ख्रीस्तीय और अन्य धर्मों के अगुवों से संत पापा की भेंट ख्रीस्तीय और अन्य धर्मों के अगुवों से संत पापा की भेंट 

वार्ता और मानव सम्मान समय की मांग, संत पापा

संत पापा फ्रांसिस ने बैंकॉक के चुलालोंगकॉर्न महाविद्यालय में ख्रीस्त धर्माधिकारियों और दूसरे धर्मों के नेताओं के संग मुलाकात की।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

बैंकॉंक, शुक्रवार, 22 नवम्बर 2019 (रेई) आज से 120 साल पहले, 1897 में, राजा चुलालोंगकॉर्न जिससे नाम से यह महाविद्यालय स्थापित है रोम की यात्रा करते हुए संत पापा लेयो 13वें से मुलाकात की। यह पहला अवसर था जब किसी देश के गैर-ख्रीस्तीय अधिकारी का रोम में स्वागत किया गया। उस मुलाकात की यादें और इस प्रांत के मूल्य जो वर्तमान समय की गुलामी को चुनौती देती हैं, हमें वार्ता और आपसी समझ के मार्ग का अनुसरण करने को प्रेरित करे। भ्रातृत्व में ऐसा करना हमें वर्तमान की दासता विशेषकर मानव व्यपार के दंश को खत्म करने में मदद करेगा।

वर्तमान समय की मांग

वर्तमान समय की मांग हमें एक दूसरे का आदर, सम्मान और दूसरे धर्मों के संग सहयोग करने की मांग करती है। हमारी दुनिया कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है जैसे कि अर्थव्यवस्था, वैश्विक पूंजीवाद जिसका परिणम स्थानीय समुदायों और प्रद्गोयिकी विकास पर पड़ रहा है। इसके परिणाम स्वरुप हम गृहयुद्धों की स्थिति को देखते हैं जो प्रवासन, शरणार्थी, भूखमरी और युद्ध को जन्म देती है। इसके साथ ही हम अपने सामान्य घर की स्थिति में विनाश और पतन को पाते हैं। ये सारी चुनौतियों हमें इस बात की याद दिलाती हैं कि विश्व का कोई भी समुदाय या धर्म अपने भविष्य को दूसरों से तटस्थ रहते हुए नहीं देख सकता है। ये सारी स्थितियाँ हमें, बिना किसी का हानि या अपमान किये, अपने इतिहास को नये तरीके के लिखने का आहृवान करती है। वह समय चला गया जब हम द्पक्षीय विचारों से अनुरूप समस्याओं का समाधान समय और स्थान के अनुरूप निकालते थे। वर्तमान समय हमें सहासी बनते हुए आपसी वार्ता और ज्ञान को साझा करते हुए एक मार्ग का चुनाव करने की मांग करती है। यह हमें नये मापदण्डों के आधार पर समस्याओं का समाधान निकालते हुए सृष्टि की सुरक्षा करने में मददगार होगी। इस संदर्भ में धर्म, जैसे की महाविद्यालय अपने विशिष्ट गुणों को खोये बिना एक बड़ी भूमिका अदा कर सकती है। इस संदर्भ में हम जो कुछ भी करते हैं यह आने वाली पीढ़ी के भविष्य हेतु एक महत्वपूर्ण कदम होगा और हम न्याय और शांति स्थापित कर पायेंगे। केवल ऐसा करने के द्वारा हम युवाओं के लिए एक बेहतर अवसर प्रदान करेंगे जो उन्हें स्थायी और समावेशी जीवन शैली बनाने के प्रयासों में व्यवस्थित करेगा।

ठोस नींव का निर्माण करें

वर्तमान परिस्थिति हमसे ठोस नींव के निर्माण की मांग करती है जहाँ हम दूसरों का सम्मान और गरिमा का ख्याल रखने और उसे बढ़ावा देते हुए सामान्य घऱ को सुरक्षा रखने हेतु बुलाये जाते हैं। धार्मिकता की विविध परंपराएं जिसे हम आपस में साझा करते हैं इस क्षेत्र में एक महत्वूपर्ण सहायता कर सकती हैं यदि हम एक दूसरे का भयवहीन सामना करने को तैयार हों।

