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मूर्ति जिसका अनावरण संत पापा फ्राँसिस ने किया मूर्ति जिसका अनावरण संत पापा फ्राँसिस ने किया 

आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की स्मृति में मूर्ति का उद्घाटन

वे लोगों के बीच घूमते हुए उस स्थान पर पहुँचे जहाँ आप्रवासियों की एक विशाल मूर्ति स्थापित की गयी है। संत पापा ने मूर्ति का उद्घाटन किया जिसका शीर्षक है "अनजाने स्वर्गदूत"। इस मूर्ति का निर्माण कनाडा के मूर्तिकार तिमोथी स्कमालताज ने किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

देवदूत प्रार्थना का पाठ करने के उपरांत, संत पापा अपनी खुली कार पर सवार हो, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में, उनके दर्शन हेतु उत्सुक आप्रवासियों के बीच से होकर गुजरे तथा उनका अभिवाद किया। लोग खुशी से नारे लगाते हुए उनका अभिवादन कर रहे थे। वे लोगों के बीच घूमते हुए उस स्थान पर पहुँचे जहाँ आप्रवासियों की एक विशाल मूर्ति स्थापित की गयी है। संत पापा ने मूर्ति का उद्घाटन किया जिसका शीर्षक है "अनजाने स्वर्गदूत"। इस मूर्ति का निर्माण कनाडा के मूर्तिकार तिमोथी स्कमालताज ने किया है।   

"अनजाने स्वर्गदूत" शीर्षक मूर्ति एक आदम कद मूर्ति है जो कांसे और मिट्टी के मिश्रण से बनी है जिसमें विभिन्न संस्कृति, जाति तथा ऐतिहासिक काल के आप्रवासियों एवं शरणार्थियों को दर्शाया गया है।

मूर्ति

मूर्ति को इस तरह बनाया गया है जिसमें लोग कंधे से कंधे मिलाकर एक नाव पर सवार हैं। विभिन्न प्रकार के लोगों की भीड़ के बीच में स्वर्गदूत के पंख दिखाई पड़ते हैं जो आप्रवासियों बीच उनकी पवित्र उपस्थिति को प्रकट करता है। मूर्ति उस विश्वास को व्यक्त करता है कि आप्रवासी एवं शरणार्थी के रूप में अजनबी लोगों के बीच स्वर्गदूत पाये जा सकते हैं।

प्रेरणा

मूर्ति का निर्माण इब्रानियों के पत्र अध्याय 13 के पद 2 से प्रेरित होकर किया गया है जिसमें कहा गया है। "आप लोग आतिथ्य-सत्कार नहीं भूलें, क्योंकि इसी के कारण कुछ लोगों ने अनजाने ही अपने यहाँ स्वर्गदूतों का सत्कार किया है।"(इब्रा.13.2)

संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में इस मूर्ति की स्थापना 105वें विश्व आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस की स्मृति में की गयी है।

मूर्तिकार

कनाडा के मूर्तिकार तिमोथी स्कमालतज 25 वर्षों से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। उनकी मूर्तियों को न केवल वाटिकन में बल्कि विश्व के विभिन्न हिस्सों में स्थापित किया जा चुका है।

मूर्तिकार ने बतलाया कि मूर्ति बाईबिल का दृश्यमान अनुवाद है। उन्होंने कहा कि वे इस तरह की मूर्ति बनाने की कोशिश करते हैं जो दर्शकों को न केवल भावनात्मक रूप से प्रभावित करता बल्कि उन्हें किसी न किसी रूप में उसका हिस्सा होने का एहसास देता है।

मूर्तिकार तिमोथी स्कमालतज ने इस मूर्ति के निर्माण की प्रेरणा का श्रेय नवनियुक्त कार्डिनल माईकेल चरणी येसु समाजी को दिया जो समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद के आप्रवासी एवं शरणार्थी विभाग के उप सचिव हैं।

उन्होंने बतलाया कि रोम में 2017 में फादर से बात हुई थी जिसमें उन्होंने शरणार्थियों के संबंध में एक विशेष मूर्ति के निर्माण का प्रस्ताव रखा था।  

2019 के विश्व आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस के लिए संत पापा फ्रांसिस ने जो विषयवस्तु दी है वह है, "यह न केवल आप्रवासियों की बात है बल्कि यह सुनिश्चित करना है ताकि कोई भी समाज से बहिष्कृत न हो, चाहे वह नवागंतुक हों अथवा लम्बे समय से रह रहा हो।"

105वें विश्व आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस का संदेश 

संत पापा फ्राँसिस ने 105वें विश्व आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस के संदेश में कहा था कि समकालीन आप्रवासन द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के प्रति हमारी प्रतिक्रिया चार क्रियाओं में अभिव्यक्त की जा सकती है: स्वागत, रक्षा, प्रोत्साहन और एकीकरण। यदि हम इन चारों क्रियाओं का अभ्यास करेंगे तब हम इंसान और ईश्वर के शहर का निर्माण करने में मदद करेंगे। तब हम सभी लोगों के समग्र विकास को बढ़ावा दें पायेंगे।  

स्वागत – आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के लिए सुरक्षित एवं वैध रास्तों को बढ़ाना।

सुरक्षा- आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के अधिकार एवं प्रतिष्ठा की रक्षा करना।

प्रोत्साहन- आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के समग्र मानव विकास को प्रोत्साहन देना।

एकीकरण- स्थानीय समुदयों को समृद्ध करने के लिए आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की अधिक सहभागिता।  

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30 September 2019, 16:18