खोज

संत जॉन लातेरन महागिरजाघर संत पापा द्वारा पवित्र ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान संत जॉन लातेरन महागिरजाघर संत पापा द्वारा पवित्र ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान 

ऐसा कोई दिल नहीं जिसमें ईश्वर फिर से नई जान न डाल सके, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने 9 नवम्बर, शनिवार को संत जॉन लातेरन महागिरजाघर के प्रतिष्ठान समारोह के अवसर पर पवित्र ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान किया। उन्होंने अपने प्रवचन में मिस्सा पाठ के आधार पर तीन वाक्य का चुनाव धर्मप्रांत के समुदायों, पुरोहितों और प्रेरितिक कार्यकर्ताओं के लिए किया। संत पापा ने उन्हें विचार करने और प्रार्थना करने को कहा।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार,11 नवम्बर 2019 (वाटिकन न्यूज) : संत जॉन लातेरन महागिरजाघर के अग्रभाग पर एक लैटिन शिलालेख है यह गिरजाधर "रोम और विश्व की सभी कलीसियाओं की माता और प्रमुख" के रूप में जानी जाती है। यह रोम के धर्माध्यक्ष के रूप संत पापा का महागिरजाघर है और यह पश्चिमी देशों का सबसे पुराना महागिरजाघर है। हर साल की तरह इस वर्ष भी 9 नवंबर, महागिरजाघर के प्रतिष्ठान के पर्व दिन संत पापा ने संत जॉन लातेरन महागिरजाघर में, धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मसंघियों और रोम के विश्वासियों के साथ पवित्र मिस्सा बलिदान का अनुष्ठान किया। संत पापा सिल्वेस्तर प्रथम ने 9 नवंबर, 324 को इस महागिरजाघर का प्रतिष्ठान किया था।

संत पापा फ्राँसिस ने पाठों से तीन वाक्यों को अपने प्रवचन के लिए चुना और इसे धर्मप्रांत के समुदाय, पुरोहितों और प्रेरितिक कार्यकर्ताओं को इस पर विचार करने और प्रार्थना करने को कहा।

धर्मप्रांतीय समुदाय के लिए

संत पापा ने रोम के पूरे समुदाय के लिए अंतरभजन से एक वाक्य को चुना, "एक नदी जिसकी धाराएँ परमेश्वर के शहर को खुश करती हैं।" संत पापा ने कहा, इस शहर में रहने वाले ख्रीस्तीय "मंदिर से बहने वाली नदी की तरह हैं। वे जीवन का शब्द लाते हैं और हमारे दिलों के रेगिस्तान को उपजाऊ बनाने में सक्षम हैं।"

संत जॉन लातेरन को "रोम की माता कलीसिया" के रूप में संदर्भित करते हुए, संत पापा ने प्रार्थना की कि वह "एक बार फिर से नवीन सुसमाचार प्रचार के संकल्‍प में अपने बच्चों की आज्ञाकारिता और साहस को देखने अनुभव कर सके। संत पापा ने कहा कि वे "दूसरों से मेल जोल बढ़ायें, उनके साथ विनम्रता पूर्वक संवाद करें। धीरज के साथ उनकी बातें सुनें।

पुरोहितों के लिए

संत पापा ने कुरिंथियों के नाम संत पौलुस के पत्र से एक वाक्य पुरोहितों के लिए चुना, "कोई भी पहले से रखी गई नींव के अलावा कोई भी नींव नहीं रख सकता है, जो कि येसु मसीह है"। वे आपकी प्रेरिताई के केंद्र है। संत पापा ने कहा, "समुदाय की मदद करने के लिए आपको हमेशा प्रभु के चरणों में उनके वचन को सुनना है।”उन्हें सभी दुनियादारी से दूर रखने के लिए, आध्यात्मिक शिक्षा की नींव की रक्षा करने के लिए, इसे दुष्ट भेड़ियों से बचाने के लिए, जो इसे सुसमाचार के रास्ते से हटाना चाहते हैं, आपको प्रभु के सहारे की जरुरत है। ।

संत पापा फ्राँसिस ने रोम के पुरोहितों के प्रति आभार व्यक्त किया, उन्हें बताया कि वे प्रभु के प्रति उनके विश्वास और प्रेम की प्रशंसा करते हैं, लोगों के प्रति उनकी निकटता और गरीबों की देखभाल करने में उनकी उदारता की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा, “शहर की गलियों को आप से अच्छा और कोई नहीं जानता हैं, आप अपने दिल में बहुत से लोगों के चेहरे, मुस्कुराहट और आँसूओं को रखते हैं।”

प्रेरितिक कार्यकर्ताओं के लिए

संत पापा ने प्रेरितिक कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मंदिर से व्यापारियों और साहूकारों को बाहर निकालते हुए येसु का उल्लेख किया और कहा, "कभी-कभी लोगों की जिद को शांत करने और कट्टरपंथी परिवर्तन करने के लिए ईश्वर मजबूत कार्रवाई करने का विकल्प चुनते हैं।" इस सुसमाचार में एक महत्वपूर्ण विवरण दिया गया था: "व्यापारी गैर-यहूदियों के लिए निश्चित किये आंगन में थे। लेकिन ईश्वर चाहते थे कि उनका मंदिर सभी लोगों के लिए प्रार्थना का घर हो, "इसलिए येसु ने पैसे बदलने वालों की मेज को उखाड़ फेंकने और जानवरों को बाहर निकालने का फैसला किया।" संत पापा फ्रांसिस ने कहा, येसु जानते थे कि यह उकसावा उसे महंगा पड़ेगा। वे येसु से उससे पूछते हैं: "क्या आप हमें अपना अधिकार साबित कर सकते हैं?" इस पर येसु ने जवाब दिया, "इस मंदिर को नष्ट कर दो और मैं इसे तीन दिनों में फिर से उठाऊंगा।"

मंदिर का पुनर्निर्माण

संत पापा ने कहा, " हमारे जीवन में, यह अक्सर होता है कि हम खुद को प्रभु से दूर कर देते हैं", "पापियों के रूप में हम ईश्वर के मंदिर को नष्ट कर देते हैं, जो कि हम में से हर एक है ... फिर भी ईश्वर को हमारे भीतर अपने मंदिर के पुनर्निर्माण में तीन दिन लगते हैं।"

संत पापा ने प्रेरितिक कार्यकर्ताओं को "उन लोगों से मिलने के नए तरीके खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जो विश्वास से और कलीसिया से दूर हैं।" उन्होंने कहा, “कोई भी व्यक्ति चाहे कितना भी दुष्ट हो, इस धरती पर हमेशा के लिए ईश्वर से अलग नहीं रह सकता है।”

"हम कभी-कभी अविश्वास और शत्रुता का सामना कर सकते हैं। लेकिन हमें यह विश्वास रखना चाहिए कि ईश्वर को किसी के दिल में अपने बेटे को लाने के लिए तीन दिन लगते हैं।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

11 November 2019, 16:02