मोजम्बिक, मडागास्कर और मोरिशस की प्रेरितिक यात्रा मोजम्बिक, मडागास्कर और मोरिशस की प्रेरितिक यात्रा  

मोजम्बिक, मडागास्कर और मोरिशस में संत पापा की प्रेरितिक यात्रा

संत पापा फ्रांसिस 4 से 10 सितम्बर तक मोजम्बिक, मडागास्कर और मोरिशस की प्रेरितिक यात्रा करेंगे तो उन देशों में आशा जगायेगा तथा शांति को प्रोत्साहन देगा।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 3 सितम्बर 2019 (रेई)˸ संत पापा अफ्रीका में मिस्र, केनिया, यूगांडा, मध्य अफ्रीकी गणराज्य एवं मोरोक्को की प्रेरितिक यात्रा कर चुके हैं।

तीनों देश जहाँ संत पापा यात्रा करने वाले हैं वहाँ एक ही धागा सभी प्रतीक चिन्हों को पिरो कर रखा है वह है आशा और शांति का धागा।

मोजाम्बिक में संत पापा की प्रेरितिक यात्रा का प्रतीक चिन्ह है "आशा, शांति एवं मेल-मिलाप।" मडागास्कर में संत पापा को शांति और आशा के बीज बोने वाले के रूप में प्रस्तुत किया गया है जबकि मोरिशस ने अपने देश में संत पापा के आगमन को "शांति के तीर्थयात्री" कहा है।

संत पापा स्थानीय कलीसिया एवं सरकारों के निमंत्रण पर इन तीनों देशों की यात्रा करने वाले हैं। यात्रा के दौरान वे विश्वासियों के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित करेंगे, अंतरधार्मिक वार्ता में भाग लेंगे, युवाओं के साथ मुलाकात करेंगे और देश के राजनीतिक नेताओं के साथ बातचीत करेंगे।  

संत पापा प्रेरितिक यात्रा कर रहे हैं अतः वे धर्माध्यक्षों, पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों से भी मुलाकात करेंगे। जैसा कि दूसरी यात्राओं में वे करते हैं वे जेस्विट पुरोहितों से भी मुलाकात करेंगे।

मोजाम्बिक में संत पापा

4 सितम्बर को संत पापा मोजाम्बिक के मापूतो पहुंचेंगे। वे ऐसे समय में इस देश का दौरा करेंगे जब यह इदाई चक्रवात के प्रभाव से उबरने की कोशिश कर रहा है। यह अफ्रीका और दक्षिणी गोलार्ध को हिट करने के लिए रिकॉर्ड पर सबसे खराब उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में से एक है। इदाई चक्रवात के बाद अप्रैल में केनेथ चक्रवात से देश के उत्तरी भाग में भूस्खलन के कारण बहुत अधिक क्षति और जनहानि हुई थी। उम्मीद की जा रही है कि संत पापा वहाँ के लोगों को सांत्वना प्रदान करेंगे, खासकर, उन लोगों को जिन्होंने चक्रवात में अपने प्रियजनों और सम्पति खो दी है।

मोजाम्बिक सन् 1975 में पुर्तगाल से आजाद हुआ किन्तु आजादी के बाद 16 वर्षों तक चले सशस्त्र लड़ाई के प्रभाव से वह अब भी जूझ रहा है, जिसका अंत आधिकारिक रूप से 1992 में हुआ।

हालाँकि गृहयुद्ध आधिकारिक रूप से खत्म हो चुका था, लेकिन वर्षों तक तनाव बना रहा और 2013 में सत्तारूढ़ फ्रीलामो पार्टी और विपक्ष के बीच हिंसा भड़क उठी। अंततः अगस्त 2019 को मोजाम्बिक के राष्ट्रपति फिलिप न्यूसी द्वारा विपक्ष के रेनमो नेता ओस्सुफो मोमाडे के बीच नया व्यापक शांति समझौता पर हस्ताक्षर किया गया। इस यात्रा में निःसंदेह संत पापा शांति को प्रोत्साहन देंगे।

धनी किन्तु विकासशील देश

2011 में मोजाम्बिक के तटीय इलाके के एक विस्तृत क्षेत्र में गैस का भण्डार पाया गया है। उम्मीद है कि इस खोज के द्वारा देश की आर्थिक व्यवस्था में सुधार होगी। फिर भी अभी तक यह अफ्रीका का एक गरीब देश है।