हम सभों का बुलावा हमारे बीच रहने वाले गरीबों की आवाज को सुनने हेतु हुआ है जो दबे, कुचले और हशिये पर हैं, इसके साथ हम बिना भयभीत हुए उनके लिए अवसर उत्पन्न करने हेतु बुलाये जाते हैं जिससे हम मिलकर कार्य कर सकें। हमें अपने में नौतिकता को धारण करने की आवश्यकता है जिसके फलस्वरुप हम मानव सम्मान, अतःकरण के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। हमें एक ऐसे महौल को तैयार करने की जरूरत है जहाँ हम स्वतंत्रता की सांस ले सकें जहाँ सारी चीजें अपने में सुरक्षित रहें। “मानव प्राणी, अपनी जटिल परिस्थिति में रहने के बावजूद ऊपर उठने हेतु सक्षम है, वह अपने में अच्छी चीजों का चुनाव कर सकता है और नये तरीके से जीवन की शुरूआत कर सकता है, भले ही वह मानसिक और सामाजिक बंधन का शिकार क्यों न हो”। (लौदातो सी, 205)

विश्व हेतु आपकी देन

थाईलैण्ड, अपनी प्रकृति सुन्दरता का धनी देश है। संत पापा ने कहा कि आप एक तथ्य को दुनिया के साथ साझा कर सकते हैं जिसकी चर्चा मैं करना चाहूँगा। आप अपने बड़ों का आदर और सम्मान करते और समाज में उन्हें एक उचित स्थान देते हैं। यह इस बात को घोषित करता है कि आप अपनी जड़ों में बने रहते हैं जिससे आपकी नयी पीढ़ी इसे न खोये। वहीं “हम अपने युवाओं को “होमोजेनाइज” एक संस्कृति के अंग स्वरुप देखना चाहते हैं, जो हमारी विशिष्ट उत्पत्ति और पृष्ठभूमि को धूमिल कर देती है जो उन्हें एक नया वरन तुच्छ वस्तु में परिणत कर देता है, वैसे ही जैसे की बहुत सारे जीव और वनस्पति अपने में लुप्त होते जा रहे हो”। (क्रिस्तुस विभित 186) संत पापा ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि आप युवाओं को अपनी संस्कृति को पहचाने और उसकी खोज करने में मदद करेंगे जहाँ वे निवास करते हैं। युवाओं को अपनी समृद्ध संस्कृति को जानने और उस निधि को एक यादगारी स्वरुप रखने हेतु मदद करना, हमारा उनके प्रति सच्चे प्रेम को दिखलाता है, इससे वे अपने जीवन में विकास करते और अपने में सही निर्णयों को लेते हैं।

इस पूरी प्रक्रिया में शिक्षण संस्थान, इस महाविद्यालय की एक बड़ी जिम्मेदारी है। शोध और ज्ञान की खोज हमारे बीच असमानता को कम करने, सामाजिक न्याय को बढ़वा देने, मानव का सम्मान करने, समस्याओं के शांति पूर्ण निवारण और जीवनदायी धरती की खनिज संपदों को सुरक्षित रखने में मदद करेगा।

संत पापा ने इस नेक कार्य हेतु सभी शिक्षाविद् और प्ररिशिक्षकों का धन्यवाद अदा करते हुए कहा कि हम सभी मानव घर  के अंग हैं। हमसे प्रत्येक का बुलावा सक्रिया और प्रत्यक्ष रुप में संस्कृति का निर्माण करने हेतु हुआ है जो मूल्यों पर आधारित है जो हमें एकता,एक दूसरे का सम्मान और सह-अस्तित्व में जीवन जीने हेतु मदद करता है ।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

22 November 2019, 15:19