सिनॉड के प्रतिभागी सिनॉड के प्रतिभागी 

अमाजोन सिनॉड ब्रीफिंग ˸ वचन के सेवक, आदिवासी कलीसिया का चेहरा

अमाजोन पर धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के चौथे दिन, प्रतिभागियों ने वाटिकन प्रेस कार्यालय में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पत्रकारों के सामने अपना अनुभव साझा किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2019 (रेई)˸ वाटिकन संचार परिषद के अध्यक्ष डॉक्टर पाओलो रूफीनी ने प्रेस सम्मेलन की शुरूआत करते हुए बुधवार को सिनॉड की दूसरी बैठक का सार प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि सिनॉड के धर्माचार्यों के हस्ताक्षेप की पहली श्रृंखला समाप्त हुई। इन हस्ताक्षेपों में से एक खुद संत पापा फ्राँसिस ने प्रस्तुत की थी।

डॉ. पाओलो रूफिनी द्वारा सार

डॉ. पाओलो रूफिनी ने कहा कि पहली बेला और दूसरी बेला दोनों ही बैठक एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। इनमें पर्यावरणीय सवालों, ग्रह के भविष्य, अमाजोन क्षेत्र का महत्व जो समस्त ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, अमाजोन क्षेत्र पर शोषण एवं वहाँ के निवासियों पर हो रही हिंसा, मिसाल बदलने की आवश्यकता, मानव अधिकार की रक्षा तथा हर प्रकार की हिंसा को समाप्त करने हेतु संघर्ष आदि विषयों पर ध्यान दिये गये। ये मुद्दे अपने आप में संस्कृति, संस्कृति से संवाद, सुसमाचार प्रचार एवं सुसमाचार के संस्कृतिकरण से जुड़े हैं।

दूसरे सवाल थे, अमाजोन में किस प्रकार की कलीसिया हो सकती है और वहाँ के निवासी कलीसिया को किस तरह देखते हैं। अवलोकन से पता चलता है कि अमाजोन में बुलाहट की कमी है, जहाँ नये प्रकार के सेवकाई की आवश्यकता है जिसके लिए अभिषिक्त एवं बिना अभिषिक्त दोनों ही प्रकार के सेवकों की जरूरत है। समुदाय में महिलाओं की भूमिका तथा संस्कारों के महत्व को जोर देना है। लोकधर्मियों को उपयुक्त प्रशिक्षण एवं जिम्मेदारी दिया जाना है और कलीसिया में याजकीय दृष्टिकोण से ऊपर उठना है।

फादर जाकोमो कोस्ता येसु समाजी की टिप्पणी

जेस्विट फादर जाकोमो कोस्ता, सिनॉड के लिए सूचना आयोग के सचिव हैं। उन्होंने अमाजोन प्रांत का अवलोकन करते हुए कहा कि सिनॉड विश्वव्यापी स्तर से जुड़ा है क्योंकि वहाँ जो हो रहा है उसका प्रभाव पूरी कलीसिया और विश्व पर पड़ रहा है।

फादर कोस्ता ने "मिशनरी सिनॉडालिटी" शब्द प्रयोग करते हुए बतलाया कि कलीसिया किस तरह खास क्षेत्र में सहयोग दे सकती है। उन्होंने नये तरह की कलीसिया होने पर बात की, जो लोकधर्मी और आदिवासी, सभी लोगों के योगदान को महत्व दे।

उन्होंने कहा कि सिनॉड अगले चरण की ओर बढ़ रहा है जिसको "चिरकोली मिनोरी" या भाषा का छोटा दल भी कहा जाता है। इसकी शुरूआत बृहस्पतिवार को हुई जो शुक्रवार तक चलेगी। इन दलों में अधिक सदस्यों के बीच विचारों और अनुभवों का अधिक आदान-प्रदान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इन सभी क्रिया-कलापों को सिनॉड हॉल के हस्तक्षेपों के अनुरूप होना चाहिए। यह सुसमाचार प्रचार के नये रास्ते की खोज के उद्देश्य से गंभीरता से सुनने का समय है। महासभा फिर शनिवार को चालू होगी और बृहस्पतिवार तक चलेगी। दलों के रिपोर्ट सप्ताह के अंत में प्रस्तुत किये जायेंगे और इसे 17 अक्टूबर को प्रकाशित किया जाएगा।  

