लोगों के बीच संत पापा फ्राँसिस लोगों के बीच संत पापा फ्राँसिस 

मोजाम्बिक, मडागास्कर, मॉरिशस में पोप-आनन्द, आशा और जिम्मेदारी

मोजाम्बिक, मडागास्कर एवं मॉरिशस में संत पापा फ्राँसिस की प्रेरितिक यात्रा की यादें और उनके संदेश।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 10 सितम्बर 2019 (रेई)˸ वाटिकन रेडियो के प्रमुख संपादक अंद्रेया तोरनियेली ने कहा कि संत पापा फ्राँसिस ने मोजाम्बिक, मडागास्कर एवं मॉरिशस में अपनी प्रेरितिक यात्रा समाप्त की किन्तु हमारे मन में अभी भी बच्चों, महिलाओं एवं पुरूषों के आनन्दित चेहरे ताजे हैं। जिन्होंने मापूतो एवं अंतानानारिवो के कीचड़ और धूल भरे रास्तों पर संत पापा का साथ दिया। उन लोगों के चेहरे जो इन तीनों देशों में अर्पित समारोही धर्मविधियों में भाव-विभोर होकर भाग लिया।

कठिनाइयों एवं अनिश्चित स्थितियों में जीवन व्यतीत करने के बावजूद उन्होंने जिस  खुशी को व्यक्त किया वह हमारे लिए शिक्षाप्रद है। यह हमें सिखलाता है कि हम केवल आर्थिक स्थिति से जुड़े मापदंडों के अनुसार लोगों के हाल-चाल को नहीं आंक सकते हैं। जीवित विश्वास, मैत्रीपूर्ण संबंध, रिश्ते, पारिवारिक संबंध, एकात्मता, छोटी चीजों के लिए खुश हो पाना, अपने आपको को देने की तत्परता ये सभी चीजें मापदंड हैं जिनकी गिनती नहीं की जाती है।  

पूरी यात्रा में सबसे अधिक प्रभावित करने वाला क्षण था, अकामासोवा में 8,000 बच्चों के साथ संत पापा की मुलाकात। यह मुलाकात एक उस स्थान पर हुई जहाँ कभी कचरों का ढेर हुआ करता था। अब वहाँ ईंट के सुन्दर घर बने हैं और स्कूल घर तथा खेल मनोरंजन के स्थान तैयार किये गये हैं। यह काम करीब 30 वर्षों पहले काथलिक कलीसिया के छिपे खजानों में से एक, फादर पेद्रो ओपेका के द्वारा शुरू किया गया था। इस कार्य ने बहुत सारे लोगों में ख्रीस्तीय आशा जगायी है।

इस मिशनरी फादर के समर्पण से हजारों परिवारों ने अपनी नौकरी और प्रतिष्ठा प्राप्त की। हजारों बच्चों ने अपने सिर के ऊपर छत, भोजन और स्कूल पढ़ने का अवसर प्राप्त किया। अकामासोवा में बच्चों द्वारा गाजे-बाजे के साथ संत पापा का स्वागत आत्मा को संतोष प्रदान करने वाला था।

तोरनियेली ने लिखा, "अफ्रीका, एशिया और लातिनी अमरीका तथा पश्चिम के समस्या- ग्रस्त उपनगरों में कितने फादर पेद्रो हैं? उन बच्चों के चेहरों पर चिंतन करें जो बड़ी खुशी से अपने घर में संत पापा का स्वागत कर रहे थे मानो कि उनके दादाजी सफेद वस्त्र धारण कर रोम से पधारें हों। हमने वहाँ कलीसिया और उसके मिशन की गहराई को देखा जो सुसमाचार का प्रचार करती एवं मानव व्यक्ति को बढ़ावा देती है।  

सुसमाचार प्रचार करने का अर्थ है ईश्वर की उपस्थिति का साक्ष्य देना जिन्होंने अपने लोगों के बीच जीने और रहने का निर्णय लिया है, जैसा कि संत पापा फ्राँसिस ने अकामासोवा में कहा।

इस प्रेरितिक यात्रा के दौरान संत पापा ने पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों का आह्वान किया कि वे सच्चे मिशनरी भावना की ज्वाला को प्रज्वलित रखें जो हमें पीड़ित लोगों के करीब रहने से अलग नहीं कर सकता।

संत पापा ने गरीबी की स्थिति को अपरिहार्य नहीं मानने का आह्वान किया। उन्होंने गरीबी के अभिशाप का सामने करने से कभी नहीं रूकने और आसान जिंदगी या अपने आप में बंद होने के प्रलोभन में नहीं पड़ने की सलाह दी।

संत पापा की इस यात्रा में अन्य महत्वपूर्ण बातें हैं कि उन्होंने सरकार, राजनीतिज्ञों एवं नागर अधिकारियों का आह्वान किया कि वे अपनी जिम्मेदारियों पर ध्यान दें ताकि विकास की राह पर नया कदम लिया जा सके। उन्होंने वर्तमान की आर्थिक-वित्तीय मॉडल पर सवाल कर सकने के परिवर्तनात्‍मक रास्ते की खोज करने की भी बात कही जो व्यक्ति पर अधिक ध्यान दे, जीवन की प्रतिष्ठा, संस्कृति एवं परम्परा और प्रकृति को सम्मान और सहयोग दे, ताकि लोग अपने भविष्य का निर्माण कर सकें और इन विरासतों को भावी पीढ़ी के लिए भी हस्तांतरित कर सकें।    

तोरनियेली ने कहा कि संत पापा ने ये संदेश भले ही मोजाम्बिक, मडागास्कर और मॉरिशस को दिये हों किन्तु यह हम सभी के लिए है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

10 September 2019, 15:18