कलीसिया, संगीत, व्याख्याकार पर तृतीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के 60 प्रतिभागियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस कलीसिया, संगीत, व्याख्याकार पर तृतीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के 60 प्रतिभागियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस  

हम अधिक उत्साह के साथ सुसमाचार के व्याख्याकार बनें

तृतीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का आयोजन ˸ भक्ति संगीत (सेक्रेड म्यूजिक) के लिए परमधर्मपीठीय संस्था एवं संत अंसेलेम के परमधर्मपीठीय अथनेसियुम धर्मविधिक संस्था के सहयोग से, संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति द्वारा की गयी थी, जिसकी विषयवस्तु थी, "कलीसिया, संगीत, व्याख्याकार ˸ एक आवश्यक संवाद।"

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटीवाटिकन सिटी, शनिवार, 9 नवम्बर 2019 (रेई)˸ "मेरी शुभकामनाएँ हैं कि आप प्रत्येक  दिन प्रतिदिन, अपने-अपने तरीके से सुसमाचार और सुन्दरता के बेहतर व्याख्याता बनें जिसको पिता ने हमें येसु ख्रीस्त में प्रकट किया है।" यह बात संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 9 नवम्बर को कलीसिया, संगीत, व्याख्याकार पर तृतीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के 60 प्रतिभागियों से वाटिकन के सामान्य लोकसभा परिषद भवन में कही।

तृतीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का आयोजन ˸ भक्ति संगीत (सेक्रेड म्यूजिक) के लिए परमधर्मपीठीय संस्था एवं संत अंसेलेम के परमधर्मपीठीय अथनेसियुम धर्मविधिक संस्था के सहयोग से, संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति द्वारा की गयी थी, जिसकी विषयवस्तु थी, "कलीसिया, संगीत, व्याख्याकार ˸ एक आवश्यक संवाद।"

संत पापा ने कहा, "इन दिनों पूरा किया गया काम, हर किसी के लिए सुसमाचार, धर्मविधिक जीवन और संस्कृति एवं कलीसिया की सेवा का एक प्रेरक अनुभव साबित हो।"

एक व्याख्याकार

संत पापा ने कहा, "हम एक व्याख्याकार को अनुवादक का राजा के रूप में मानते हैं जिसका काम है किसी प्राप्त वस्तु को दूसरों के लिए इस तरह हस्तांतरित करना ताकि दूसरा व्यक्ति उसे समझ सके। फिर भी एक व्याख्याकार खासकर, संगीत के क्षेत्र में एक अनुठे एवं व्यक्तिगत अंदाज में अनुवाद करता है जिसको किसी संगीतकार ने लिखा है ताकि उसमें सुन्दरता लाई जा सके और यह एक असाधारण कलात्मक अनुभव दे सके।

संत पापा ने कहा कि एक अच्छा व्याख्याकार एक कलात्मक कार्य के सामने बड़ा विनम्र महसूस करता है जो उसकी अपनी सम्पति नहीं है। वह स्वीकार करता है कि वह अपना अनुभव समुदाय की सेवा में डाल रहा है, ऐसे व्याख्याकार को आंतरिक एवं पेशेवर तरीके से लगातार प्रशिक्षित एवं परिवर्तित होने की आवश्यकता है। ताकि वह संगीत की सुन्दरता को प्रस्तुत कर सके धर्मविधि के द्वारा दूसरों की सेवा कर सके। हर व्याख्याता कला की सेवा में विशिष्ट संवेदनशीलता और प्रतिभा प्राप्त करने के लिए बुलाया जाता है जो मानवीय भावना में ताजगी लाता और समुदाय की सेवा करता है। खासकर उस समय जब व्याख्याकार एक धर्मविधि को सम्पन्न कर रहा है।

संगीत एवं संवाद

संत पापा ने ईश वचन की घोषणा में संगीत के व्याख्याकार की तुलना बाईबिल के विशेषज्ञों एवं समय के चिन्ह के व्याख्याताओं से की किन्तु कहा कि हम भी उनमें से एक हो सकते हैं यदि हम ईमानदारी से संवाद में दूसरों के प्रति खुले एवं सचेत हों।

वास्तव में, हर ख्रीस्तीय अपने जीवन में ईश्वर की इच्छा का व्याख्याकार है और अपने जीवन से ईश्वर की प्रशंसा एवं धन्यवाद का गीत गाता है। इसी संगीत के द्वारा कलीसिया सुसमाचार की व्याख्या करती है जब वह इतिहास के रास्ते पर यात्रा करती है।  

धन्य कुँवारी मरियम ने इसे एक आदर्श रूप में मरिया भजन में प्रस्तुत किया है और संत गण अपने जीवन एवं मिशन से ईश्वर की इच्छा की व्याख्या देते हैं।  

संत पापा पौल षष्ठम ने सन 1964 में एक ऐतिहासिक मुलाकात में कुछ इस तरह से चिंतन प्रस्तुत किया था, "हमारा मिशन जैसा कि आप जानते हैं उपदेश देने में तथा ईश्वर के अदृश्य एवं अवर्णनीय चीजों, पवित्र आत्मा की वस्तुओं को सुलभ, सुगम, और आकर्षक बनाने में है। इस रचनात्मकता में जो अदृश्य संसार को सुलभ, स्पष्ट एवं आकार प्रदान करता है इसके विशेषज्ञ आप हैं। यह आपका कार्य है आपका मिशन है जिसके द्वारा आप आपकी कलात्मक भावना के स्वर्गीय दायरे से पकड़ के खजाने में, शब्दों, रंग एवं आकार के वस्त्र से उसे प्राप्य बनाते हैं।"

ईश्वर की महानता की व्याख्या

इस अर्थ में व्याख्याता, एक कलाकार के रूप में शब्दों एवं साधनों का प्रयोग कर, अप्राप्य बातों की जो दिव्य अवधारणाएँ हैं उनकी "सांस्कारिता" को सुन्दर रूप में प्रस्तुत करते हैं।  

संगीत के संदर्भ में स्रोता और सभी लोगों की एक ही इच्छा रहती है कि इन सौंदर्य, संगीत और कला में वे ईश्वर की महानता को समझ सकें।

कलीसिया, संगीत और व्याख्याकार पर तृतीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ देते हुए संत पापा ने कहा, "मेरी शुभकामनाएँ हैं कि आप प्रत्येक दिन प्रतिदिन अपने-अपने तरीके से सुसमाचार और सुन्दरता के बेहतर व्याख्या में बढ़ते जाएँ जिसको पिता ने हमें येसु ख्रीस्त में प्रकट किया है तथा जिसके द्वारा ईश्वर के साथ पिता–पुत्र के संबंध की अभिव्यक्ति होती है।" अंत में, संत पापा ने उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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09 November 2019, 14:50