देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा 

येसु की करुणावान दृष्टि मन-परिवर्तन के लिए प्रेरित करती, संत पाप

सुसमाचार पाठ (लूक. 9,1-10) हमें येरूसालेम की ओर उनकी यात्रा में, येसु का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करता है, जहाँ वे जेरीखो में रूकते हैं। उनका स्वागत करने के लिए एक बड़ी भीड़ जमा थी, उनमें से एक चुंगी जमा करने वालों का प्रमुख जाकेयुस भी था।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 4 नवम्बर 2019 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 3 नवम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

आज का सुसमाचार पाठ (लूक. 9,1-10) हमें येरूसालेम की ओर उनकी यात्रा में, येसु का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करता है, जहाँ वे जेरीखो में रूकते हैं। उनका स्वागत करने के लिए एक बड़ी भीड़ जमा थी, उनमें से एक चुंगी जमा करने वालों का प्रमुख जाकेयुस भी था। अर्थात् वह उन यहूदियों में से एक था जो रोमन सम्राट के लिए चुंगी जमा करता था। वह धनी था, पर अपने ईमानदार कमाई से नहीं बल्कि रिश्वत लेने के कारण, इसीलिए वह अपमानित समझा जाता था।

येसु की करूणावान दृष्टि

जाकेयुस देखना चाहता था कि येसु कौन हैं। (पद 3) वह उनसे मिलना नहीं किन्तु जिज्ञासा वश उन्हें देखना चाहता था, जिनके बारे उसने कई असाधारण बातें सुनी थी। जिज्ञासा थी परन्तु वह छोटे क़द का था, इसलिए भीड़ में उन्हें नहीं देख सकता था। अतः  वह आगे दौड़ कर ईसा को देखने के लिए एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह उसी रास्ते से आने वाले थे। जब ईसा उस जगह पहुँचे, तो उन्होंने आँखें ऊपर उठा कर जकेयुस से कहा, ''जकेयुस! जल्दी नीचे आओ, क्योंकि आज मुझे तुम्हारे यहाँ ठहरना है''।(पद 3-5)

संत पापा ने कहा, "यह महत्वपूर्ण है, पहली नजर जाकेयुस का नहीं, बल्कि येसु का था जो चारों ओर भीड़ के अनेक चेहरों से घिरा था। प्रभु की करूणावान दृष्टि हमारे बचाये जाने की आवश्यकता महसूस करने से पहले ही हम पर पड़ती है। इस नजर के द्वारा प्रभु जेरीखों के पापी के मन-परिवर्तन का चमत्कार करते हैं। येसु उसे नाम लेकर बुलाते हैं, ''जकेयुस! जल्दी नीचे आओ, क्योंकि आज मुझे तुम्हारे यहाँ ठहरना है''। (पद.5) वे उसे फटकारते नहीं और न ही समझाते हैं बल्कि कहते हैं कि आज मुझे तुम्हारे यहाँ ठहरना है। वे ऐसा कहते हैं क्योंकि यह पिता की इच्छा थी और लोगों की भुनभुनाहट के बावजूद येसु उस पापी के घर में ठहरते हैं।  

संत पापा ने कहा कि हम भी येसु के इस व्यवहार से ठोकर खा जाते, पर पापी को अपमानित समझना और बंद हो जाना, उसकी भलाई नहीं करता बल्कि यह उसे अकेला कर देता और हमारा यह व्यवहार उसे अपने आप के प्रति एवं समुदाय के प्रति बुराई में अधिक कठोर बना देता है। येसु पाप से घृणा करते हैं किन्तु पापी को बचाना चाहते हैं। वे उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए खोजने जाते हैं। जिसने कभी भी ईश्वर की करुणा के द्वारा खोजा गया महसूस नहीं किया है और उन शब्दों को जिनके द्वारा येसु जाकेयुस तक पहुँचता है वह ईश्वर के असाधारण कार्य को नहीं समझ सकता।

प्रेम का सामना   

जाकेयुस के प्रति येसु की स्वीकृति एवं ध्यान उसे मन-परिवर्तन के लिए प्रेरित करता है तब वह समझता है कि जीवन में धन ही सब कुछ नहीं है जिसके लिए वह दूसरों से चोरी करता था और उसके लिए अपमान भी सहता था। प्रभु को अपने पास पाकर, वह सबकुछ को दूसरी नजर से देखने लगा, कोमलता की नजर से, जिस नजर से येसु ने उसे देखा था। इस तरह धन को देखने और उसका प्रयोग करने का उसका नजारिया भी बदल जाता है। लेने का स्थान देने में बदल जाता है। इस तरह वह अपनी आधी सम्पति गरीबों को दान करने एवं उन लोगों को चौगुना लौटा देने की बात करता है जिनसे उसने चोरी की थी। (पद. 8)

मन-परिवर्तन

जाकेयुस येसु के द्वारा समझ जाता है कि मुफ्त में प्रेम करना सम्भव है। वह पहले लोभी था किन्तु अब उदार बन जाता है। उसे जमा करने का शौक था पर अब बांटने में आनन्द महसूस करता है। उसे महसूस होता है कि पापी होने के बावजूद वह प्रेम किया गया है और वह भी दूसरों से प्रेम करने लगता है। धन को एकात्मता एवं एकता के चिन्ह के रूप में देखता है।

धन्य कुँवारी मरियम येसु के करुणावान दृष्टि को महसूस करने की कृपा प्रदान करे ताकि हम भी करुणा के साथ उन लोगों से मुलाकात करने के लिए बाहर निकल सकें जिन्होंने गलत किया है जिससे कि वे भी येसु का स्वागत कर सकें जो खोये हुओं को खोजने और बचाने आये। (पद. 10)

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरित आशीर्वाद दिया।

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04 November 2019, 15:05