ब्राजील के धर्माध्यक्ष विलमार सनतिन ओ सीएआरएम की प्रस्तुति

धर्माध्यक्ष विलमार ने अपना अनुभव बतलाते हुए कहा कि उनका प्रेरितिक क्षेत्र 175 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर फैला हुआ है। उनके धर्मप्रांत की स्थापना 1988 में हुई है किन्तु आदिवासी लोगों के साथ उनका कार्य 1910 या 1911 से ही शुरू हुआ है। एक फ्राँसिसन ने वहाँ मिशन की शुरूआत की थी जिसको निष्कलंक गर्भागमन की धर्मबहनों ने आगे बढ़ाया। जिनमें से एक सिस्टर दोलचे पोंतेस की संत घोषणा 13 अक्टूबर को की जायेगी।

धर्माध्यक्ष ने बतलाया कि किस तरह आदिवासी सबसे शुरू में मिशनरियों को नजदीक आने नहीं देना चाहते थे। फ्राँसिसकन मिशनरी ने बंसुरी बजाते हुए उनके मन को जीता था। उस क्षेत्र के अधिकांश लोग काथलिक हैं जबकि बपतिस्ट मिशन के प्रमुख एक स्वीस दम्पति भी वहाँ रहता है। काथलिक मिशनरियों एवं बपटिस्ट कलीसिया के मिशनरियों के बीच हमेशा अच्छा संबंध रहा है। वे 1963 से ही वार्ता के बैनर तले सहयोग कर रहे हैं।

धर्माध्यक्ष का मकसद है कि आदिवासी प्रेरितिक मिशन को बढ़ाया जाए। उन्होंने बतलाया कि स्थानीय कलीसिया किस तरह संत पापा के आह्वान का पालन कर रही है, विशेषकर, इस बात पर कि आदिवासी स्वयं अमाजोन की कलीसिया को आकार दे सकते हैं। एक महत्वपूर्ण विचार उन्होंने रखा कि वे जिन लोगों के बीच काम करते हैं उनका अपना नेता होना चाहिए। जहाँ अबतक बाहर वाले ही नेता रहें हैं। धर्माध्यक्ष ने बतलाया कि संत पापा चाहते हैं कि हर गाँव में आदिवासी पुरोहित बनें और इसके लिए उन्होंने स्थायी उप-याजक से शुरूआत करने की सलाह दी है जो कलीसिया में मान्य है। धर्माध्यक्ष ने इसे लागू करने का निश्चय किया और जिसको एक इताली पुरोहित के द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है, जिन्होंने जीवनभर अमाजोन क्षेत्र में सेवा दी है। उनका पहला कदम था यूखरिस्त के सेवकों को तैयार करना जिन्हें उपयाजक के रूप में अभिषेक दिया जा सके। उन्होंने इसकी शुरूआत वचन की सेवा से की क्योंकि इन क्षेत्रों में यूखरिस्त को लम्बे समय तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता। ईश वचन की सेवा हेतु प्रशिक्षण का कार्य 2017 से शुरू किया गया है जिसके लिए 20 पुरूषों एवं 4 महिलाओं को नियुक्त किया गया है। वे अपनी ही भाषा में ईश्वर के वचन पर उपदेश करते हैं।

धर्माध्यक्ष ने बतलाया कि विगत मार्च महीना में वे गाँव का दौरा करने गये जहाँ उन्होंने ईश वचन के अन्य 24 सेवकों को पाया, जिनकी संख्या कुल 48 हो गयी है। वे सभी अपनी-अपनी भाषा में सुसमाचार की घोषणा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह उन्हें खशी से भर दिया क्योंकि इसने उन्हें पेंतेकोस्त की याद दिलायी, जहाँ अलग- अलग भाषा के लोगों ने ईश्वर के महान कार्यों को सुना और समझा था। इस प्रशिक्षण को आगे बढ़ाया जा रहा है और उन्हें बपतिस्मा देने और विवाह के साक्षी बनने हेतु तैयार किया जाएगा। स्थानीय लोग बपतिस्मा संस्कार को बहुत महत्व देते हैं और वे कलीसिया में बपतिस्मा प्राप्त करना चाहते हैं। उनकी इच्छा को ईश्वर पूरा भी करते हैं। अतः हरेक गाँव में बपतिस्मा एवं विवाह संस्कारों के अनुष्ठान के लिए सेवकों की जरूरत है। यह लोगों के लिए बहुत अधिक सहायक होगा। धर्माध्यक्ष सनतिन की आशा है कि भविष्य में उपयाजकों का अभिषेक सम्पन्न हो पायेगा।      

