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देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा 

हम अपने निर्णयों से अनन्त जीवन की तैयारी हेतु बुलाये गये हैं

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 10 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को को सम्बोधित कर कहा।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 11 नवम्बर 2019 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 10 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को को सम्बोधित कर कहा।

आज का सुसमाचार पाठ (लूक. 20,27-38) मृतकों के पुनरूत्थान पर येसु की एक अनोखी शिक्षा को प्रस्तुत करता है। सदूकी ईसा को फँसाने की ताक में रहते थे। उन्होंने उनके पास गुप्तचर भेजे, जिससे वे धर्मी होने का ढोंग रच कर ईसा को उनकी अपनी बात के फन्दे में फँसाये और उन्हें राज्यपाल के कब्जे और अधिकार में दे सकें। उन्होंने पूछा कि मूसा की सहिंता के अनुसार "यदि किसी का भाई अपनी पत्नी के रहते निस्सन्तान मर जाये, तो वह अपने भाई की विधवा को ब्याह कर अपने भाई के लिए सन्तान उत्पन्न करे। अब पुनरूत्थान में वह किसकी पत्नी होगी? जो सात भाइयों की पत्नी रह चुकी हो।'' येसु उनके जाल में नहीं फंसे और उन्हें जवाब दिया कि पुनरूत्थान इससे परे है। जो परलोक तथा मृतकों के पुनरूत्थान के योग्य पाये जाते हैं, उन लोगों में न तो पुरुष विवाह करते और न स्त्रियाँ विवाह में दी जाती हैं। वे फिर कभी नहीं मरते। वे तो स्वर्गदूतों के सदृश होते हैं और पुनरूत्थान की सन्तति होने के कारण वे ईश्वर की सन्तति बन जाते हैं।

पुनरूत्थान पर येसु की शिक्षा

इस जवाब के साथ येसु अपने वार्ताकारों और हमें भी निमंत्रण देते हैं कि हम चिंतन करें कि पृथ्वी जहाँ हम जीते, आज मृत्यु एकमात्र आयाम नहीं है जिसमें हम पूरी तरह प्रकट होंगे कि हम ईश्वर की संतान हैं। यह हमें महान सांत्वना प्रदान करता और मृत्यु के परे जीवन के बारे येसु के सरल एवं स्पष्ट शब्दों को सुनने की आशा देता है; हमें इसकी अति आवश्यकता है विशेषकर, हमारे समय में जब ब्रह्मांण के बारे बहुत अधिक ज्ञान है किन्तु अनन्त जीवन के बारे बहुत कम जानते है।  

पुनरूत्थान पर येसु की यह स्पष्टीकरण पूरी तरह ईश्वर के प्रति निष्ठा पर आधारित है जो जीवन के ईश्वर हैं। सदूकियों के सवाल के पीछे एक गंभीर सवाल छिपा है, न केवल सात भाइयों की पत्नी रह चुकी महिला अब किसकी पत्नी होगी किन्तु अब उसका जीवन किसका होगा। यह हर युग और हम लोगों के संदेह को भी छूता है कि इस पृथ्वी की यात्रा के बाद हमारा जीवन कैसा होगा? क्या मरने के बाद सब कुछ शून्य हो जाएगा?

जीवन ईश्वर का है

येसु जवाब देते हैं कि जीवन ईश्वर का है जो हमें प्यार करते हैं और हमारी देखभाल करते हैं उस हद तक कि उन्होंने अपना नाम हमारे साथ जोड़ लिया है; वे अब्राहम, इसाहाक और याकूब के ईश्वर हैं। वे मृतकों के नहीं, जीवितों के ईश्वर हैं क्योंकि उनके लिए सभी जीवित हैं।" (पद. 37-38)

जीवन वहीं संभव है जहाँ रिश्ते हैं, एकता है, भाईचारा है। जीवन मृत्यु से अधिक बलवान होता है यदि वह सच्चे संबंध एवं निष्ठा के बंधन पर टिका हो। इसके विपरीत उस व्यक्ति में जीवन ही नहीं होता जो सिर्फ उसे अपना होने का दावा करता है और एक टापू की तरह जीने की कोशिश करता है। ऐसे मनोभवों में मृत्यु अधिक बलवान होती। यह स्वार्थ की भावना है। यदि मैं सिर्फ अपने लिए जीता तो मैं अपने हृदय में मृत्यु बो रहा हूँ।  

अंतिम लक्ष्य अनन्त जीवन

संत पापा ने प्रार्थना की कि धन्य कुँवारी मरियम हमें हरेक दिन उस विश्वास को जीने में मदद दे, जिसको हम प्रेरितों के धर्मसार में दोहराते हैं, "मैं मृतकों के पुनरूत्थान और अनन्त जीवन पर विश्वास करता हूँ," इस दुनिया से परे का जीवन।      

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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11 November 2019, 15:35