खोज

अमाजोन धर्मसभा की क्रार्यवाही अमाजोन धर्मसभा की क्रार्यवाही  

अमाजोन प्रेस विज्ञप्तिःशिक्षा और पर्यावरण के अधिकार

सिनॉड प्रतिभागियों ने छोटे समूह में अपने विचार-मंथन जारी रखें जबकि कुछ विशेषज्ञों ने प्रेस विज्ञप्ति के दौरान अपने अनुभवों को साझा किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2019 (रेई) अमाजोन धर्मसभा की 17 अक्टूबर  प्रेस विज्ञप्ति में अमाजोन प्रांत के चार लोगों ने अपने अनुभव साझा किये जिसमें गुयाना से एक आदिवासी शिक्षक, आध्यात्मिकता विशेषज्ञ एक आदिवासी, आदिवासी के अधिकार पर दो आदिवासी विशेषज्ञ, दोनों ब्रजील से थे।

श्रीमती लेह रोस कसीमेरो

श्रीमती लेह रोस कसीमेरो द्वीभाषीय शिक्षण कार्यक्रम की संचालिका हैं जो गुयाना के वापीकान में बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की देख-रेख करती है। अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षण प्रणाली “अन्य चीजों की भांति” उनके ऊपर थोपी गई है। अब समय आ गया है उन्हें अपने भविष्य के लिए चीजों को अपने हाथों में लेना है।

इसका तत्पर्य यह है कि वे अपने बच्चों के लिए कुछ खास करने की सोचते हैं विशेष कर संस्कृति, रीति-रिवाजों के ज्ञान और भाषा के संबंध में। उनकी शिक्षा प्रणाली के अनुसार वर्तमान में भाषा एक विषय के रुप में नहीं सिखाई जाती बल्कि वह अपने में एक माध्यम मात्र है।

वह स्वयं एक वापीकान है जो कहती हैं आदिवासियों की बातें बहुधा नहीं सुनी जाती हैं। धर्मसभा में ऐसी स्थिति नहीं है यहां हम एक दूसरे का सम्मान करते, बातें करते और सहकर्मी के रुप में एक दूसरे को सुनते हैं।

श्रीमती पत्रीसिया गुआलिंगा

श्रीमती पत्रीसिया गुआलिंगा इक्वाडोर के सारायाकु में केचुआ समुदाय की एक अदिवासी नेत्री हैं। अपने संबोधन में उन्होंने अमाजोन की रक्षा हेतु “अंतरराष्ट्रीय निष्ठा” का आहृवान किया। पृथ्वी के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक अमाजोन प्रांत हेतु हमारी निष्ठा सारी “मानवता हेतु हितकर” होगी।

कलीसिया अमाजोन प्रांत में उपस्थिति है लेकिन इसे आदिवासियों के और निकट आने की जरुरत है जो की जोखिम में जीवन यापन करते, जिन्हें प्रताड़ित किया जाता और उनके ऊपर मार डाले जाने का खतरा मंडरता रहता है।

डा. फेलीचियो दे अरूजो पोतेस जूनिरो

डा. फेलीचियो आदिवासियों के अधिकारों के विशेषज्ञ हैं जो ब्राजील में कार्यरत हैं। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि विकास का नमूना आदिवासियों के ऊपर थोपा जाता है अतः वे जंगल और अमाजोन की नदियों के किनारे रहने वाले आदिवासियों को संवैधानिक रुप से सशक्त करने की कोशिश कर रहे हैं।

फादर जुस्तीनो सारमेंतो रेजेंन्दे एस.डी.बी.

