खोज

संत पेत्रुस महागिरजाघर में प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस संत पेत्रुस महागिरजाघर में प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस 

विश्व मिशन दिवस पर संत पापा : मिशन और उपहार के रूप में जीवन

संत पापा ने रविवार 20 अक्टूबर को ‘विश्व मिशन दिवस’ पर संत पेत्रुस महागिरजाघर में पवित्र युखरीस्तीय समारोह का अनुष्ठान किया। अपने प्रवचन में, उन्होंने मिशन के अर्थ पर चिंतन करते हुए चुनौती दी।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 21 अक्टूबर 2019 ( वाटिकन न्यूज) : 1926 में, संत पापा पियुस ग्यारहवें ने निर्णय किया कि कलीसिया को मिशनरियों के लिए प्रार्थना करने और मिशनों के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने हेतु एक विशेष दिन की आवश्यकता है। तभी से  विश्व मिशन दिवस अक्टूबर महीने के अंतिम रविवार के पहले आने वाले रविवार को पूरे विश्व में हर जगह मिशन और मिशनरियों के लिए समर्थन और एकजुटता के संकेत के रूप में मनाया जाता है।

एक संज्ञा, एक क्रिया और एक विशेषण

संत पापा फ्राँसिस ने अपने प्रवचन के लिए रविवारीय पाठों के आधार पर तीन शब्दों का चुनाव किया, “एक संज्ञा, एक क्रिया और एक विशेषण।”  जिस संज्ञा को उन्होंने चुना वह है,"पहाड़।"  यह नबी इसायाह के ग्रंथ से लिए गये पहले पाठ में और फिर से सुसमाचार में, "अपने पुनरुत्थान के बाद येसु चेलों को गलीलिया के पहाड़ पर उससे मिलने के लिए कहते हैं। संत पापा ने कहा, “ऐसा लगता है, "मानवता से भेंट करने के लिए ‘पहाड़’ ईश्वर की पसंदीदा जगह है।" सिनाई पहाड़ और कार्मेल पहाड़, पहाड़ पर येसु का उपदेश, ताबोर पहाड़ पर येसु का रुपांतरण, कलवारी पहाड़ पर येसु का क्रूस पर चढ़ना और जैतून पहाड़ से उनका स्वर्गारोहण। "पहाड़ वह जगह है जहाँ येसु ने स्वर्ग और पृथ्वी को एक करने के लिए प्रार्थना में कई घंटे बिताया करते थे।"

संज्ञा: "पहाड़"

पहाड़ हमें बताता है कि हम मौन और प्रार्थना में "ईश्वर से मुलाकात करने के लिए बुलाये जाते हैं जिससे कि हम गपशप और दूसरों की अफवाह करने से बचे रहें। हम पहाड़ से चीजों को एक अलग परिप्रेक्ष्य में देखते हैं। "पहाड़ ईश्वर और हमारे भाई-बहनों को प्रार्थना के एक ही आलिंगन में एकजुट करता है।" यह हमें क्षणिक चीज़ों से दूर ले जाता है, और हमें आवश्यक एवं स्थायी चीजों की खोज करने में हमारी मदद करता है।

संत पापा फ्राँसिस ने पुष्टि करते हुए कहा, “मिशन पहाड़ पर शुरू होता है, वहां हमें पता चलता है कि वास्तव में मिशन क्या मायने रखता है और हम कितनी ऊँचाई तक चढ़ना चाहते हैं।”

क्रिया: "ऊपर जाना"

संत पापा फ्राँसिस ने संज्ञा "पर्वत" के साथ आने वाली क्रिया "ऊपर जाना" की पहचान करते हुए अपना चिंतन जारी रखा। संत पापा ने कहा, हम जमीन पर बने रहने के लिए पैदा नहीं हुए हैं, "हम ऊंचाइयों तक पहुंचने तथा ईश्वर और हमारे भाई-बहनों से मिलने के लिए पैदा हुए हैं।" उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि "हमारे आत्म-केंद्रित होने के गुरुत्वाकर्षण के बल के विपरीत हमें ऊपर जाने का प्रयास करना है। जैसा कि कोई भी पर्वतारोही जानता है कि ऊपर चढ़ना ही एक बेहतर दृश्य प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है।"

संत पापा ने कहा कि ऊपर चढ़ने के लिए हम भारी और अनावश्यक चीजों को छोड़ते हुए आगे बढ़ते हैं। यही "मिशन का रहस्य भी है: सुसमाचार की घोषणा के लिए हमें अपने जीवन को बदलना होगा। भौतिक और सांसारिक अनावश्यक वस्तुओं को त्यागना होगा। तभी हम खुले मन और दिल से ईश्वर और लोगों से मुलाकात करने पहाड़ पर चढ़ पायेंगे।

विशेषण: "सभी"

संत पापा ने पाठों पर ध्यान केंद्रित कराते हुए कहा कि इसायाह “सभी लोगों” की बात करते हैं। यही बात स्तोत्र भजन में भी दोहरायी गई है। संत पौलुस लिखते हैं, ईश्वर ने "सभी को बचाना" चाहा। सुसमाचार में येसु कहते हैं, "जाओ और सभी देशों को शिष्य बनाओ।" संत पापा ने कहा कि ईश्वर को पता है कि हम हमेशा 'मेरे' और 'हमारे' शब्दों का उपयोग करते हैं,"लेकिन वे "सभी" शब्द का उपयोग करते हैं, क्योंकि "कोई भी उनके दिल से बाहर नहीं है; क्योंकि हर कोई एक अनमोल खजाना है और जीवन का अर्थ केवल दूसरों को यह खजाना देने में पाया जाता है। यह हमारा मिशन है, "सभी के लिए प्रार्थना करने हेतु पहाड़ चढ़ना और पहाड़ से नीचे उतर कर सभी के लिए एक उपहार बनना।"

मिशन के लिए निर्देश

संत पापा फ्राँसिस ने हमें उन निर्देशों की याद दिलाई जो प्रभु हमें "दूसरों के पास आगे बढ़ने हेतु" देते हैं। केवल एक मिशन है और वह बहुत ही सरल है, "शिष्य बनाओ", हमारे अपने नहीं, बल्कि "उनके शिष्य"। एक शिष्य “प्रतिदिन गुरु का अनुसरण करता है और दूसरों के साथ शिष्य होने के आनंद को साझा करता है। प्रभु का शिष्य बनाना, जबरदस्ती से, जनादेश या धर्म परिवर्तन कराने से नहीं, बल्कि साक्षी द्वारा।

संत पापा ने कहा कि हमारा मिशन "हमारे विश्व के प्रदूषण में डूबे लोगों को शुद्ध और ताजी हवा देना" है। हमारा मिशन "साक्षी, आशीर्वाद, सांत्वना, ऊपर उठाना और येसु की महानता का प्रसार करना है।"

संत पापा फ्राँसिस ने प्रवचन के अंत में कहा, “आपका जीवन एक अनमोल मिशन है, यह वहन करने का बोझ नहीं है, लेकिन दूसरों को भेंट करने का एक उपहार है। इसलिए हिम्मत रखें! आइए, हम निडर होकर सभी के पास आगे बढ़ें!”  

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

21 October 2019, 16:51