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सिनॉड में भाग लेने वालों का एक दृश्य सिनॉड में भाग लेने वालों का एक दृश्य 

लोगों के अधिकारों के हनन के खिलाफ कलीसिया की प्रतिबद्धता

अमाजोन पर सिनॉड में 14 अक्टूबर को 9वीं बैठक द्वारा सिनॉड के दूसरे चरण में पाँव रखा गया। सिनॉड का समापन 27 अक्टूबर को होगा। सभा में संत पापा फ्राँसिस के साथ 179 सिनॉड धर्माचार्यों ने इक्वाडोर के लिए प्रार्थना की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 15 अक्तूबर 2019 (रेई)˸ सिनॉड एक कैरोस (दुलार) है, कृपा का समय है। कलीसिया द्वारा सहानुभूति के साथ सुनना तथा आदिवासियों के साथ चलना है। जो लोग उस भौगोलिक क्षेत्र में रहते हैं उन्होंने ईश्वर द्वारा उच्चरित प्रथम शब्द "हो जाए" पर चिंतन करने की कृपा प्राप्त की है। सृष्टि एक "हरित बाईबिल" है जो सृष्टिकर्ता को प्रकट करती तथा संस्कारों के अनुष्ठान एवं पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता हेतु गहरा आधार प्राप्त करती है।   

कलीसिया के लिए जारी प्रशिक्षण और नये ख्रीस्तियों की दीक्षा

क्षेत्र में धर्मसमाजी समुदायों की संख्या में अत्याधिक गिरावट, उदाहरण के लिए ब्राजील के पारा में जहाँ प्रेरितिक देखभाल केवल दौरा करने तक ही सीमित रह गया है, वहाँ धर्मसमाजी संस्थाओं से कहा गया है कि वे अपने मिशनरी उत्साह को पुनः जागृत करें। इसके लिए सतत् प्रशिक्षण एवं दीक्षार्थियों के रास्ते न केवल किताबी हो बल्कि स्थानीय संस्कृति से सीधे सम्पर्क में अनुभव के आधार पर होना चाहिए। एक अमाजोनी चेहरा लेने का अर्थ है लोगों के चिन्ह और प्रतीकों को समझना तथा संवाद के संदर्भ में जीना और अंतर-सांस्कृतिक रूप से एक इंडो ईशशास्त्र के गहनीकरण को प्रोत्साहित करना, ताकि धर्मविधि, स्थानीय संस्कृति पर तेजी से प्रत्युत्तर दे सके। कुछ मामलों में अमाजोन की कलीसिया वास्तव में पहले से ही ऐसा कर रही है। उदाहरण के लिए प्रेरितिक उपस्थिति द्वारा आदिवासी लोगों को प्रोत्साहन देना जो दुनिया के द्वारा भुला दिये गये हैं। जो केवल अपनी जमीन पर केवल निर्भर हैं। कई बार हम उन्हें मदद देने के कार्यक्रमों पर आधारित सुसमाचार के प्रलोभन में पड़ते हैं। इसके साथ ही कलीसिया को एक ओर धार्मिक संप्रदायों के प्रसार की चुनौतियों का सामना करना और दूसरी ओर औद्योगिक देशों द्वारा सापेक्ष संस्कृति का सामना करना है।  

अंतरराष्ट्रीय पृष्ठभूमि पर सहयोग

कलीसिया इसकी आवाज बनने के लिए बुलायी गयी है। कुछ लोगों ने कहा कि भूमि, जल और जंगल के अधिकार के मामले में अमाजोन के लोगों की मांग को बढ़ावा देने हेतु सरकार एवं अंतरराष्ट्रीय ईकाई में परमधर्मपीठीय प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अमाजोन की कलीसिया एक वृताकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बुलायी गयी है जो स्थानीय लोगों के विवेक एवं अभ्यासों का सम्मान करती है। अमाजोन लोगों के मानव अधिकार के उलंघन पर अंतरराष्ट्रीय कलीसियाई देखभाल समिति के गठन का भी आह्वान किया गया है। इस तरह अपील की गयी है कि औद्योगिक देशों को आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के प्रति सहानुभूति रखना है।  

आमघर की देखभाल एवं गैर-जिम्मेदाराना शोषण

पर्यावरणीय अंतर-संस्कृतिक ख्रीस्तीय समुदाय का निर्माण करने का विचार प्रस्तुत किया गया, जो अंतर- संस्थागत एवं अंतर-धार्मिक वार्ता के लिए खुला हो और जो आमघर की देखभाल पर ध्यान देते हुए नये तरीके से जीना सिखला सके। तेल और लकड़ी कम्पनियों की निंदा की गयी जिन्होंने पर्यावरण को नष्ट किया और लोगों के अस्तित्व को कम महत्व दिया। वास्तव में, आदिवासी लोगों को कम्पनियों से कोई लाभ नहीं मिलता है। अतः इस भ्रष्टाचार को बेनकाब किया जाना चाहिए जो असमानता और अन्याय को बढ़ावा दे रहा है। हमें अपने आप से पूछना है कि भावी पीढ़ी के लिए हम क्या छोड़ रहे हैं। मादक पदार्थों की तस्करी से उत्पन्न बड़े खतरे से भी निपटना होगा।

भोजन एवं पारिस्थितिकी प्रणालियों

भोजन के महत्व के मामले पर भी विचार किया गया। कहा गया कि हर व्यक्ति को फसल उपजाने, खाने का चुनाव करने और भोजन प्राप्त करने का अधिकार दिया जाना चाहिए, साथ ही साथ पर्यावरण प्रणाली को सम्मान दिया जाना चाहिए। अमाजोन में कृषि-खाद्य जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अभी भी अज्ञात है और इसे अब तक स्थानीय लोगों के द्वारा संरक्षित रखा गया है। अपील की गयी कि बहुतों से छीनकर, कुछ ही लोगों के लाभ के लिए उन्हें शोषण का शिकार नहीं बनाया जाना चाहिए।

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15 October 2019, 16:50