आयरलैंड के कपुचिन पुरोहितों के साथ संत पापा फ्राँसिस आयरलैंड के कपुचिन पुरोहितों के साथ संत पापा फ्राँसिस  

दीन और गरीब मिशनरी बनें, कपुचिन पुरोहितों से संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 10 अक्टूबर को इटली प्रोविंस मार्के के 73 कपुचिन पुरोहितों से मुलाकात की। उन्होंने उनके साथ बुलाहट, गरीबी, क्षमाशीलता और सुसमाचार प्रचार आदि विषयों पर चर्चा की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019 (रेई)˸ संत पापा ने कपुचिन पुरोहितों को ईश्वर के बुलावे का स्मरण दिलाते हुए कहा कि वे कई तरह से बुलाते हैं। ईश्वर मन-परिवर्तन हेतु निमंत्रण देते हुए बुलाते हैं। यह एक बड़ा चुनाव है जो एक समर्पित व्यक्ति को जीवन की राह पर आगे ले चलता है। इस रास्ते पर एक खतरा भी है कि हम अपने आपको शामिल नहीं करते अथवा ईश्वर को सवाल करने नहीं देते हैं। संत पापा ने इसे "धार्मिक असीडिटी" (अम्ल) कहा जो उदासी की जड़ है। 

संत पापा ने कहा कि समर्पित लोग "अन्याय के संग्राहक" बन जाते हैं जब वे एक खास मनोभाव धारण कर लेते हैं जिसके अनुसार वे हमेशा महसूस करते हैं कि वे शिकार हैं और लगातार शिकायत करते रहते हैं। संत पापा ने येसु की संत तेरेसा का उदाहरण देते हुए कहा कि वे ऐसे लोगों को चेतावनी देते हैं जो अपने को अन्याय के शिकार मानते हैं। उन्होंने कहा कि इस मनोभाव में बदलाव लाने की जरूरत है। समुदाय में प्रवेश करने का अर्थ है मन परिवर्तन की ओर बढ़ना जो दीन बनने के लिए प्रेरित करता है।  

दीनता और गरीबी द्वारा ख्रीस्त का साक्ष्य देना

संत पापा ने उन्हें बातचीत में विशेषण का प्रयोग नहीं बल्कि नाम के ईशशास्त्र का प्रयोग करने की सलाह दी जो कि फ्राँसिसकन मनोभाव है। उन्होंने मिशनरी होने के बारे भी उन्हें बतलाया। उन्होंने कहा कि एक समर्पित व्यक्ति के रूप में हम अपने बारे नहीं सोचते बल्कि एक साक्षी के रूप में जीते हैं। हमें किसी पर जबरदस्ती नहीं करना है बल्कि अपने जीवन, अपने वचनों एवं कर्मों से लोगों को येसु के बारे बतलाना है जैसा कि संत फ्राँसिस असीसी ने किया।  

यह संयोग नहीं है कि आधुनिक संत भी, जैसे कि कोलकाता की मदर तेरेसा, अपने साक्ष्य के कारण जीवन में विश्वासियों एवं गैर-विश्वासियों से अत्यधिक सम्मान प्राप्त करते हैं। संत पापा ने कपुचिन पुरोहितों को निमंत्रण दिया है कि वे विनम्रता और गरीबी का साक्ष्य दें, जिसको उन्हें अपने दैनिक जीवन में जीना होगा, यह याद करते हुए कि शैतान पॉकेट के माध्यम से प्रवेश करता है।  

दुनियावी भावना कलीसिया हेतु हानिकारक 

संत पापा ने दुनियादारी की भावना पर भी प्रकाश डाला और कहा कि कलीसिया भी कभी-कभी इसकी ओर फिसलने लगती है। दुनियावी मनोभाव कलीसिया को हानि पहुँचाती है। येसु खुद अपने शिष्यों को दुनियावी मनोभाव से दूर रखने के लिए पिता से प्रार्थना करते हैं। वे उन्हें दुनिया से नहीं बल्कि दुनियावी मनोभाव से बचाना चाहते हैं जो सब कुछ को नष्ट करता और झूठा बना देता है। इस बुराई का सामना करने के लिए हमें विनम्र बनने की आवश्यकता है।  

कलीसिया के लिए दूसरा बड़ा प्रलोभन है याजकवाद, जो दुनियादारी से उत्पन्न होता है। यह सेवक से मालिक बनने की जोखिम में डाल देता है। यह महत्वपूर्ण है कि कलीसियाई समुदाय में सेवा की संरचना की पुनःखोज की जाए। तब संत पापा ने कपुचिन पुरोहितों को अपने धर्मसमाज के नियमों को जीने, दूसरों को स्वीकार करने और उनका सम्मान करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भाईचारापूर्ण एकता स्वाभाविक है और इसे कृत्रिम रूप से निर्मित नहीं किया जा सकता। यह पवित्र आत्मा की कृपा है तथा क्षमाशीलता के द्वारा पोषित होता है।

क्षमा करने से कभी न थकें

संत पापा ने करूणा के बारे में कहा कि ईश्वर क्षमा करने से कभी नहीं थकते, पर हम क्षमा करने से थक जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें सहानुभूति एवं दूसरों के लिए रोने की क्षमता की पुनः खोज करनी होगी।

यूरोप में सुसमाचार प्रचार की आवश्यकता

संत पापा ने यूरोप में सुसमाचार प्रचार की आवश्यकता बलतायी। उन्होंने कहा कि युवा कलीसियाओं को पुराने महादेशों को विश्वास में ताजा होने में मदद देना होगा। उन्होंने फिलीपींस की महिलाओं के साक्ष्यों को सामने रखा जो धनी परिवारों में सेवा देती हैं। वे उन परिवारों के युवाओं एवं बच्चों के साथ प्रतिदिन बातचीत करते हुए उनकी धर्म शिक्षिका बन जाती हैं।

संत पापा ने मुलाकात के अंत में कपुचिन पुरोहितों को सलाह दी कि वे युवाओं को साक्ष्य देने हेतु पहल शुरू करें जो फ्राँसिसकन मनोभाव से प्रभावित हैं तथा आनन्द एवं सरलता के कारिज्म के लिए अपने आप को खोलना चाहते हैं। संत फ्राँसिस असीसी इसके उत्तम आदर्श हैं।  

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11 October 2019, 17:11