मडागास्कर - अस्थिरता से थके नागरिकों के बीच आशा जगाना

वनिल्ला उत्पादन के लिए प्रसिद्ध द्वीप मडागास्कर अफ्रीका के दक्षिणी पूर्वी तट पर स्थित है। मडागास्कर 1960 में आजाद हुआ है किन्तु यहाँ के लोग राजनीतिक अस्थिरता एवं चुनाव विवाद से थक चुके हैं जिसमें कई बार हिंसा भड़क उठती है।

मडागास्कर के कार्डिनल डेजिरे साराहाजाना ने वाटिकन न्यूज को बतलाया कि देश प्राकृतिक संसाधनों एवं पर्यटन उद्योग के लिए समृद्ध है किन्तु यह विश्व के सबसे गरीब देशों में से एक है।

अतः मडागास्कर में संत पापा कलीसिया के ऐसे अधिकारियों को पायेंगे जो गरीबों एवं हाशिये पर जीवन यापन करने वालों की आवाज बनने की कोशिश करते हैं। कार्डिनल डेजिरे के अनुसार मडागास्कर की कलीसिया नबी बनना चाहती है ताकि देश की सामाजिक आर्थिक कल्याण के लिए, वह बिना पक्षपात के साहस के साथ आवाज उठा सके।

मडागास्कर के काथलिक विश्वासी

मडागास्कर के काथलिक अपने कलीसिया के प्रति अपनी दृढ़ निष्ठा के लिए जाने जाते हैं तथा उनके आदर्श हैं धन्य विक्टोर रासोआमानारिवो।

एक सम्पन्न परिवार में जन्मे धन्य विक्टोर रासोआमानारिवो अत्यधिक विरोध के बीच, काथलिक विश्वास को जीवित रखने के लिए कड़ी मेहनत किये, जब फ्राको-मालागासी युद्ध के दौरान सन् 1883 में मिशनरियों को भगाया जा रहा था। अंत में, जब मिशनरियों को देश में वापस आने की अनुमति दी गयी तब उन्हें काथलिक समुदायों को जीवित पाकर आश्चर्य हुआ। विक्टोर रासोआमानारिवो ने पूरे देश का भ्रमण किया तथा यह सुनिश्चित किया कि सभी जगहों पर धर्मशिक्षा पढ़ाई जाएँ।

मडागास्कर के लोगों के काथलिक उत्साह को समझने के लिए नये धर्मप्रांत का दौरा किया जाना आवश्यक है जहाँ संत पापा हजारों युवाओं से मुलाकात करेंगे। वे वहाँ 8,00,000 लोगों के साथ ख्रीस्तयाग भी अर्पित करेंगे।

मोरिशस- कलीसिया जिसने संत पापा का ध्यान खींचा

9 सितम्बर को संत पापा अंतानानारिवो से मोरिशस की राजधानी पोर्ट लुईस जायेंगे। यह जहाज द्वारा दो घंटे की यात्रा होगी। संत पापा पोर्ट लुईस में एक दिन व्यतीत करेंगे उसके बाद रोम वापस लौटने के लिए मडागास्कर लौट जायेंगे।  

मोरिशस भी अफ्रीका के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है। यह एक छोटा बहु-जातिय देश है। जिसमें कुल आबादी 1.3 मिलियन है। यहाँ हिन्दुओं की संख्या 49 प्रतिशत, काथलकों की संख्या 28 प्रतिशत और मुसलमानों की संख्या 17.5 प्रतिशत है।  

धार्मिक विविधता का देश संत पापा के स्वागत के लिए तैयार

मोरिशस में संत पापा की प्रेरितिक यात्रा की तैयारी पोर्ट लुईस एवं सरकार के सहयोग से की गयी है। सरकार से सार्वजनिक रूप से प्रोत्साहन दिया है कि संत पापा फ्राँसिस का स्वागत उसी उत्साह एवं धूमधाम के साथ किया जाए, जिस उत्साह से 1989 में संत पापा जॉन पौल द्वितीय का स्वागत किया गया था।  

कार्डिनल मोरिचे पियात ने स्थानीय समाचार पत्र को बतलाया कि संत पापा वहाँ शांति के एक तीर्थयात्री के रूप में आ रहे हैं। वहीं देश के प्रधानमंत्री प्रवीण जगनाथ ने कहा है कि संत पापा फ्राँसिस की यह यात्रा न केवल काथलिकों के लिए है बल्कि मोरिशस के सभी लोगों के लिए है, जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं।

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03 September 2019, 17:03