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम रस्सी को पकड़े रहे। कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि हम सिर्फ रस्सी को ही देख पायें, लंगर और नदी के दूसरे किनारे को देख न पायें, परंतु अगर हम रस्सी को मजबूती से पकड़े हुए हैं तो निश्चित रुप से सुरक्षित नदी पार कर पायेंगे।

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04 November 2019, 16:09