अमाजोन धर्मसभा ब्रीफिंग: आदिवासियों की रक्षा करना
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, बुधवार 9 अक्टूबर 2019 (वाटिकन न्यूज) : संचार विभाग के प्रीफेक्ट डॉ. रुफ़िनी द्वारा किये गये समीक्षा के विषय थे, आदिवासियों के लिए संस्कारों की आवश्यकता, प्रेरिताई कार्यों में संलग्न लोगों के प्रशिक्षण की आवश्यकता, शोषणकारी लाभ के कारण विनाश और कलीसिया के भीतर सांस्कृतिक अनुकूलन।
विविधता से विवेक उत्पन्न होता है
सूचना के आयोग के सचिव फादर जाकोमो कोस्टा ने तैयार टिप्पणियों को प्रस्तुत किया और पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया। प्रत्येक प्रतिभागी अपने स्वयं के दृष्टिकोण और अपने विचारों को धर्मसभा के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र है। धर्मसभा बहस के बजाय चर्चा की ओर ले जाती है और विविधता धर्मसभा को वास्तविक विवेक का प्रयोग करने की स्वतंत्रता देती है।
कार्डिनल पेद्रो रिकार्दो बार्रेतो जिमेनो, एस.जे.
मंगलवार को पहले प्रवक्ता, हुआंकायो, पेरू के महाधर्माध्यक्ष और आरइपीएएम के उपाध्यक्ष, जेसुइट कार्डिनल पेद्रो बार्रेतो ने अमाजोन क्षेत्र में कलीसिया की भागीदारी को चिह्नित किया। उन्होंने कलीसिया की सक्रियता और उदासीनता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कलीसिया सदियों से अमाजोन लोगों के कष्टों के करीब रहा है, लेकिन उसे अतीत के अन्याय को भी पहचानना चाहिए और उनके लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने एक ही भाषा अर्थात प्यार की भाषा की इच्छा व्यक्त की। येसु के साथ शुरू हुई प्यार की भाषा, एक साथ चलने और एक सरल एवं विनम्र जीवन की गवाह है।
विक्टोरिया लूसिया ताउली-कॉर्पुज
विक्टोरिया लूसिया ताउली-कॉर्पुज, आदिवासियों के अधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत ने आदिवासियों पर हो रहे हिंसा को रेखांकित किया और उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जिसमें नेताओं के अपराध, भूमि का शोषण, प्रदूषण और यहां तक कि जनसंहार भी शामिल था। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा संरक्षित किया जाना चाहिए और उन्हें समर्थन देने के लिए कलीसिया द्वारा अपने नैतिक और आध्यात्मिक अधिकार का उपयोग करने के महत्व पर बल दिया।
मोइमा मारिया मारिकेस डी मिरांडा
अंतिम वक्ता, मोइमा मारिया डी मिरांडा, एक फ्रांसिसन लोकधर्मी ने एक प्रकाशना नोट पर प्रहार करता हुए कहा कि हम दुनिया के अंत की संभावना का अनुभव करने वाली पहली पीढ़ी हैं। संत पापा फ्राँसिस भी तात्कालिकता महसूस करते हैं। हाल के दशकों में ही हमने दुनिया में एक दूसरे से जुड़े रहने को मान्यता दी है, हम आदिवासियों से सीख सकते हैं कि सृष्टि की देखभाल और उससे जुड़कर कैसे रहना है। उसने कहा, “यह आश्चर्य की बात नहीं है कि "पृथ्वी के अन्य छोर" से भी ठीक यही आवाजें आ रही हैं – संत पापा फ्राँसिस और ग्रेटा थुनबर्ग जैसे लोग, जो हमें दिखा रहे हैं कि हम वास्तव में इतिहास में इस क्षण कहां खड़े हैं।”
प्रश्न और उत्तर
मुख्य प्रस्तुतियों के बाद, पत्रकारों ने पैनल से सवाल पूछा।
अमाजोन में राजनीतिक मामले में कलीसिया की भागीदारी के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में, मारिकेस डी मिरांडा ने अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के बीच संबंध के बारे में बात करते हुए कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि कैसे दुनिया रहने योग्य घर के रूप में बनाए रखने के लिए काम करती है। कार्डिनल बार्रेतो ने कहा कि यह एक ऐसा प्रश्न है जिसे वैश्विक संदर्भ में रखा जाना चाहिए और संत पापा फ्राँसिस के इस आग्रह पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि कुछ आधुनिक, तकनीकी लोकतांत्रिक मॉडल अब पर्याप्त या सक्षम नहीं हैं।
अधिकार और कर्तव्य
एक पत्रकार ने आदिवासी संस्कृति के पहलुओं के बारे में पूछा, जो मानव अधिकारों की समकालीन समझ के साथ हैं, विशेष रूप से शिशु हत्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कई अमाजोन के आदिवासियों द्वारा इसका अभ्यास किया जाता है। ताउली-कॉर्पुज़ ने स्वीकार किया कि कुछ आदिवासी प्रथाएँ "अजीब" हैं और आदिवासियों के अधिकारों का सम्मान करने और उनके कर्तव्यों के बीच संतुलन के बारे में चल रही एक बहस ने विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के बारे में अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार उनकी प्रथाओं के अनुरुप काम किया है। आदिवासी लोगों ने कहा कि उन्हें अपनी कुछ रीति-रिवाजों को सुधारना और बदलना चाहिए।
कार्डिनल बार्रेतो ने कहा कि उन्होंने कभी भी आदिवासियों के बीच भ्रूण हत्या की प्रथा के बारे में नहीं सुना था। उन्होंने कहा कि ऐसा दावा करने वाले लोगों को सबूत पेश करना होगा। हालांकि, पैतृक ज्ञान के मूल्य को पहचानते हुए, उन्होंने स्वीकार किया कि येसु हमें जीवन की रक्षा करने के लिए कहते हैं। जीवन की संस्कृति सुसमाचार के लिए आवश्यक है।
सुनने का महत्व
धर्मसभा में विविधता पर सवाल के जवाब में, फादर कोस्टा ने कहा कि प्रतिभागियों के बीच निश्चित रूप से मतभेद थे। हालांकि, धर्मसभा के प्रारूप ने यह सुनिश्चित किया कि प्रतिभागी दूसरों के साथ सीधे विवाद में पड़े बिना अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। उन्होंने फिर से सुनने के महत्व पर जोर दिया, ताकि सभी राय सुनी जा सकें।
उन्होंने कहा संसद के विपरीत, धर्मसभा फैसले नहीं करेगी, लेकिन संत पापा फ्राँसिस के लिए सुझाव और प्रस्ताव पेश करेगी, जो अंततः आगे के मार्ग का प्रदर्शन करेंगे।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here