संत घोषणा समारोह में प्रवचन देेते संत पापा संत घोषणा समारोह में प्रवचन देेते संत पापा 

दुनिया के धुंधलेपन में नये संत हैं "शांत प्रकाश"

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 13 अक्टूबर को संत पापा फ्राँसिस ने समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए 5 नये संतों की घोषणा की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 14 अक्तूबर 2019 (रेई)˸ इस अवसर पर प्रवचन में उन्होंने संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए कहा, "तुम्हारे विश्वास ने तुम्हारा उद्धार किया है।'' (लूक.17:19) यही आज के सुसमाचार की चरम-सीमा है जो विश्वास की यात्रा को प्रतिबिम्बित करता है। विश्वास की इस यात्रा के तीन चरण हैं। हम उन्हें कोढ़ियों के व्यवहार में देख सकते हैं जिनको येसु चंगा करते हैं। वे पुकारते हैं, चलते और धन्यवाद देते हैं।

पुकारना

कोढ़ी भयंकर परिस्थिति में थे न केवल उस बीमारी के कारण जो आज भी फैला हुआ है और जिसे लगातार संघर्ष करना चाहिए बल्कि समाज से बहिष्कृत होने के कारण। येसु के समय में कोढ़ग्रस्त लोगों को अशुद्ध माना जाता था और ऐसी स्थिति में उन्हें दूर रखा जाना और उनसे सावधान रहना था। हम देखते हैं कि जब वे येसु के पास आते हैं तो कुछ दूरी रखते हैं (लूक. 17.12) यद्यपि उनकी स्थिति उन्हें अलग करती थी, सुसमाचार बतलाता है कि "वे पुकारते" (पद.13) और येसु से अनुनय-विनय करते हैं। समाज से अलग कर किये जाने के कारण वे अपने आप को अपंग नहीं बना लेते हैं किन्तु ईश्वर को जो किसी को अलग नहीं करते पुकारते हैं। हम देख सकते हैं कि जब हम अपने आपमें और अपनी समस्याओं में बंद नहीं होते और इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं देते कि लोग क्या कहेंगे, तब किस तरह दूरियाँ कम हो जाती हैं और अकेलापन को दूर किया जा सकता है किन्तु इसके लिए प्रभु को पुकारना है क्योंकि प्रभु उन लोगों की पुकार सुनते हैं जो अपने आपको अकेला पाते हैं।  

उन कोढ़ियों की तरह हम प्रत्येक को भी चंगाई की आवश्यकता है। हमें अपने आप में आत्मविश्वास की कमी से चंगाई पाने की जरूरत है। हमें अपने जीवन में भय एवं बुराइयों से छुटकारा पाना है। आत्‍म-केंद्रित, लतों, भय तथा खेल, धन, टेलीविजन, मोबाईल फोन आदि की आसक्ति से मुक्ति पाना है जो हमें गुलाम बनाते हैं। प्रभु हमारे हृदय को मुक्त एवं चंगा तभी करते हैं जब हम उनसे मांगते, "प्रभु मैं आप पर विश्वास करता हूँ मुझे चंगा कर। मुझे अपने आपमें बंद रहने, भय और बुराई से मुक्त कर।"

इस सुसमाचार पाठ में कोढ़ी सबसे पहले येसु को पुकारते हैं। बाद में एक अंधा और भला डाकू भी उन्हें पुकारेंगे। ये सब के सब जरूरतमंद व्यक्ति थे जिन्होंने येसु को पुकारा जिसका अर्थ है कि "येसु बचाते" हैं। उन्होंने येसु को सीधे नाम लेकर पुकारा। किसी को नाम लेकर पुकारने का चिन्ह है उसपर विश्वास होना और यह प्रभु को प्रसन्न करता है। इस तरह बिना संदेह, भरोसे के साथ प्रार्थना करने से विश्वास बढ़ता है। प्रार्थना में हम सच्चे और खुले हृदय से दुःखों को ढाँकने की कोशिश किये बिना प्रभु के पास आयें। प्रतिदिन दृढ़ता के साथ येसु का नाम लें। "ईश्वर बचाते हैं" यह एक प्रार्थना है इसे हम दुहरायें। निश्चय ही प्रार्थना विश्वास का रास्ता है यह हृदयों की दवा है।