फादर जुस्तीनो सारमेंतो रेजेंन्दे एस.डी.बी. एक स्लेशियन पुरोहित हैं जो आदिवासी और संस्कृति-अनुकूलन आध्यात्मिकता के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए अमाजोन कलीसिया को एक नये चेहरे के रुप में प्रस्तुत करने पर प्रकाश डाला। उन्होंने मूल्यों और संस्कतियों पर जोर देने की बात पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वे एक नये तरीके से सुसमाचार प्रचार का स्वप्न देते हैं। उन्होंने वाटिकन प्रत्रकारों को निमंत्रण देते हुए कहा,“आप स्वयं हमारे पास आकर चीजों को अपनी आंखों से देख सकते हैं।”  

महाधर्माध्यक्ष रोके पोलोस्की

ब्राजील, पोत्रो वेल्हो के धर्माध्यक्ष रोके पोलोस्की ने कहा कि आदिवासी लोग अलग रहने हेतु बाध्य हैं। संत पापा फ्रांसिस के विश्व प्रेरितिक पत्र “लौओदातो सी” का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमें अमाजोन प्रांत के अति संवेदनशील भाई-बहनों की सुरक्षा हेतु कार्य करने की जरूरत है।

अमाजोनियन चेहरे वाली कलीसिया पर सवाल

इस सवाल के उत्तर में फादर जुस्तीनो के कहा, “चेहरा हमारे हृदय की बातें” व्यक्त करता है। इस संदर्भ में हमें उन कार्य को ही कार्य की जरूरत नहीं है जिनकी शुरूआत मिशनरियों ने की थी। हमें अपने समय की भाषा में सुसमाचार प्रचार करने की जरूरत है। हमें आदिवासियों के जीवन को जानने और समझने की जरुरत है और इसका अर्थ हमें उनके साथ रहना है।

अन्तर-संस्कृति शिक्षा पर सवाल

अंतर-संस्कृति शिक्षा के सवाल का उत्तर देते हुए रोस कासीमेरो ने कहा कि  इसी शुरूआत हुए केवल एक साल हुए हैं। इसे 2018 के सितम्बर महीने में शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें  शिक्षकों को प्रशिक्षित करना जरुरी है।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस तरह आदिवासियों की भाषा, ज्ञान, रीतियों और जीवन को राष्ट्रीय शिक्षण स्तर के पाठ्यक्रम में स्थान दिया गया है। वास्तव में युयाना में शिक्षा मंत्रालय, इस शिक्षण प्रणाली को सुधारने का प्रयास कर रही है। वह इस कार्य को बड़े जोरदार तरीके से कर रही है देखना यह है कि यह दूसरे अन्य आदिवासी समुदाय को अपने में किस तरह सम्माहित करेगी।

महाधर्माध्यक्ष ने पत्रकारों के द्वारा सांस्कृतिक अनुकुलन पर पूछे गये सावल, क्या यह “अपने में एक साधन” है, का जवाब देते हुए कहा कि कलीसिया इसके लिए प्रतिबद्ध है इसका अर्थ यह है कि हमें “दोनों पाटियों” का सम्मान करने की जरुरत है। हम एक के लिए दूसरे को नहीं मिटा सकते हैं हमें उसे सहेज कर रखने की जरुरत है जो पहले से पाई जाती है। संत पापा बेनेदिक्त 16वें को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि हम धर्म परिवर्तन करते हुए धर्मप्रचार नहीं करते बल्कि साक्ष्य द्वारा इसे करते हैं।

विकास के स्वरूपों पर सवाल

डा. फेलीचो ने विकास के स्वरुपों और प्रकृति संबंधी वैधानिक बातों पर पूछे गये सवाल का उत्तर देते हुए “विनाश स्वरुपों” जैसे कि खनिज संपदाओं की खुदाई और सामाजिक पर्यावरण स्वरुपों जो कि संस्थानों और सरकारों से संबंधित हैं पर अऩ्तर स्पष्ट किया।

उन्होंने कहा कि अमाजोन प्रांत में हर 15 दिनों के अंतराल में एक नयी प्रजाति के जीव पाये जाते हैं। अमाजोन के जंगल एक “संपति” है। इसका विकास होने देने अर्थव्यवस्था के अर्थ को प्रकट करता है और आदिवासी अपनी इस संपति के रक्षक हैं। “प्रकृति का अधिकार है।” मानवता विकास के नाम पर परिस्थितिकी का विनाश नहीं कर सकते हैं। 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

18 October 2019, 17:17