संत पापा आमदर्शन समारोह में संत पापा आमदर्शन समारोह में 

सुसमाचार के वाहक हैं पवित्र आत्मा

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में के दौरान पवित्र आत्मा को सुसमाचार का नायक बतलाया जो हममें से प्रत्येक जन को प्रेरित करते हैं जिससे हम सभी सुुसमाचार के प्रेरित बन सकें।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 30 अक्टूबर 2019 (रेई) प्रेरित चरित को पढ़ते हुए हम इस बात को देखते कि कलीसिया के प्रेरिताई कार्य में पवित्र आत्मा कैसे नायक का कार्य करते हैं- वे सुसमाचार प्रचारकों के मार्गदर्शक बनते और उनका दिशा-निर्देशन करते हैं कि उन्हें किस मार्ग में चलने की आवश्यकता है।

संत पापा ने कहा कि हम इसे स्पष्ट रुप में संत पौलुस के त्रोआस पहुँचने पर पाते हैं जहाँ उसे एक दिव्यदर्शन प्राप्त होता है। मकेदूनियावासी उनसे यह आग्रह करते हैं, “आप मकेदूनिया आकर हमारी सहायता कीजिए”।(प्रेरि.16.9) उत्तरी मकेदूनियाई अपने में बहुत गर्व का अनुभव करते हैं कि पौलुस उनके पास आते और येसु ख्रीस्त के बारे में उनसे बातें करते हैं। संत पापा ने कहा कि मैं उन भले लोगों की याद करता हूँ जिन्होंने गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया था जिन्होंने संत पौलुस के द्वारा घोषित सुसमाचार के विश्वास को अपने में बनाये रखा है। प्रेरित पौलुस बिना हिचकिचाये उनसे मिलने हेतु निकल पड़ते हैं। वे अपने में इस बात से आश्वस्त हैं कि यह ईश्वर हैं जिन्होंने उन्हें वहाँ भेजा है। वे फिलिप्पी, “रोम उपनिवेश” पहुंचते और सुसमाचार का प्रचार करते हैं। संत पौलुस वहाँ कुछ दिनों तक रहते हैं। हम वहां तीन घटनाओं को देखते हैं जो फिलिप्पी में उसके रहने को विशेष बनाती है- पहला सुसमाचार प्रचार और लीदिया तथा उसके परिवार का बपतिस्मा ग्रहण करना, दूसरा, एक अपदूतग्रस्त नारी की चंगाई जो अपने मालिक के लिए कार्य करती थी जिसके कारण पौलुस और सीलस की गिरफ्तारी और तीसरा, कारापाल का मन-परिवर्तन और उसके पूरे परिवार का बपतिस्मा ग्रहण करना। हम संत पौलुस के जीवन में इन तीन घटनाओं को देखते हैं।

लीदिया का जीवन

फिलिप्पी में सबसे पहले सुसमाचार वहाँ की स्त्रियों के बीच प्रसारित किया जाता है विशेषकर, थेयातिरा नगर की लीदिया के जीवन में, जो बैंगनी वस्त्रों का व्यपार करती थी, वह ईश्वर पर श्रद्धा रखती थी। ईश्वर ने उसके हृदय को खोल दिया और वह पौलुस की शिक्षा स्वीकार करती और सपरिवार बपतिस्मा ग्रहण करती है। (प्रेरि.16.14) वह पौलुस और सीलस को अपने घर में अतिथि स्वरुप स्वागत करती है। यहां हमारे लिए, यूरोप में ख्रीस्तीयता के प्रचार का साक्ष्य मिलता है जो संस्कृतिकरण की निशानी है जिसे हम आज भी अपने में बना हुआ पाते हैं। इसका प्रवेश मकेदूनिया की राह होता है।

