देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा 

शांति निर्माता एवं आशा के साक्षी बनें, देवदूत प्रार्थना में संत

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 17 नवम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने कहा, रविवार का सुसमाचार पाठ अंतिम दिनों पर येसु के उपदेश को प्रस्तुत करता है। येसु ने इसे येरूसालेम के मंदिर के सामने प्रस्तुत किया जिसको देखकर कुछ लोग कह रहे थे कि वह सुन्दर पत्थरों और मनौती के उपहारों से सजा है, किन्तु येसु ने भविष्यवाणी की कि ''वे दिन आ रहे हैं, जब जो कुछ तुम देख रहे हो, उसका एक पत्थर भी दूसरे पत्थर पर नहीं पड़ा रहेगा-सब ढा दिया जायेगा''।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 18 नवम्बर 2019 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 17 नवम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

पूजन पद्धति वर्ष की समाप्ति के पहले रविवार का सुसमाचार पाठ (लूक. 21, 5-19) अंतिम दिनों पर येसु के उपदेश को प्रस्तुत करता है। येसु ने इसे येरूसालेम मंदिर के सामने प्रस्तुत किया जिसको देखकर कुछ लोग कह रहे थे कि वह सुन्दर पत्थरों और मनौती के उपहारों से सजा है, किन्तु येसु ने भविष्यवाणी की कि ''वे दिन आ रहे हैं, जब जो कुछ तुम देख रहे हो, उसका एक पत्थर भी दूसरे पत्थर पर नहीं पड़ा रहेगा-सब ढा दिया जायेगा''। (पद. 6) येसु द्वारा मंदिर के विनाश की भविष्यवाणी इतिहास का अंत नहीं है।

इतिहास के चिन्ह और ईश्वर का आश्वासन

श्रोताओं के सामने जो जानना चाहते थे ये चिन्ह कब और कैसे प्रकट होंगे येसु बाईबिल के प्रकाशना ग्रंथ की भाषा में जवाब देते हैं। इसके लिए वे दो विरोधाभासी चिन्हों का प्रयोग करते हैं, पहला, भयावाह घटनाओं की श्रृंखला ˸ आपदाएँ, युद्ध, अकाल, दंगे और अत्याचार (पद 9-12); दूसरा,  आश्वासन, "फिर भी तुम्हारे सिर का एक बाल भी बाँका नहीं होगा।" (पद. 18)

पहले में इतिहास की वास्तविकता पर नजर डाली गयी है जो आपदा, हिंसा और जख्म से प्रभावित है जिसने सृष्टि, हमारे आमघर तथा मानव परिवार जो इसमें निवास करती है उसे घायल किया है और साथ ही साथ, ख्रीस्तीय समुदाय को भी प्रभावित किया है। आज हम कई युद्धों और प्राकृतिक आपदाओं को देखते हैं। दूसरा चिन्ह है येसु का आश्वासन जो यह बतलाता है कि हिंसा और प्रतिकूलता के इस इतिहास को जीते हुए ख्रीस्तियों को किस तरह का मनोभाव धारण करना है।

ख्रीस्तियों का मनोभाव क्या होना चाहिए?

संत पापा ने कहा, "ख्रीस्तियों का मनोभाव क्या होना चाहिए?" उन्होंने कहा, "ईश्वर पर आशा का मनोभाव, जो दुःखद घटनाओं को हम पर हावी होने नहीं देंगे। बल्कि ये साक्ष्य देने के अवसर होंगे।" (पद. 13).

ख्रीस्त के शिष्य डर और पीड़ा के गुलाम बनकर नहीं रह सकते, परन्तु वे इतिहास को जीने के लिए बुलाये जाते हैं, बुराई की विनाशकारी शक्ति को दूर करने के लिए, उस निश्चितता के साथ कि भले कार्य के पीछे हमेशा प्रभु की कृपा एवं कोमल आश्वासन है। यही एक महत्वपूर्ण चिन्ह है कि ईश्वर का राज्य हमारे निकट है। यही उस दुनिया का साकार रूप है जैसा ईश्वर चाहते हैं। वे प्रभु ही हैं जो हमारे अस्तित्व का संचालन करते तथा चीजों एवं घटनाओं के अंतिम लक्ष्य को जानते हैं।

प्रभु का बुलावा

प्रभु हमें इतिहास का निर्माण करने हेतु सहयोग करने के लिए बुलाते हैं कि हम उनके साथ शांति के निर्माता एवं भविष्य में मुक्ति और पुनरूत्थान की आशा के साक्ष्य बनें। विश्वास हमें दुनिया के टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर येसु के साथ चलने का साहस प्रदान करता है उस यकीन के साथ कि पवित्र आत्मा की शक्ति बुराई की शक्ति को बांध देगी तथा उसे ईश्वर के प्रेम की शक्ति के अधीन कर देगी।

शहीदों का उदाहरण

प्रेम सर्वोत्तम है, यह सबसे अधिक शक्तिशाली है क्योंकि यह ईश्वर है, ईश्वर प्रेम है। शहीद ख्रीस्तियों का उदाहरण हमारे सामने है। हमारे शहीद जिनकी शहादत हमारे समय में हुई है उनकी संख्या पहले के शहीदों से अधिक है। वे अत्याचार के बावजूद शांति के स्त्री और पुरूष हैं। उन्होंने हमारे लिए सबसे मूल्यवान खजाना प्रेम एवं दया के सुसमाचार की रक्षा करने एवं उसे जीने की धरोहर छोड़ दिया है। हमारे दैनिक जीवन में जब हम किसी के द्वारा चोट पाते हैं अथवा दर्द महसूस करते हैं तो उसे दिल से क्षमा कर देना है। जब हम घृणा महसूस करें तब हम उस व्यक्ति के लिए प्रेम से प्रार्थना करें जो हमसे घृणा करता है।

धन्य कुँवारी मरियम अपनी ममतामय मध्यस्थता द्वारा, हमारे दैनिक जीवन में विश्वास की यात्रा पर, इतिहास में आगे ले चलने वाले प्रभु का अनुसरण करने में हमारा साथ दे। इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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18 November 2019, 14:49