अमाजोन धर्मसभा अमाजोन धर्मसभा 

धर्मसभा का संगीत: भाग दो

पान-अमाजोन क्षेत्र पर विशेष धर्मसभा में ऊँचे स्वरों से निष्कर्ष एक बार फिर से ईश्वर की इच्छा को निकाला गया, "तुम मेरी प्रजा होगे और मैं ईश्वर होऊँगा।"

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 28 अक्टूबर 2019 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने रविवार की सुबह पान-अमाजोन क्षेत्र पर विशेष धर्मसभा का समापन संत पेत्रुस महागिरजाघर में पवित्र मिस्सा समारोह के साथ किया। अब इतिहास का ईश्वर, अपने लोगों का साथ देगा। खुद एक बार फिर से येसु के साथ "शिष्यों के रूप में" चलने के लिए अमाजोन के लोगों का गठन करेगा।

धर्मसभा संगीत शुक्रवार दोपहर को जारी रही। यहाँ, सभी धर्मसभा प्रतिभागियों द्वारा योगदान सहित, अंतिम दस्तावेज़ उनके हाथों में रखा गया।

रास्ते में चेले

जैसा कि अंतिम दस्तावेज़ कहता है, पूरे अमाजोन सिनॉड का अनुभव "विशेष रूप से शिष्यत्व की भावना में और ईश्वर के वचन और परंपरा के प्रकाश के तहत" किया गया था (अनुच्छेद 5)। यह वही रवैया है जिसके साथ धर्मसभा में भाग लेने वाले अनुभव को जारी रखना चाहते हैं, सिनोडिटी को अपनाते हुए, "प्रारंभिक कलीसिया बनने का तरीका" (अनुच्छेद 87)।

पहले शिष्यों के साथ सद्भाव में

येरुसालेम में आयोजित पहली परिषद के बाद प्रारंभिक कलीसिया का एकीकरण किया गया था: एक परिषद जिसने दो संस्कृतियों के बीच के संघर्ष को हल करने की मांग की, जैसे कि यह धर्मसभा कर रही है। वह पहली सभा पवित्र आत्मा के नाम पर एक निर्णय के लिए आई थी और उस निर्णय को एक पत्र में व्यक्त किया गया। येरुसालेम और अंतियोखिया दोनों समुदायों ने तब "निर्णय स्वीकार किया और इसे अपना बना लिया" (अनुच्छेद 89)। "वास्तव में सिनॉडल 'का अर्थ है, जीवन देने वाली आत्मा के आवेग के तहत सद्भाव में आगे बढ़ना" (अनुच्छेद 89), धर्मसभा आज के शिष्यों को याद दिलाती है।

सद्भाव में संस्कृति

धर्मसभा में इस बात का पता लगाया गया, अमाजोन धर्मसभा के हृदय में पान-अमाजोन क्षेत्र में कई लुप्तप्राय संस्कृतियों के साथ मिलकर सौहार्दपूर्ण रहने की इच्छा है। यह मार्ग "इस क्षेत्र और इसके निवासियों, विशेष रूप से आदिवासी लोगों" की हताशा की वास्तविकता में निहित है (अनुच्छेद 2)। "कलीसिया मानव व्यक्ति के अभिन्न उद्धार को बढ़ावा देती है, आदिवासी लोगों की संस्कृति का मूल्यांकन करती है, उनकी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की बात करती है, उनके अधिकारों के लिए संघर्ष में उनका साथ देती है" (अनुच्छेद 48)।, धर्मसभा ने पुष्टि की कि उनकी प्रेरितिक सेवा "एक ऐसी सेवा का गठन करती है जिसमें आदिवासी लोगों के जीवन के सभी पहलुओं को समाहित किया गया है जो हमें येसु मसीह और ईश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार के लिए बाध्य करता है ताकि सभी पापमय स्थितियों का अंत कर दिया जाए। संरचनाएं जो मृत्यु, हिंसा, आंतरिक और बाहरी अन्याय को सामने लाती हैं और पारस्परिक, अंतर-धार्मिक और पारिस्थितिक संवाद को बढ़ावा देती हैं।” (अनुच्छेद 80)

तीसरा चरण

धर्मसभा सिम्फनी ने फिर अपने तीसरे चरण में प्रवेश किया। अमाजोन में कलीसिया और समाज की समस्याओं का "निदान" संत पेत्रुस के उतराधिकारी संत पापा फ्रांसिस को दिया गया। उनकी इच्छा है कि कलीसिया और समाज के सभी सदस्य "निदान" पर ध्यान केंद्रित करें। यह निदान है कि सांस्कृतिक, सामाजिक, पारिस्थितिक और प्रेरितिक स्तरों पर रूपांतरण की आवश्यकता है।

परंपरा की भूमिका

संत पापा फ्रँसिस ने धर्मसभा के अपने अनुभवों को संक्षेप में कहा, “हम आज कलीसिया की समृद्ध परंपरा को समझने, सुनने और शामिल होने के लिए एक साथ चलने का अधिक से अधिक अर्थ समझ रहे हैं। यह परंपरा, जो अतीत की रक्षा करने के बजाय, "भविष्य की सुरक्षा है। यह "राख से भरा एक कलश" होने के लिए नहीं है, जो एक बार मौजूद एक कलीसिया की लाश को संरक्षित करता है। बल्कि, कलीसिया की परंपरा एक पेड़ की जड़ों की तरह है जो जीवन देने वाले रस को तनों में भेज देती है, जिससे यह विकसित होता है। यह हमें आगे बढ़ने में मदद करता है।”

आगे बढ़ते जाना

संत पापा ने पुरुषों और महिलाओं दोनों के अभिषेक होने या न होने के संबंध में उन प्रस्तावों की खोज करने के लिए अपने खुलेपन को व्यक्त किया। उन्होंने कलीसिया के सुसमाचार प्रचार मिशन को बढ़ावा देने के लिए अमाजोन क्षेत्र में कलीसिया के आयोजन के नए तरीके खोजने की आवश्यकता की भी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि कुछ प्रस्तावों को, रोमन कूरिया के सक्षम विभागों जैसे कि अमाजोन के लिए पूजन विधि के निर्माण और अमाजोन क्षेत्र में मानव विकास को, समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने हेतु गठित कार्यालय को सौंपा जाएगा ।

भव्य समापन

जैसा कि पहले से कहा गया है, अमाजोन पर हो रही धर्मसभा और कोई धर्मसभा नहीं, बल्कि पेत्रुस के उत्तराधिकारी के इर्द-गिर्द एकत्र हुई प्रारंभिक कलीसिया के अनुभव की निरंतरता है। जैसा कि पवित्र आत्मा ने शुरुआती कलीसिया के नेताओं को डीकनों के कार्यों का गठन करने, और यहूदी रीति-रिवाजों से अलग गैर-यहूदी रीति-रिवाजों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया। इसलिए पवित्र आत्मा कलीसिया का मार्गदर्शन करना जारी रखेगा क्योंकि वह पान-अमाजोन क्षेत्र से उभरने वाली आवश्यकताओं के प्रति प्रतिक्रिया दिखा रहा है।

पवित्र आत्मा की प्रेरणा के माध्यम से, इतिहास का ईश्वर अभी भी अपने लोगों का संचालन कर रहे हैं, अभी भी भव्य समापन में उनके साथ हैं जहां हम अंत में पिता ईश्वर के हृदय में वास करेंगे।

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28 October 2019, 17:00