संत पापा के साथ धर्माध्यक्ष मारियो ग्रेच संत पापा के साथ धर्माध्यक्ष मारियो ग्रेच 

धर्मसभा हमेशा कलीसिया के लिए मिशनरी चौराहा, धर्माध्यक्ष ग्रेच

संत पापा फ्राँसिस की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए पान-अमाजोन पर धर्माध्यक्षों की धर्मसभा में सिनोडालिटी के मूल्यों के अनुभव को महासचिव ग्रेच ने अलेसांद्रो जिसोत्ती का साथ साझा की।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 2 नवंबर, 2019  ( रेई) : पिछले 2 अक्टूबर को धर्माध्यक्षों की धर्मसभा के समर्थक सचिव के रूप में संत पापा फ्राँसिस द्वारा मालटा के धर्माध्यक्ष मारियो ग्रेच की नियुक्ति इन इरादों से हुई कि वे धर्मसभा के महासचिव कार्डिनल लोरेंजो बाल्दीसेरी के साथ-साथ चलें। नियुक्ति के बाद ओसरवातोरे रोमानो और वाटिकन न्यूज के साथ यह उनका पहला साक्षात्कार है।

अमाजोन पर धर्मसभा कुछ दिनों पहले समाप्त हुई। उनके विशेष अनुभव के बारे पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “मुझे एहसास हुआ कि संत पापा फ्राँसिस का यह कहना कितना सच है कि वास्तविकता को केंद्र से बेहतर उपनगरों से देखा जा सकता है! यह सामाजिक और सांस्कृतिक वास्तविकताओं और कलीसियाई अनुभवों दोनों पर लागू होता है। मुझे याद है कि कैसे एक ब्राज़ील के धर्माध्यक्ष ने टिप्पणी की थी कि कैसे उसने अपने साथियों को सुनकर बहुत कुछ सीखा। यद्यपि वे उसी क्षेत्र से आते हैं, लेकिन वे कुछ अनुभवों और दूसरों द्वारा व्यक्त की गई जरूरतों से अनभिज्ञ थे। इसलिए यदि धर्मसभा का अनुभव इस क्षेत्र से आने वाले व्यक्ति के लिए उपयोगी था, तो यह हमारे लिए कितना सार्थक हो सकता है, जिसकी कल्पना हम केंद्र में करते हैं! जब कोई धर्मसभा में उभरे कुछ अनुभवों को सुनता है, तो वह यह देखता है कि इन संस्कृतियों में मौजूद लोगों के विचार अपनी कलीसिया के लिए कैसी है, साथ ही यह भी कि, केंद्र एक गंभीर गलती करता है, जब यह सोचता है कि यह इन लोगों से बेहतर है।

संत पापा द्वारा आपकी नियुक्ति धर्मसभा के शुरु होने से कुछ दिनों पहले हई। आपने इसे किस तरह स्वीकार किया ?  

धर्माध्यक्ष ग्रेच ने कहा,“मैं मालटा एक छोटे धर्मप्रांत से आता हूँ, हालांकि वहाँ एक मजबूत मिशनरी आयाम है। गुरुकुल प्रशिक्षण के वर्षों में हमें बताया गया कि "दुनिया मेरी पल्ली है"। जाने-अनजाने, प्रभु मुझे इस नए कार्य के लिए लंबे समय से तैयार कर रहे हैं, जो मेरी राय में एक मिशनरी आयाम है। हालांकि वाटिकन एक मिशन भूमि नहीं है,  मैं संत पापा द्वारा सौंपे गए जनादेश को मैं एक मिशनरी बुलाहट के रूप में मानता हूँ, क्योंकि धर्मसभा सचिवालय एक चौराहा है, जो दुनिया भर में धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के बीच समानता लाता है और धर्माध्यक्षों की धर्मसभा सुसमाचार प्रचार का एक साधन है। जैसा कि संत पापा फ्राँसिस लिखते हैं: "एक ऐतिहासिक क्षण में जिसमें कलीसिया खुद को सुसमाचार प्रचार के एक नए चरण में पेश करती है जो पृथ्वी के सभी क्षेत्रों में सुसमाचार प्रचार के स्थायी मिशन को स्थापित करने के लिए है।  कलीसिया की अन्य संस्थाओं की तरह धर्माध्यक्षों की धर्मसभा वर्तमान में सुसमाचार प्रचार का उपयुक्त माध्यम है। "(ईसी, 1)

सिनॉड निश्चित रूप से संत पापा के लिए महत्वपूर्ण शब्दों में से एक है। क्यों, आपकी राय में, संत पापा फ्राँसिस के लिए सामूहिक निर्णय का आयाम इतना महत्वपूर्ण है?

मेरा विचार है कि धर्मसभा द्वारा लिये गये सामूहिक निर्णय पर संत पापा फ्राँसिस के विचार "ईश्वर के लोग" की महत्ता पर केंद्रित है। ब्यूनस आयर्स में धर्माध्यक्ष के रूप में अपने धर्मप्रांत के लोगों का उनका अनुभव भी है। ‘लोग’ उनके प्रेरितिक अनुभव के आधार हैं और ईश्वर के लोगों के बीच का अनुभव धर्मशास्त्र और कलीसियाई शिक्षा का फल है। इसके प्रकाश में, कलीसिया की पहचान पदानुक्रम से नहीं होती है, लेकिन ईश्वर के लोगों से, जिसके तहत, इसके सभी सदस्य शामिल होते हैं - धर्माध्यक्ष, धर्मसंघी और लोक धर्मी – जिनका कार्य अलग-अलग होने के बावजूद एक ही बपतिस्मा और एक ही गरिमा प्राप्त है। संत पापा ने ‘लुमेन जेन्सियुम 12’ के उस पद को दोहराया, “ईश्वर के लोग विश्वास करने में अचूक हैं।” इसका मतलब यह है कि वे मानते है कि उसे गलत नहीं माना जाता है, भले ही उसे अपने विश्वास को व्यक्त करने के लिए शब्द न मिले ... ईश्वर ने विश्वास की एक वृत्ति के विश्वासयोग्य व्यक्ति की समग्रता को समाप्त किया - सेंसुअस फिदेई - जो वास्तव में ईश्वर की ओर से आती है और यह उसे जानने में मदद करता है। पवित्र आत्मा की उपस्थिति ख्रीस्तियों को ईश्वरीय वास्तविकताओं और ज्ञान के साथ एक निश्चित समानता प्रदान करती है जो उन्हें सहज रूप से समझने की अनुमति देती है, हालांकि उन्हें सटीक रूप से व्यक्त करने के लिए उपयुक्त शब्द नहीं हैं”(इ.जी, 119)। वास्तव में सेंसुअस फिदेई संत पापा फ्राँसिस द्वारा अपनाई गई धर्मसभा के धर्मशास्त्र को समझने के लिए एक प्रमुख कुंजी है और अमाजोन पर धर्मसभा के दौरान उन्होंने संत घोषणा का प्रतिनिधित्व किया। सेंसुअस फिदेई पर एक गहन चिंतन के लिए सुनहरा अवसर, जो मेरी राय में, उपेक्षित किया गया है। मुझे नहीं लगता कि संत पापा ने धर्मसभा के समापन मिस्सा के दौरान अपने प्रवचन में सेंसुअस फिदेई के बारे कहना एक आकस्मिक विस्तार था। घोषणापत्र में सेंसुअस फिदेई का जिक्र नहीं किया गया था।"

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02 November 2019, 15:55