उर्सुलाईन की धर्मबहनों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस उर्सुलाईन की धर्मबहनों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

उर्सुलाईन धर्मबहनों से संत पापा, "नये जीवन का संचार करें"

संत पापा फ्राँसिस ने 3 अक्टूबर को वाटिकन में ऑर्डर ऑफ सेंट उर्सुला के रोमन यूनियन (उर्सुलाईन धर्मबहनों का संघ) की महासभा के प्रतिभागियों से मुलाकात की और उनसे कहा कि लोगों को ख्रीस्त की ओर आकर्षित कर नये जीवन का संचार करें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 3 अक्टूबर 2019 (रेई)˸ महासभा की विषयवस्तु है, "वैश्विक समुदाय, हम एक नये जीवन की ओर बढ़ रहे हैं।"

संत पापा ने कहा कि समुदाय और वैश्विक ये दोनों शब्द मन में तुरन्त सवाल पैदा करते हैं क्योंकि ये दोनों एक-दूसरे से विपरीत प्रतीत होते हैं। साधारणतः, समुदाय शब्द का प्रयोग एक दल के लोगों को दिखलाने के लिए किया जाता है जो एक ही तरह के नियमों का पालन करते हैं, उदाहरण के लिए धर्मसमाजी समुदाय, पल्ली समुदाय आदि, सरांश में कहा जा सकता है कि यह ईश्वर के लोगों का एक परिवृत्त रूप है। दूसरी ओर, वैश्विक एक विशेषण है जिसका प्रयोग सार्वभौमिक विस्तार के लिए किया जाता है जो पृथ्वी के सीमांतों तक पहुँचता है। ऐसा लगता है कि ये दोनों एक साथ नहीं हो सकते, फिर भी, यह सच है कि हम जहाँ जीते हैं वहीं के परिवेश को अपनाते हैं।  

संत पापा ने आज के विश्व पर गौर करते हुए कहा कि हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जो उन लोगों से घनिष्ठता से जुड़ा है जो वैश्विक समुदाय के हिस्से बन गये हैं। हम अपने आपको उन सभी बड़ी चुनौतियों के नजदीक पाते हैं जिनका हम सभी सामना कर रहे हैं। आज हम यह नहीं कह सकते कि यह मेरे लिए नहीं है। मानव अधिकार की रक्षा, विचार अभिव्यक्ति एवं धर्म मानने की स्वतंत्रता, दूर और नजदीक में सुसमाचार प्रचार, सामाजिक न्याय, पर्यावरण की रक्षा, सतत् विकास की खोज, मानवतावादी अर्थव्यवस्था एवं राजनीति जो व्यक्ति की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हो न कि दूसरों के लिए समस्या बने, किन्तु आज ये ही हमारी समस्याएँ हैं। यह न केवल कुछ लोगों अथवा एक देश की समस्या है बल्कि पूरे विश्व की समस्या है। उदाहरणार्थ, अमाजोन में आग लगना न केवल उस क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए समस्या है। उसी तरह पलायन की समस्या न केवल एक राज्य को, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को प्रभावित कर रही है।  

संत पापा ने कहा कि यहीं हमारे लिए एक निमंत्रण है जो विषयवस्तु के दूसरे भाग में है, "आइये, हम एक नये जीवन की ओर आगे बढ़ें।" इस शब्दों को संत अंजेला मेरिची बार-बार कहा करती थी। पर क्या नये जीवन की ओर बढ़ना संभव है?