चलना

संत पापा ने कहा कि आज के इस छोटे सुसमाचार पाठ में कई बार चलने की क्रिया हुई है। यह अचंभित करने वाली बात है कि कोढ़ी येसु के सामने नहीं बल्कि बाद में, चलते समय चंगे हुए। पाठ बतलाता है कि "वे रास्ते में ही नीरोग हो गये।" (पद. 14) वे येरूसालेम जाते समय, ऊपर चढ़ते हुए चंगे हुए। जीवन की यात्रा में, शुद्धिकरण रास्ते पर होता है, बहुधा ऊपर चढ़ते हुए। विश्वास हमें यात्रा हेतु निमंत्रण देती है, अपने आप से बाहर निकलने के लिए और यदि हम अपने आरामदायक क्षेत्र को छोड़ते हैं, यदि हम अपने सुरक्षित बंदरगाह एवं सुखद घोंसले को त्यागते हैं तब यह चमत्कार करती है। विश्वास देने और जोखिम उठाने से बढ़ता है। यह हमारे रास्ते को ईश्वर पर भरोसा से सजाने के द्वारा विकसित होता है, दीन और व्यवहारिक कदमों से दृढ़ होता है जैसा कि कोढ़ी लोगों ने और नमान ने किया।

नमान के बारे हम पहले पाठ में सुनते हैं ( 2 राजा 5:14-17) जो यर्दन नदी में स्नान करने गया। हमारे लिए भी यही बात लागू होती है। हम विनम्रता एवं स्नेह दिखाकर विश्वास में बढ़ते हैं। हर दिन धीरज धरने और येसु से लगातार प्रार्थना करने के द्वारा हम इस राह पर आगे जा सकते हैं।

धन्यवाद देना

कोढ़ियों की यात्रा की एक रूचिकर बात ये है कि वे एक साथ आगे बढ़ते हैं। सुसमाचार बतलाता है कि "वे रास्ते में ही नीरोग हो गये।" (पद. 14) विश्वास का अर्थ है अकेला नहीं, एक साथ चलना। चंगे हो जाने के बाद वे अपनी-अपनी राह चले जाते हैं और सिर्फ एक व्यक्ति धन्यवाद देने के लिए लौटता है, तब येसु आश्चर्य करते हैं, ''क्या दसों नीरोग नहीं हुए? तो बाक़ी नौ कहाँ हैं?" (पद. 17) यह ऐसा लगता है कि मानो वह सभी का प्रतिनिधित्व कर रहा हो। यह हमारा कर्तव्य है कि हम यूखरिस्त के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन करते हैं। हम उन लोगों की सुधि लेते हैं जो रूक गये हैं, जिन्होंने रास्ता खो दिया है। हम भटके हुए भाई-बहनों की खोज करने के लिए बुलाये गये हैं। हमें उनकी मध्यस्थता करनी है। हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें अपने हृदय के करीब रखें। क्या आप विश्वास में बढ़ना चाहते हैं? यदि हाँ तब हम किसी भटके अथवा दूर चले गये भाई या बहन की चिंता करें।

