वाटिकन में आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा वाटिकन में आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा 

आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के लिए संत पापा का ख्रीस्तयाग

विश्व आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस के उपलक्ष्य में 29 सितम्बर को, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में, संत पापा फ्राँसिस ने समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया जहाँ हजारों लोगों ने भाग लेकर विश्वभर के आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के लिए प्रार्थना की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 30 सितम्बर 2019 (रेई)˸ कलीसिया में विश्व आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस 1914 से ही मनाया जाता है। इस अवसर पर विभिन्न कमजोर लोगों की याद की जाती है तथा आप्रवासियों की चुनौतियों एवं उनकी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाने के लिए प्रार्थना की जाती है।

धूप (इनसेंस) का प्रयोग

मिस्सा के दौरान जिस धूप (इनसेंस) का प्रयोग किया गया उसे इथोपिया के बोकोलमानयो शरणार्थी शिविर से लाया गया था, जहाँ करीब 40,000 शरणार्थी रहते हैं। वहाँ उच्च गुणवत्ता वाले धूप जमा करने की 600 साल पुरानी परम्परा है। इस पेशा के द्वारा शरणार्थी अपने लिए जीविका अर्जित करते और दूसरों की सहायता पर पूरी तरह निर्भर होने से बचते हैं। यह धूप याद दिलाती है कि शरणार्थी न केवल जीवित रह सकते, बल्कि कामयाब भी हो सकते हैं।

धूप (इनसेंस) का दान, वाटिकन के लिए निदरलैंड के पूर्व प्रेरितिक राजदूत प्रिंस जेम दी बौरबॉन दी पारमे ने संत पापा फ्राँसिस के लिए किया था जो शरणार्थियों के राष्ट्रीय उच्च कमिशनर हैं।

ख्रीस्तयाग के उपरांत संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित किया एवं देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

कलीसिया का ध्यान

संत पापा ने कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, मैं आप सभी का अभिवादन करता हूँ जिन्होंने प्रार्थना के इस अवसर में भाग लिया है जिनके साथ हमने कलीसिया का ध्यान कमजोर लोगों की ओर पुनः आकृष्ट किया है।

विश्व के सभी धर्मप्रांतों के विश्वासियों के साथ हमने विश्व आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस मनाया है ताकि हम यह सुनिशचित कर सकें कि नये आने वाले अथवा लम्बे समय तक रहने वाले, किसी व्यक्ति को भी समाज से बहिष्कृत किये जाने की जरूरत नहीं है।"

इस प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने के लिए मूर्ति का अनावरण किया गया। संत पापा ने आप्रवासियों का स्वागत करने का प्रोत्साहन देते हुए इब्रानियों को लिखे पत्र के शब्दों में कहा, "आप लोग आतिथ्य-सत्कार नहीं भूलें, क्योंकि इसी के कारण कुछ लोगों ने अनजाने ही अपने यहाँ स्वर्गदूतों का सत्कार किया है।"(इब्रा.13.2)

मूर्ति

मूर्ति, कांसा और मिट्टी के समिश्रण से बना है जिसमें विभिन्न संस्कृति एवं ऐतिहासिक काल के आप्रवासियों के दल को दर्शाया गया है।

संत पापा ने मूर्ति को स्थापित करने का उद्देश्य बतलाते हुए कहा, "मैं संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में इस कलात्मक कार्य को स्थापित करना चाहता था ताकि आप प्रत्येक को स्वागत करने की सुसमाचारी चुनौती की याद दिला सकूँ।"

कैमरून के लिए प्रार्थना

तत्पश्चात् संत पापा ने कैमरून के लिए प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "सोमवार 30 सितम्बर को राष्ट्रीय वार्ता पर कैमरून में एक सभा शुरू होगी जिसमें देश में मौजूद संकटों का हल ढूँढने का प्रयास किया जाएगा।" उन्होंने कहा, "मैं लोगों की पीड़ा और उम्मीद को समझता हूँ।" उन्होंने सभी विश्वासियों को निमंत्रण दिया कि वे इस वार्ता के लिए प्रार्थना करें ताकि यह फलप्रद हो सके एवं सभी के हित न्याय और स्थायी शांति के लिए हल निकाला जा सके। शांति की महारानी हमारे लिए प्रार्थना करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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30 September 2019, 16:10