संत पापा वाटिकन की वाटिका मेें पेड़ को पानी देते हुए संत पापा वाटिकन की वाटिका मेें पेड़ को पानी देते हुए 

वाटिकन वाटिका में संत फ्रांसिस अस्सीसी का त्योहार

अस्सीसी के संत फ्रांसिस के पर्व दिवस पर वाटिकन की वाटिका में संत पापा फ्रांसिस ने वृक्षारोपण किया और अमाजोन धर्मसभा को उनके हाथों में सुपुर्द किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2019 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन की वाटिका में संत फ्रांसिस अस्सीसी का त्योहार माना। इस उपलक्ष्य में अमाजोन से धर्मसभा में भाग लेने हेतु आये प्रतिनिधियों ने प्रतिकात्मक रुप में अमाजोन के हाल ब्याँ किये जो सारी मानव को सभी रुपों में पृथ्वी से संयुक्त करती है। 

संत फ्रांसिस और पारिस्थितिकी

पारिस्थितिकी हेतु प्रार्थना का आह्वान जो विगत महीना के 01 सितंबर से शुरू किया गया था उनका समापन 04 अक्टूबर संत अस्सीसी से पर्व दिन किया गया। यह साल अस्सीसी के संत घोषणा की 40वें वर्षों की भी याद दिलाती है जब संत पापा जोन पौल द्वितीय ने उन्हें “प्रार्यवरण का संरक्षण संत” घोषित किया था। यद दिन इसलिए भी अपने में अर्थपूर्ण और महत्वपूर्ण दोनों रहा क्योंकि आज से ठीक दो दिन बाद अमाजोन धर्मसभा की शुरूआत होगी जहाँ पारिस्थितिकी और इससे संबंधित अभिन्न मुद्दों पर चर्चा किये जायेंगे।

आयोजकों और प्रतिभागियों

वाकिटन की वाटिका में इस कार्यक्रम का आजोजन पैन-अमेजोनिया कीलिया समुदाय, द ऑर्डर ऑफ फ्रांसिस्कन फ्रायर्स माइनर, और ग्लोबल कैथोलिक क्लाइमेट मूवमेंट द्वारा किया गया, जबकि विभिन्न धार्मिक मंडलियों और अमाजोन क्षेत्र के स्वदेशी लोगों के प्रतिनिधियों ने खास रुप में इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

संकेत और प्रतीक

समारोह का समापन अस्सीसी से लाया गया होल्म ओक के रोपण के साथ हुआ। माना जाता है इस वृक्ष का नाम पुराने एंग्लो-सैक्सन शब्द "होल्ली" से आया है जो हमारा ध्यान "पवित्र" की ओर कराता है।

इस समारोह के दौरान कई तरह के संकेतों और प्रतीकों का उपयोग किया गया। मिट्टी जिसमें पेड़ लगाया गया वह भी अपने में अति विशिष्ट थी जो अमाजोन से लायी गयी थी। यह मिट्टी बायोरगियन की संस्कृतियों और परंपराओं के लिए धनी मनी जाती है। धरती, जलवायु संकट सबसे कमजोर देशों का प्रतिनिधित्व करती है, जहां सूखा और बाढ़ से लाखों लोग तबाह हो जाते हैं; अमाजोन की मिट्टी शरणार्थियों और प्रवासियों का प्रतिनिधित्व करती जो युद्ध, गरीबी और पारिस्थितिकी तबाही के कारण अपने घरों को छोड़ने हेतु मजबूर होते हैं। इसके साथ ही कई स्थानों से मिट्टियाँ लाई गयी थीं विशेषकर मानव तस्करी और दुनिया भर में स्थायी विकास परियोजनाओं से प्रभावित देश कीं। अमाजोन की मिट्टी को पृथ्वी की सुरक्षा में बहाये गये खून से सनी हुई मिट्टी कहा गया।

कार्यक्रम के दौरान “सृष्ट प्राणियों का गीत” जिसकी रचना 13वीं शताब्दी, इतालवी भाषा में की गई थी जो  साहित्य के पहले कार्यों में से एक मानी जाती है प्रार्थनामय-कविता स्वरुप संगीत में वृक्षारोपण समारोह के दौरान गाया गया।

यह ज्ञान का समय 

मानव समग्र विकास हेतु स्थापित परमधर्मपीठीय के अध्यक्ष  कार्डिनल पीटर कर्टसन ने कार्यक्रम के शुरूआत में कहा कि “निर्माण का मौसम” “भविष्य की ओर केवल प्रेरितिक संकेत नहीं... बल्कि यह ज्ञान का समय है”, यह पारिस्थितिकी में उत्पन्न होने वाले संकट का जवाब देने का समय आह्वान है। संत पापा फ्रांसिस द्वारा विश्व सृष्टि दिवस के संदेश को उद्धृत करते हुए, कार्डिनल ने कहा, "यह परिवर्तन का समय है, पृथ्वी रूपी ग्रह को बचाने हेतु मानव को कदम उठाने की जरुरत है।”

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04 October 2019, 17:24