संत पापा ने कहा कि धन्यवाद देना अंतिम चरण हैं। येसु ने उसी व्यक्ति से कहा "तुम्हारे विश्वास ने तुम्हारा उद्धार किया है।'' (19) जो येसु को धन्यवाद देने लौटा। हम यहाँ देखते हैं कि अंतिम लक्ष्य स्वस्थ या चंगा होना नहीं है बल्कि येसु के साथ मुलाकात करना है। मुक्ति सुस्वस्थ रहने के लिए एक ग्लास पानी पीने के समान नहीं है बल्कि स्रोत के पास जाना है जो येसु हैं। वे ही हमें बुराई से मुक्ति और आत्मा की चंगाई प्रदान कर सकते हैं। उनके साथ मुलाकात ही हमें चंगा कर सकता है जीवन को भरा-पूरा एवं सुन्दर बना सकता है। जब कभी हम येसु से मुलाकात करते हैं धन्यवाद शब्द स्वतः मुँह से निकलना चाहिए, क्योंकि हमने अपने जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज को पाया है। जो न केवल कृपा प्राप्त करना है अथवा किसी समस्या का हल पाना है बल्कि येसु के जीवन को अपनाना है।  

यह देखना आकर्षक था कि जो व्यक्ति चंगा हुआ वह एक समारी था जिसने पूरी तरह खुशी व्यक्त की। उसने ऊँचे स्वर से प्रभु की स्तुति की, वह येसु के चरणों पर मुँह के बल गिर पड़ा और उन्हें धन्यवाद दिया। (पद. 15-16)

विश्वास की पराकाष्ठा

विश्वास की यात्रा की पराकाष्ठा है निरंतर धन्यवाद का जीवन जीना। संत पापा ने कहा, "आइये हम अपने आप से पूछें, क्या हम एक विश्वासी के रूप में अपने हरेक दिन को बोझ के रूप में अथवा धन्यवाद के रूप में जीते हैं? क्या हम अपने आपमें बंद हैं, दूसरी कृपा की याचना करने का इंतजार कर रहे हैं अथवा क्या हम अपनी खुशी को कृतज्ञता के रूप में प्रकट करते हैं? पिता ने अपनी करुणा से हमें पवित्र आत्मा प्रदान किया है। धन्यवाद देना शिष्टचार का पालन करने का सवाल नहीं है बल्कि विश्वास की बात है। कृतज्ञतापूर्ण हृदय सदा जवान बना रहता है। सुबह उठने से लेकर रात को सोने जाने तक धन्यवाद दें। यही हमारे हृदय को जवान रखने का सबसे उत्तम तरीका है। यह परिवार के सदस्यों एवं दम्पतियों के बीच भी लागू होता है। हम धन्यवाद देने को याद रखें। यह शब्द साधारण किन्तु प्रभावशाली है।  

संत पापा ने नये संतों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा, "आज हम प्रभु को हमारे नये संतों के लिए धन्यवाद दें। वे विश्वास के रास्ते पर चले और अब हम उनकी मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करते हैं। उनमें से तीन धर्मसमाजी महिलाएँ थीं उन्होंने दिखलाया कि समर्पित जीवन प्रेम की यात्रा है जो दुनिया के कोने-कोने तक ले जाती है। दूसरी ओर संत मारग्रेट बेस हमें सरल प्रार्थना, धीरज और अपने आपको चुपचाप देने की शक्ति के बारे बतलाती है। इसी के द्वारा ईश्वर ने उनके जीवन में पास्का का प्रकाश चमकाया। यही प्रतिदिन की पवित्रता है जिसको संत हेनरी न्यूमन इन शब्दों में व्यक्त करते हैं, ख्रीस्तीय वह है जो एक गहरा, प्रशांत और छिपी शांति का जीवन जीता जिसे दुनिया नहीं देख पाती है। एक ख्रीस्तीय प्रसन्नचित, सरल, दयालु, सौम्य, शिष्ट, स्पष्टवादी और बेबाक होता है वह बहाना नहीं करता...”  

संत पापा ने प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "आइये हम निराशा के बीच घिरे विनम्र रोशनी के समान बनने के लिए प्रार्थना करें। येसु हमारे साथ रूक जाईये, तब हम भी आपके समान प्रज्वलित होकर दूसरों को उजाला प्रदान कर सकेंगे।"

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14 October 2019, 14:30