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विश्व खाद्य दिवस पर संत पापा : गरीबों की रोटी बर्बाद न करें

संत पापा फ्रांसिस ने विश्व खाद्य दिवस पर संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन के महानिदेशक, क्यू डोंग्यू को एक संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने "भोजन और पोषण के बीच विकृत संबंध" के लिए अपनी चिंता व्यक्त की।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 16 अक्टूबर 2019 (रेई) :  संत पापा फ्राँसिस ने रोम के (एफएओ) संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन मुख्यालय में विश्व खाद्य दिवस पर वार्षिक सम्मेलन के लिए एकत्रित प्रतिभागियों को एक संदेश भेजा।

संत पापा ने संदेश में लिखा कि विश्व खाद्य दिवस का वार्षिक उत्सव हमें अपने उन भाई-बहनों के अनुनय-विनय से वाकिफ करता है जो भूख और कुपोषण से पीड़ित हैं। हाल के दशकों में किए गए प्रयासों के बावजूद, सतत विकास 2030 के एजेंडा को दुनिया के कई हिस्सों में लागू किया जाना बाकी है। हमारे भाइयों और बहनों के इस अनुनय का जवाब देने के एक तरीके के रूप में, एफएओ द्वारा चुनी गई इस वर्ष की थीम “हमारे कार्य हमारे भविष्य हैं विश्व के लिए स्वस्थ आहार” भोजन और पोषण के बीच के विकृत संबंध की ओर संकेत करती है।

जरूरत से ज्यादा खाना और खाने की बर्बादी 

संत पापा ने लिखा कि भोजन जीविका निर्वाह का साधन है परंतु अत्यधिक सेवन व्यक्तिगत विनाश का कारण बन जाता है। दुनिया के 820 मिलियन लोग भूख से पीड़ित हैं, जबकि लगभग 700 मिलियन अधिक वजन वाले लोग हैं, जो अनुचित आहार आदतों के शिकार हैं। इस तरह के लोग न केवन धनी देशों में बल्कि गरीब देशों में भी पाए जाते हैं, जहां वे विकसित क्षेत्रों से आयात आहार मॉडल की नकल करते हैं। खराब पोषण के कारण, विकृति न केवल "अधिकता" के कारण होने वाले असंतुलन से उत्पन्न होती है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर मधुमेह, हृदय रोग और अपक्षयी रोग होते हैं, लेकिन दस्तावेज बताते हैं कि अन्य रूप बुलीमिया और एनोरेक्सिया की "कमी" के कारण भी मृत्यु दर बढ़ रही है।

एक सरल और शांत जीवन शैली

यह वास्तविकता हमारे जीने और कार्य करने के तरीके में बदलाव लाने के लिए कहती है और पोषण एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक बिंदु का प्रतिनिधित्व करता है। हमारा जीवन सृष्टि के फल पर निर्भर है इन वस्तुओं की देखभाल और इस्तेमाल  करने में लापरवाही नहीं की जानी चाहिए। पोषण संबंधी विकारों का मुकाबला हमारे द्वारा प्राप्त उपहारों के लिए कृतज्ञता से प्रेरित जीवन शैली, संयम और आत्म-नियंत्रण की भावना को अपनाने से किया जा सकता है। ये सद्गुण, जो मानवता के इतिहास से हमारे साथ हैं, हमसे और अधिक सरल और शांत जीवन की मांग करते हैं और इस तरह की जीवन शैली को अपनाने से, हम एकजुटता में विकसित होंगे जो आम अच्छाई की ओर ले जाती है और व्यक्तिवाद और अहंकारवाद से बचाती है, जो केवल भूख और सामाजिक असमानता उत्पन्न करती है। इस तरह की जीवन शैली, अपने भाइयों और बहनों के साथ एक स्वस्थ संबंध बनाने में सक्षम बनाएगी।

परिवार की भूमिका

संत पापा फ्राँसिस परिवार द्वारा निभाई गई प्राथमिक भूमिका पर जोर देते हुए लिखा, "परिवार के भीतर महिलाओं और माताओं की विशेष संवेदनशीलता और ज्ञान के लिए धन्यवाद, हम सीखते हैं कि बिना बर्बाद किये हमें पृथ्वी की उपज का आनंद कैसे लेना है।"

गरीबों की रोटी

संत पापा फ्राँसिस ने विश्व खाद्य दिवस के लिए अपने संदेश को यह कहते हुए समाप्त किया कि "जब तक हम व्यक्तिगत स्वार्थ और जमा करने की प्रवृति से ऊपर नहीं उठेंगे, तब तक भूख और कुपोषण के खिलाफ लड़ाई समाप्त नहीं होगी।" हमारी पहली चिंता हमेशा मनुष्यों के लिए होनी चाहिए। "हमें यह महसूस करना चाहिए कि हम जो जमा कर रहे हैं और बर्बाद कर रहे हैं वह गरीबों की रोटी है।"

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16 October 2019, 16:37