लीदिया के घर में उत्साह और गर्मजोशी से स्वागत के उपरांत पौलुस और सीलस को जेल की कटुता का अनुभव करना पड़ता है। संत पापा ने कहा कि वे लीदिया के परिवार में मन-परिवर्तन की सांत्वना के बाद जेल में मानसिक वेदना का शिकार होते हैं। उन्हें जेल की हवा खानी पड़ती है क्योंकि उन्होंने येसु ख्रीस्त के नाम पर एक अपदूस्तग्रस्त नारी को मुक्ति प्रदान किया। वह एक दासी थी जो भविष्यवक्ता अपदूतग्रस्त थी और अपने मालिकों के लिए भविष्यवाणी करते हुए उनके लिए बहुत धन कमाती थी।(प्रेरि.16.16) वह लोगों के हाथों को देखते हुए भविष्यवाणी करती थी जैसे इतालवी भाषा में एक गीत के बोल हैं,“प्रेन्दी क्वेतो मानो, जिंग्रारा” (मेरे इस हाथ को ले, जिप्सी) जिसके लिए लोग पैसे खर्च करते हैं। संत पापा ने कहा कि आज भी कितने लोग हैं जो इस पर पैसा खर्च करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं याद करता हूँ मेरे धर्मप्रांत में एक बड़े उद्यान में करीबन 60 की मेजें थीं जहाँ भविष्य बतलाने वाले बैठा करते थे। लोग उन्हें अपना हाथ दिखलाते और उन पर विश्वास करते हुए उन्हें पैसे देते थे। यह येसु के समय भी हुआ करता था। उस दासी के मालिकों ने देखा कि उनकी आदमनी की आशा चली गई है तो उन्होंने प्रेरितों को, अशांति फैलने के आरोप में न्यायकर्ताओं के पास खींच ले गये।

लेकिन क्या होता हैॽ पौलुस जेल में बंद किया जाता और एक आश्चर्यजनक घटना घटती है। पौलुस और सीलस अपनी उदासी में ईश भजन गा रहे होते हैं और यह ईशगुण उनके लिए मुक्ति की शक्ति बनती है। उनकी प्रार्थना के दौरान एक भूकम्प होता जो जेल की नींव हो हिला देता है, द्वार खुल जाते और सबों की बेडियाँ अपने आप गिर जाती हैं (प्रेरि16. 25-26)। यह हमें पेन्तेकोस्त की प्रार्थनामय प्रभावकारी स्थिति से रुबरू कराती है।

कारापाल का मन-परिवर्तन

कारागार का अधिकारी अपने में सोचता है कि सभी कैदी भाग गये हैं और वह अपने को मार डालने चाहता है क्योंकि कैदियों के भागने पर कारापाल को भारी कीमत चुकानी होती थी। लेकिन पौलुस ने चिल्ला कर कहा, “हम सभी यहीं हैं” (प्रेरि 16. 27-28)। इस चमत्कार को देखकर कारापाल ने प्रेरितों से कहा,“मुक्ति प्राप्त करने हेतु मुझे क्या करना चाहिएॽ” (30) आप प्रभु ईसा पर विश्वास कीजिए, तो आप को और आपके परिवार को मुक्ति प्राप्त होगी”। संत पापा ने कहा कि रात के अंधेरे में कारापाल ईश्वर की वाणी को सुनता और यहीं हम उसके मन-परिवर्तन को देखते हैं। वह अपने घर में, उनका स्वागत करता और उनके घावों को धोता है क्योंकि उन्हें बहुत मारा गया था। वह अपने पूरे परिवार के साथ बपतिस्मा ग्रहण करता है, उनके मध्य आनंद का प्रसार होता है क्योंकि उन्होंने ईश्वर में विश्वास किया था।(34) वह उनके साथ भोजन करता है यह सांत्वना की स्थिति को दिखलाती है। संत पापा ने कहा कि रात के अंधेरे में उस अज्ञात कारापाल पर येसु ख्रीस्त की ज्योति चमकती और वह अपने जीवन के अंधकार पर विजयी होता है, उसके हृदय की बेड़ियाँ खुल जाती हैं उसका सारा परिवार एक अनंत खुशी का अनुभव करता है। अतः यह पवित्र आत्मा हैं जिन्होंने सुसमाचार की प्रेरिताई का कार्य पेन्तेकोस्त से ही शुरू किया है। वे प्रेरिताई के नायक हैं। वे हमें अपने जीवन में आगे ले चलते हैं और हमें अपनी बुलाहट में विश्वासी बने रहने को प्रेरित करते हैं जिससे हम सुसमाचार के वाहक बन सकें।

संत पापा ने कहा कि हम पवित्र आत्मा से निवेदन करें कि वे हमारे हृदय को खोलें, हमें ईश्वर के प्रति संवेदनशील बनायें और हमारे भाई-बहनों के प्रति हमें मेहमाननवाज़ होने की कृपा दें, जैसे कि लीदिया ने पूर्ण विश्वास में किया, जैसे कारापाल ने पवित्र आत्मा से अपने को स्पर्श होने दिया।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की सभों के साथ हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ करते हुए सभों को अपने प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।  

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30 October 2019, 16:15