वाटिकन में आदिवासियों के साथ संत पापा वाटिकन में आदिवासियों के साथ संत पापा 

सिनॉड की आध्यात्मिक गतिशीलता, अमाजोन सिनॉड प्रेस ब्रीफिंग

अमाजोन पर धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के प्रतिभागियों ने बुधवार को छोटे दलों में विचार-विमर्श किया। धर्माध्यक्षीय धर्मसभा अब अपनी आधी राह तय कर चुकी है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 17 अक्टूबर 2019 (रेई)˸ बुधवार को पहली बैठक की प्रेस ब्रीफिंग में सभा के खास आध्यात्मिक आयाम एवं पूरे विश्व के लिए इसके महत्व पर प्रकाश डाला गया। वाक्ताओं ने आमघर की देखभाल की जिम्मेदारी, एक अभिन्न मानव पारिस्थितिकी की आवश्यकता, बुलाहट और लोकधर्मियों की भूमिका आदि विषयों पर वक्तव्य पेश किया।

डॉ. रूफिनी द्वारा साराँश

वाटिकन संचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. पाओलो रूफिनी ने मुख्य विषयों का सार प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि सिनॉड में, अमाजोन क्षेत्र को हमारे आमघर, पृथ्वी के लिए एक मिसाल के रूप में देखा गया तथा पारिस्थितिकी बदलाव लाने का आह्वान किया गया। खास रूप से, अंतर-संस्कृतिक अनुकूलन, संस्कारों एवं शिक्षा की सुविधा, मिशन, विस्थापन, ग्रामीण एवं शहरी जीवन, मानव अधिकार के लिए अंतरराष्ट्रीय एवं बहुपक्षीय जुड़ाव आदि विषयों पर ध्यान दिये जाने की बात की गयी। उन्होंने कहा कि सिनॉड में बहुत सारी बातों की अपेक्षा, सबसे बढ़कर एकीकृत दृष्टिकोण और पवित्र आत्मा से संचालित होने की आवश्यकता महसूस की गयी।  

फादर कोस्ता की टिप्पणी

फादर जाकोमो कोस्ता ने इस बात पर बल दिया कि सिनॉडल (एक साथ) रास्ता, दुनियावी सम्मेलनों से बहुत अलग है। यह एक ऐसा अनुभव है जिसे न केवल बहस या विचार–विमर्श के द्वारा व्यक्त किया जा सकता है, जैसा कि किसी संसद में किया जाता, बल्कि इसका एक आध्यात्मिक आयाम है जिसे भाईचारा द्वारा व्यक्त किया जाता है। उन्होंने आनन्द, भरोसा, विश्वास आदि पर भी अपने विचार रखे जो अब तक सभा की विशेषता रहे हैं।

येसिका पातियाकी तयोरी (पेरू)

पहली वक्ता पेरू की आदिवासी महिला येसिका पातियाकी तयोरी ने स्थानीय लोगों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्हें "जंगलों के संरक्षक" कहा, जबकि आमघर की देखभाल करना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्होंने बतलाया कि उनके लोग विलुप्त होने के सच्चे भय का सामना कर रहे हैं और भेदभाव के शिकार बन चुके हैं।  

धर्माध्यक्ष अम्ब्रोजो स्प्रेफिको (इटली)

धर्माध्यक्ष अम्ब्रोजो स्प्रेफिको ने सिनॉड को कलीसियाई वारदात कहा जो न केवल पान-अमाजोन के नतीजों, बल्कि पूरे विश्व के कारण हो रहा है। उन्होंने मानव पारिस्थितिकी के महत्व और अनिवार्यता पर प्रकाश डाला, खासकर, संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक विश्व पत्र लाऔदातो सी के प्रकाश में, जिसे उन्होंने कहा कि अच्छी तरह नहीं समझा गया है।

धर्माध्यक्ष वेलल्लिंग तादेयू दी क्वेइरोज (ब्राजील)

धर्माध्यक्ष वेलल्लिंग तादेयू दी क्वेइरोज ने सिनॉड में भ्रातृत्वपूर्ण वातावरण पर दृष्टिपात किया। उन्होंने बुलाहट के संकट पर भी प्रकाश डाला, न केवल अमाजोन में लेकिन विश्वभर में। उन्होंने यह भी कहा कि बुलाहट में केवल ब्रह्मचर्य को ही नहीं बल्कि पवित्रता को प्रमुखता दी जानी चाहिए।  

धर्माध्यक्ष पेद्रो जोश कोनती (ब्राजील)

अंततः धर्माध्यक्ष पेद्रो जोश कोनती ने लोकधर्मियों की भूमिका की ओर ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि वे केवल याजकों एवं धर्मसमाजियों की मदद करने वाले नहीं हैं बल्कि लोकधर्मी होने की उनकी अपनी बुलाहट है। जिसको उन्होंने "याजकवाद की औषधि" कहा। धर्माध्यक्ष ने जमीन पर उत्पादन में संतुलन लाने के महत्व पर गौर करने तथा स्थानीय लोगों की पुरानी प्रज्ञा से प्रेरणा लेने पर बल दिया।  

छोटे दलों के रिपोर्ट पर एक सवाल

डॉ. रूफिनी ने छोटे दलों के रिपोर्ट के बारे कहा कि इसे शुक्रवार को प्रकाशित किया जाएगा।  

वाटिकन में आयोजित एक समारोह में प्रयुक्त प्रतिमा का सवाल

एक पत्रकार ने उस प्रतिमा का प्रतीकात्मक अर्थ पूछा जिसका प्रयोग संत फ्राँसिस असीसी के पर्व दिवस पर वाटिकन वाटिका में सिनॉड को समर्पित करते हुए की गयी थी। वाटिकन प्रेस कार्यालय के प्रतिनिधि ने इसके उत्तर में कहा कि वे इसके अर्थ की विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे। उन्होंने गौर किया कि समारोह का आयोजन आरईपीएएम के द्वारा किया गया था। डॉ. रूफिनी ने अपनी ओर से कहा कि प्रतिमा जीवन को दर्शाता है।

महिलाओं की भूमिका का सवाल

धर्माध्यक्ष दी क्वीरोज विएरिया ने महिलाओं की भूमिका के सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि कलीसिया में महिलाओं की उपस्थिति आवश्यक है। उन्होंने मिशनरी कार्यों में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला, विशेषकर, धर्मशिक्षा, धर्मविधि, गरीबों और बच्चों की  देखभाल में। उन्होंने कई जगहों पर महिलाओं के साथ भेदभाव की याद करते हुए कहा कि महिलाओं के महत्व को पहचाना जाना चाहिए।

महिलाओं के लिए उपयाजक के द्वार को खोलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसपर अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने गौर किया कि धर्मप्रांतों में कई मिशनरी परियोजनाएँ महिलाओं के नेतृत्व में चलायी जाती हैं।

लोकधर्मी पुरूषों एवं महिलाओं की भूमिका पर सवाल

कलीसिया के लोकधर्मी चेहरे पर धर्माध्यक्ष ने कहा कि लोकधर्मी की पूर्ण सहभागिता की प्रक्रिया जारी है और यह आगे बढ़ रही है। उन्होंने लोकधर्मियों की बुलाहट में विशिष्ठता हासिल करने के लिए प्रशिक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कलीसिया केवल धर्माध्यक्षों से नहीं बनी है बल्कि बपतिस्मा प्राप्त सभी लोगों से बनी है। अतः धर्माध्यक्ष सिनॉड में भाग ले रहे हैं ताकि सभी लोगों के सुझावों को सुनते हुए निर्णय ले सकें।

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17 October 2019, 15:43