रियो, कोलोम्बिया के धर्माध्यक्ष मेतारदो दी येसु हेनाव

रियो के धर्माध्यक्ष हेनाव अमाजोन के उस क्षेत्र से आते हैं जहाँ 90 प्रतिशत आदिवासी रहते हैं। सबसे नजदीक वाला शहर हवाई यात्रा द्वारा एक घंटे की दूरी पर है। उन्होंने बतलाया कि वहाँ की परिस्थिति कठिन है। उस क्षेत्र में नशीली पदार्थों की तस्करी द्वारा आदिवासी लोगों का शोषण किया जा रहा है। वहाँ एक स्कूल और चिकित्सालय है। कुपोषण की समस्या है और कई लोग परित्यक्त होकर जीवन जीते हैं।

धर्माध्यक्ष ने कहा कि कलीसिया इस क्षेत्र में अपनी सेवा देने का प्रयास कर रही है। संत पापा फ्राँसिस के शब्दों को दुहराते हुए उन्होंने कहा कि अमाजोन कभी भी राज्य के अभाव के कारण इतना भयभीत नहीं हुआ जितना आज भयभीत है क्योंकि कई कम्पनियाँ उनका शोषण करने आते हैं। यह केवल पेड़ लगाने अथवा कचरा जमा करने की बात नहीं है बल्कि हमें समग्र परिस्थितिकी की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए जमीन अति महत्वपूर्ण है क्योंकि वहाँ उनका परिवार दफनाया गया है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के कारण कई बार पूरा समुदाय गायब हो जाता है क्योंकि वे उन्हें अपनी जमीन छोड़ने के लिए मजबूर करते हैं। कई लोग नेताओं के द्वारा हस्ताक्षर कराने के द्वारा कानूनी अनुमति प्राप्त कर, उनके साथ धोखा करते हैं। उन्हें शराब में फंसाते हैं। कलीसिया बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के शोषण को प्रकट कर आदिवासी लोगों की मदद कर रही है। यह उनकी पवित्र भूमि है जिसमें प्रदूषित जल के कारण बीमारियाँ फैलती हैं क्योंकि वे उसी जल को पीते हैं।   

महिला उपयाजक पर सवाल

सिनॉड में कुल 40 महिलाएँ भाग ले रही हैं। सिनॉड के पूर्व भी सलाह मशविरा में कई महिलाओं ने भाग लिया था। सिस्टर एकेवेरी ने कहा कि कलीसिया का एक नारी चेहरा है। हमारे लिए एक रास्ता है जिसमें हम महिलाओं का अनुसरण कर सकते हैं। हम अगवे नहीं हैं क्योंकि हमसे पहले कई लोग जा चुके हैं जैसे कि संत क्लारा। उन्होंने अमाजोन के आदिवासियों महिलाओं को माता और दादी कहा। उन्होंने कहा कि कलीसिया को आत्मजांच करना है। हम नहीं जानतीं कि यही वह समय है किन्तु कई लोग कलीसिया के नारी चेहरे की खोज कर रहे हैं, निश्चय ही एक ताकतवर व्यक्ति के रूप में नहीं बल्कि सेवा करने वाली के रूप में। यह कृपा "कैरोस" का समय है। यह नये रास्ते की खोज के लिए आत्मपरख करने का अवसर है।      

नशीली पदार्थों की तस्करी का सवाल

किस तरह नशीली पदार्थों की तस्करी का आदिवासी लोगों पर प्रभाव पड़ता है इसके जवाब में रियो के धर्माध्यक्ष ने कोलोम्बिया की स्थिति के बारे बतलाया कि शांति प्रक्रिया के बावजूद यह एक हिंसक क्षेत्र है जहाँ गुरिल्ला लड़ाकू छिपते और अवैध फसल उगाये जाते हैं। उन्होंने एक बार चार या पाँच जहाजों को नशीली पदार्थों से भरकर जाते देखा। युवा लोग उन दलों में शामिल होने की कोशिश करते हैं क्योंकि उन्हें सहज ही पैसा देने का वचन दिया जाता है। एक समुदाय अपने खाने-पीने के तरीकों में बदलाव लाकर जीवन शैली मैं बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है किन्तु कई आदिवासी बेहतर जीवन की तलाश में बाहर जा चुके हैं और कभी नहीं लौटे हैं।

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11 October 2019, 17:34