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संत पापा फ्राँसिस बैंकांक में मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस बैंकांक में मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए 

येसु के सवाल, नवीनता के स्रोत

संत पापा फ्रांसिस ने थाईलैंड की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान बैंकॉक के राष्ट्रीय खेल मैदान में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए येसु के सावल, कौन है मेरी माता और कौन हैं मेरे भाई, पर चिंतन किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

थाईलैंड,गुरूवार, 21 नबम्बर 2019 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने थाईलैंड की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान प्रथम दिन के अंत में बैंकॉक के राष्ट्रीय खेल मैदान में यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित किया।

येसु के सावल, “कौन है मेरी माता और कौन हैं मेरे भाई” (मत्ती.12.48) पर अपना चिंतन प्रस्तुत करने हुए उन्होंने कहा कि येसु ख्रीस्त अपने सुनने वालों को चुनौती प्रदान करते और इस विषय पर विचार करने का आहृवान करते हैं। हमारे परिवार के सदस्य कौन हैं, इसके उत्तर में येसु कहते हैं कि जो स्वर्गीय पिता की इच्छा पूरी करता वही है मेरा भाई, मेरी बहन और मेरी माता।(50) इस तरह येसु उस समय के धार्मिक और कानूनी प्रमाणों में बदलाव लाने के साथ उस अनुचित धारणा में भी परिवर्तन लाते हैं जहाँ लोग अपने को उन बातों से भी ऊपर समझते थे। यह सुसमाचार हमारे लिए एक निमंत्रण और अधिकार है जिन्हें हम सुनने की चाह रखते हैं।

येसु के सवालों का उद्देश्य

सुसमाचार में हम आश्चर्यजनक रुप में सवालों को पाते हैं जो शिष्यों के हृदय में हड़कंप मचाते, उन्हें सच्चाई की खोज करने हेतु निमंत्रण देते, जो जीवन पाने औऱ जीवन देने का स्रोत बनता है। सवाल हमें अपने मन और हृदयों को और अधिक सुन्दरता के लिए खोलने का आहृवान करते हैं जिससे हम नवीनता को प्राप्त कर सकें। येसु के सवालों का सार हमारे जीवन में नवीनता लाना और हमारे समुदायों को अतुलनीय आनंद से भरना है।(एभंजेली गौदियुम,11)

संत पापा ने कहा कि इस धरती पर कदम रखे प्रथम प्रेरितिक का उद्देश्य भी यही था। येसु ख्रीस्त के सवालों को सुनने और उसके उत्तर में कार्य करते हुए उन्होंने इस बात का अनुभव किया कि वे अपनी संस्कृति, प्रांत या जातियों से परे एक वृहृद परिवार के अंग हैं। पवित्र आत्मा से प्रेरित उनकी झोली आशा से भरी थी जिसके फलस्वरुप वे सुसमाचार प्रचार हेतु निकल पड़े और उन परिवारों की खोज की जो उनके अपने नहीं थे। उन्होंने उनमें अपने प्रतिरुप को खोजने का प्रयास किया। अपने हृदय को खुला रखते हुए उन्होंने उन “विशेषणों” पर विजय पाई जो विभाजन उत्पन्न करते हैं। इस भांति उन्होंने उन थाई “भाई-बहनों” को पाया जो अबतक रविवारीय मिलन में अपने को अनुपस्थित रखते थे। उन्होंने उनके साथ न केवल अपनी चीजों को साझा किया वरन उन्होंने उनसे उन वस्तुओं को ग्रहण किया जो उन्हें विश्वास में बढ़ने और सुसमाचार को समझ हेतु मददगार सिद्ध हुआ। (देई भेरबुम, 8)

मिलन बिना ख्रीस्तीयता का चेहरा अधूरा

संत पापा ने कहा कि इस मिलन के बिना ख्रीस्तीयता का चेहरा अपने में अधूरा रहता है। इसके बिना आप के गीत और नृत्य में थाई की जो विशिष्ट मुस्कान है वही अधूरी रहती। प्रेरिताई के लिए आये प्रेरितों ने पिता के प्रेम को किसी एक विशेष संस्कृति हेतु नहीं वरन सारी मानवता हेतु खुला रखा। प्रेरिताई हेतु भेजा गया शिष्य विश्वास या धर्म परिवर्तन का कोई व्यपारी नहीं है बल्कि वह एक नम्र भिक्षु है जो उन भाई-बहनों और माताओं की अनुपस्थिति का एहसास करता है जिनके साथ वह येसु ख्रीस्त के अतुल्य मेल-मिलाप के उपहार को बांटने की चाह रखता है। “देखो, मैंने अपने भोज की तैयारी कर ली है,गलियों मैं जाकर लोगों को निमंत्रण दो” (मत्ती.22.4.9)। हमारे लिए यह निमंत्रण आनन्द का स्रोत है, यह कृतज्ञता और खुशी का कारण बनती है क्योंकि इसके द्वारा ईश्वर हमें पूर्ण सच्चाई से रुबरु कराते हैं। यहां हम सुसमाचार प्रचार की सम्पूर्ण प्रेरणा और प्रयास को पाते हैं। (एभंजेली गौदियुम,8)