उन्होंने कहा कि यह संभव है यदि ख्रीस्त के द्वार को खोला जाए एवं उदारता द्वारा उनका अनुसरण किया जाए, हर भाषा और हर प्रकार के लोगों को अपना पड़ोसी बनाया जाए और सभी के विविधताओं, संस्कृति एवं धर्म का सम्मान किया जाए।

संत पापा ने सभी धर्मबहनों को उनके आदर्श के अनुसार जीवन को नया बनाने एवं पृथ्वी के सीमांतों तक उस नये जीवन की सांस को पहुँचाने का आह्वान किया। ताकि जो विश्वास, आशा एवं उदारता का संदेश लेकर जाते हैं वह ख्रीस्त के शिष्यों को आकर्षित करे। उन्होंने प्रार्थना को केंद्र में रखने एवं सामुदायिक लक्ष्य पर बने रहने की सलाह दी ताकि मानवता के विशाल क्षितिज में वे न खो जाएँ जिसके लिए येसु ने अपना जीवन अर्पित किया।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि उर्सुलाईन धर्मबहनें एक साहसी मिशनरी बनें, सब कुछ में परिवर्तन ला सके जिससे कि प्रशासन एवं प्रेरिताई की प्रथा, शैली, कार्यक्रम, भाषा और संरचना, आज की दुनिया में सुसमाचार प्रचार का उपयुक्त माध्यम बन सके। इसके लिए संरचना के प्रेरितिक बदलाव की जरूरत है ताकि यह मिशन उन्मुख एवं बाहर जाने वाला हो सके।

संत पापा ने कलीसिया की आवश्यकता को बतलाते हुए कहा कि कलीसिया को ऐसे लोगों की जरूरत है जो पहले स्वयं का मन-परिवर्तन करें, जो सुसमाचार के आनन्द को खुद सुन एवं समझ सके। उन्होंने धर्मबहनों से कहा कि वे इसी का साक्ष्य संत अंजेला मेरिची की निष्ठावान पुत्रियों के समान देने के लिए बुलाये गये हैं ताकि इस दुनिया की प्यास बुझाने में वे अपना सहयोग दे सकें जो स्वयं ख्रीस्त की प्यास है उनकी दया की प्यास।

संत पापा ने उन्हें उनके शैक्षणिक कार्यों को उत्साह से करने की सलाह दी, विशेषकर, ऐसे समय में जब युवा विभिन्न प्रकार की जानकारियों एवं विचलित करने वाली सूचनाओं के भार से दबे हैं। अतः उन्होंने शिक्षा पर गंभीर रूप से चिंतन करने और युवाओं को मूल्यों के रास्ते पर आगे बढ़ने में मदद देने का परामर्श दिया।

उन्होंने कहा कि मूल्यों के प्रति जागरूकता तभी संभव है जब शिक्षा और सुसमाचार प्रचार को एक साथ मिलाया जाए। यह व्यक्तिगत साक्ष्य के द्वारा संभव है। लोगों के प्रति प्रेम एक शक्ति है जो ईश्वर से मुलाकात करने एवं आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है क्योंकि जो अपने पड़ोसियों से प्रेम करते हैं वे ईश्वर से प्रेम करते हैं दूसरी ओर जो लोग अपने भाई-बहनों से प्रेम नहीं करते, वे अंधकार में विचरण करते हैं और ईश्वर को भी नहीं जानते। जब हम उस मुलाकात के मनोभाव को जीते हैं उनकी भलाई की भावना से उनसे मिलते हैं तब हम ईश्वर के सबसे सुन्दर उपहार को ग्रहण करने के लिए अपने अंदर के द्वार को चौड़ा करते हैं।

जब हम प्रेम से अपने भाई-बहनों के साथ मुलाकात करते हैं विश्वास हमें ईश्वर को पहचानने के लिए आलोकित करता है। यही कारण है कि यदि हम आध्यात्मिक जीवन में बढ़ना चाहें तो हम मिशनरी होना नहीं छोड़ सकते।  

संत पापा ने उर्सुलाईन की धर्मबहनों को सलाह दी कि उनके जीवन का अंतिम लक्ष्य हो, ईश्वर को महिमा देना। उन्होंने उनके लिए प्रार्थना की कि प्रभु उन्हें कृपा प्रदान करे, सदा उनका साथ दे और उनकी यात्रा में उन्हें बल प्रदान करे। 

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03 October 2019, 18:21