अमाजोन सिनॉड के प्रतिभागियों के साथ सं पापा फ्राँसिस अमाजोन सिनॉड के प्रतिभागियों के साथ सं पापा फ्राँसिस 

अमाजोन सिनॉड : अंतिम दस्तावेज़ के प्रारुप की प्रस्तुति

पान-अमाजोन क्षेत्र के लिए धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की विशेष सभा का 14वां महाधिवेशन सोमवार 21 अक्टूबर को संत पापा फ्राँसिस की उपस्थिति में हुआ। एक सौ चौरासी प्रतिभागी धर्मसभा सत्र के लिए हॉल में उपस्थित थे। 27 अक्टूबर, रविवार को धर्मसभा का समापन होगा।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 21 अक्टूबर 2019 ( वाटिकन न्यूज) : धर्मसभा के अध्यक्ष कार्डिनल क्लाउडियो ह्यूमेस ने सोमवार सुबह सिनॉड हॉल में प्रतिभागियों के सामने अमाजोन धर्मसभा के अंतिम दस्तावेज का प्रारूप प्रस्तुत किया। प्रारुप में सभा के दौरान प्रस्तुत किए गए हस्तक्षेपों के फल को एक साथ इकट्ठा किया गया है, अब यह "सामूहिक रूप से" चर्चा के लिए छोटे समूहों को दिया जाएगा।

आने वाले दिनों का कार्यक्रम

विशेषज्ञों की मदद से संशोधन को जनरल और विशेष सचिवों द्वारा अंतिम दस्तावेज में डाला जाएगा। फिर प्रारुप को संपादकीय समिति द्वारा संशोधित किया जाएगा और शुक्रवार की दोपहर को, दस्तावेज को 15वीं महाअधिवेशन के दौरान पढ़ा जाएगा। अंत में, शनिवार की दोपहर को, 16 वें महाअधिवेशन में, धर्मसभा प्रतिभागी धर्माध्यक्ष दस्तावेज़ पर मतदान करेंगे।

महाधर्माध्यक्ष हेक्टर काब्रेजोस विदार्ते का प्रवचन  

सोमवार का सत्र सामान्य रूप से प्रातः प्रार्थना के साथ शुरू हुआ। मेक्सिको के ट्रूजिलो के महाधर्माध्यक्ष हेक्टर काब्रेजोस विदार्ते द्वारा प्रवचन दिया गया, वे लैटिन अमेरिकी एपिस्कोपल काउंसिल (सीइएलएएम) के अध्यक्ष हैं। उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों को संत फ्रांसिस असीसी और उनके "जीवों के भजन" के उदाहरण को देखने के लिए आमंत्रित किया। संत फ्रांसिस के लिए, "सौंदर्य सौंदर्यशास्त्र का सवाल नहीं था, लेकिन प्रेम का, भाईचारे का और किसी भी कीमत पर अनुग्रह था।"। असीसी के संत ने, "सभी प्राणियों को एक प्रेम और एक भक्ति के साथ देखा। उनहोंने सभी प्राणियों को प्रभु की महिमागान करने हेतु प्रेरित किया। इस अर्थ में, संत फ्रांसिस प्रकृति के लिए मध्ययुगीन भावना के प्रवर्तक बन गए।

जानें, पहचानें और पुनर्स्थापित करें

महाधर्माध्यक्ष हेक्टर ने कहा कि तीन शब्द - "जानना, पहचानना और पुनर्स्थापित करना" - असीसी के गरीब की आध्यात्मिक यात्रा के "लय" को चिह्नित किया। सर्वोच्च अच्छाई को जानना, उसके लाभों को पहचानना और उसकी प्रशंसा करना। प्रशंसा का अर्थ है, पुनर्स्थापन करना। मानव प्राणी ईश्वर की प्रशंसा करने में असमर्थ हैं जैसा कि उन्हें करना चाहिए, क्योंकि पाप ने प्रभु के साथ रिश्ते को घायल कर दिया है।" प्रभु की प्रशंसा कर मनुष्य प्रभु से अपने रिश्ते को पुनर्स्थापित करता है। 

सुबह के सत्र को एक विशेष अतिथि के संवाद से समाप्त किया गया, जो अभिन्न पारिस्थितिकी के विषय पर विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित था।

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21 October 2019, 16:35