वर्षगांठ आलिंगन की निशानी

इस वर्ष हम सियाम धर्मप्रांत के निर्माण की 350वीं वर्षगांठ मानते हैं,(1669-2019) जो इस भूमि में भ्रातृत्व के आलिंगन की निशानी है। केवल दो प्रेरितों के द्वारा बोया गया बीज आज देश में विभिन्न प्रेरिताई कार्यों में विकसित होकर जीवन का स्रोत बन गया है। यह वर्षगाँठ अतीत के विषाद की याद नहीं बल्कि आशा की आग की यादगारी है जो हमें विश्वास और साहस में अपने कार्यों को करने हेतु प्रेरित करता है। यह हमारे लिए कृतज्ञता का महोत्सव है जहाँ हमें सुसमाचार द्वारा मिलने वाले नये जीवन की खुशी को उनके साथ बांटते हैं जो इससे अब तक अनभिज्ञ हैं।

ईश परिवार के अंग बनें

ईश परिवार का अंग बनते हुए हम सभी प्रेरिताई शिष्यों की मंडली के अंग बनते हैं। हम येसु के जीवन को अपने में अंगीकृत करते हुए ऐसा करते हैं। उन्होंने पापियों के साथ भोजन किया, अशुद्ध लोगों का स्पर्श किया और उन्हें अपने को स्पर्श करने दिया, इस भांति उन्होंने उन्हें ईश्वरीय निकटता और समझ का एहसास दिलाया कि वे अपने में धन्य हैं।(ऐक्लेशिया इन एशिया,11)

संत पापा ने कहा कि यहाँ मैं उन बच्चों, स्त्रियों की याद करता हूँ जो देह व्यपार और मानव तस्करी के शिकार हैं, जिन्हें अपने मानव सम्मान से अपमानित होना पड़ता है। मैं उन युवाओं की याद करता हुँ जो नशे के गुलाम हैं और निराश के कारण अपने जीवन का अर्थ नहीं समझते तथा अपने सपनों को मिटा देते हैं। मैं उन प्रवासियों की याद करता हूँ जो अपने घरों और परिवारों से वंचित कर दिये गये हैं, दूसरे अन्य जो उनके समान अपने में अनाथ, परित्यक्त अनुभव करते हैं, “येसु ख्रीस्त से मित्रता के कारण मिलने वाली शक्ति, ज्योति और सांत्वना से वंचित, विश्वासी समुदाय के अभाव में वे अर्थहीन और उद्देश्यहीन जीवन जीते हैं।( एभंजेली गौदियुम,49) मैं पापियों और भटके हुए लोगों की भी याद करता हूँ।

हम एक परिवार के अंग हैं

वे सभी हमारे परिवार के अंग हैं। वे हमारी माताएं, भाई और बहनें हैं। हम अपने समुदायों को उनके चेहरे, घावों, मुस्कान और जीवन को देखने से वंचित न करें। हम उन्हें ईश्वरीय प्रेम और चंगाई को ग्रहण करने हेतु वंचित न करें। एक प्रेरितिक शिष्य इस बात को जानता है कि सुसमाचार प्रचार का अर्थ अधिक संख्या में होना या शक्तिशाली होना नहीं है। बल्कि यह अपने द्वार को ईश्वरीय अनुभूति, उनकी करूणा और पिता के आलिंगन हेतु खोलना है जो हमें एक परिवार बनाता है।

थाईलैंड के सुमदायों, हम अपने प्रेरितों के कदमों में चलना जारी रखें जिससे हम अपने माता-पिता, भाई-बहनों से मिल सकें उनके हंस-मुख चेहरों को पहचान सकें जिसे ईश्वर हमें देते हैं, जो रविवारीय मेज में अनुपस्थित रहते हैं। 

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21 November 2019, 14:40