तलिथा कुम की महा सभा के प्रतिभागियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस तलिथा कुम की महा सभा के प्रतिभागियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

मानव तस्करी से संघर्ष में अधिक लोगों को जुड़ने की आवश्यकता

संत पापा फ्राँसिस ने 26 सितम्बर को वाटिकन में "तलिथा कुम" की पहली महासभा के 120 प्रतिभागियों का अभिवादन किया। उन्होंने अधिक धर्मसमाजों एवं कलीसिया के विभागों को मानव तस्करी से संघर्ष करने हेतु शामिल होने का आह्वान किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 26 सितम्बर 2019 (रेई)˸ "तलिथा कुम" धर्मसमाजियों का एक विश्वस्तरीय नेटवर्क है जो मानव तस्करी के खिलाफ कार्य करता है। इसकी स्थापना 2009 में, धर्मसमाजों की परमाधिकारिणियों के अंतरराष्ट्रीय संघ के द्वारा की गयी है। आज यह एक विश्वस्तरीय नेटवर्क बन गया है जो केवल 10 वर्षों में विश्व के 90 देशों के 52 धर्मसमाजों का समन्वय करता है।  

उपलब्धियाँ

इस नेटवर्क में करीब 2,000 कार्यकर्ता, मानव तस्करी के शिकार 15,000 लोगों की सहायता करते हैं तथा करीब 2 लाख लोगों के बीच जागृति लाने का प्रयास कर रहे हैं।  

संत पापा ने कहा, "मैं आप सभी को इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए बधाई देता हूँ जो अत्यन्त जटिल और नाटकीय क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। यह कार्य मिशन और संस्थाओं के बीच सामंजस्य को बनाये रखता है।"

महासभा में संगठन के कार्यों का मूल्यांकन किया जाएगा तथा अगले पाँच वर्षों के लिए मिशन की प्राथमिकता की पहचान की जायेगी।

समस्याएँ एवं समाधान

संत पापा ने दो मुख्य मुद्दों पर प्रकाश डाला। पहला, विश्व में महिलाओं की स्थिति में अंतर अभी भी देखा जा सकता है, खासकर, सामाजिक सांस्कृतिक कारकों द्वारा, वहीँ दूसरी ओर, नवमुक्त विकास मॉडल का व्यक्तिगत दृष्टिकोण जो जिम्मेदारी की स्थिति को कमजोर करने की जोखिम उठाती है।

उन्होंने गौर किया कि महासभा में समाधान का प्रस्ताव रखा जा रहा है एवं उन्हें लागू किये जाने के संसाधनों पर प्रकाश डाला जा रहा है। उन्होंने उनकी प्रेरितिक योजना की सराहना की जिसके द्वारा, स्थानीय कलीसिया को अधिक गुणवत्ता एवं फलप्रद सहायता दी जायेगी।  

इस संबंध में उन्होंने वाटिकन के समग्र मानव विकास परिषद के आप्रवसी एवं शरणार्थी विभाग के "व्यक्ति की तस्करी पर प्रेरितिक दिशानिर्देश" की मदद लेने का सुझाव दिया।

संघर्ष में शामिल होने हेतु निमंत्रण

मानव तस्करी के खिलाफ संघर्ष करने एवं पीड़ितों की सहायता करने वाली महिला धर्मसमाजियों को प्रोत्साहन देते हुए संत पापा ने अन्य पुरूष और महिला धर्मसमाजों से भी अपील की कि वे अपनी प्रेरिताई कार्यों द्वारा इस मिशनरी कार्य में शामिल हों ताकि सभी स्थानों तक पहुँचा जा सके।

संत पापा ने उन धर्मसमाजों का विशेष रूप से आह्वान किया जो अपनी आंतरिक समस्याओं में उलझे हुए हैं और उनसे कहा कि बाहर निकलने के द्वारा ताजी हवा अंदर प्रवेश करेगी और उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा।

उन्होंने मानव तस्करी के खिलाफ लड़ने की इस योजना में स्थानीय धर्माध्यक्षों के शामिल होने और स्थानीय काथलिक कलीसिया में कार्यरत सभी पुरोहितों एवं धर्मबहनों तथा संगठनों को भी संलग्न किये जाने की इच्छा व्यक्त की ताकि कलीसिया का यह कार्य अधिक प्रभावशाली एवं समय के साथ हो सके।

अंत में, संत पापा ने समर्पित जीवन के रास्ते पर महिला और पुरूष दोनों धर्मसमाजियों को कलीसिया के रास्ते पर चलने की सलाह दी क्योंकि कलीसिया के बाहर और उसके समानंतर चीजें सही तरीके से नहीं किये जा सकते।   

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26 September 2019, 17:03