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खेल जीवन के मूल्यों को विकसित करने में मदद देता है, संत पापा

शनिवार को इटली के जिमनास्टिक संघ से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें वफादारी और एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना में हमेशा बने रहने की सलाह दी।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 28 सितम्बर 2019 (रेई)˸ इटली का जिमनास्टिक (व्यायामविद्या) संघ अपनी स्थापना का 150वाँ वर्षगाँठ मना रहा है। इसकी स्थापना खेल की संस्कृति को शारीरिक व्यायामविद्या के माध्यम से बढ़ावा देने के लिए किया गया है।

उन्होंने कहा, "समाज में खेल संगठन की उपस्थिति न केवल खेल के क्रिया-कलापों का आयोजन करना है। वे एक ऐसी मानसिकता को भी बढ़ावा दे सकते हैं जो व्यक्ति के समग्र विकास एवं सामाजिक मैत्री को प्रोत्साहन दे सकता है। यह खेल को न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए समझना और जीना है बल्कि इसे एक साहसिक, सकारात्मक और आशावादी जीवन के आदर्श के रूप में अपनाया जा सकता है। इस तरह खेल एक शैक्षणिक अनुभव बन जाता है जो नई पीढ़ी को जीवन के मूल्यों, वफादारी और न्याय, अच्छाई एवं सुन्दरता का स्वाद लेने तथा स्वतंत्रता और एकात्मता को विकसित में मदद कर सकता है।"

इन दिनों खेल प्रणाली में लाभ का तर्क, आक्रमक प्रतिस्पर्धी भावना और दुर्भाग्य से हिंसक मनोभाव दिखाई पड़ता है। संत पापा ने कहा कि ये तीनों मनोभावों में एक चीज की कमी होती है और वह कमी है खेल का शौकिया आयाम। जब खेल शौकिया आयाम खो देता है तब ये तीनों मनोभाव उभरते हैं जो खेल के स्तर को गिरा देते हैं।

उन्होंने कहा कि इन नकारात्मक आयामों का सामना करते हुए अधिकारी और खिलाड़ी खेल जगत में ख्रीस्तीय विश्वास से प्रेरित होकर सुसमाचार की मानवीय शक्ति को प्रकट करें। इस तरह वे अधिक भाईचारापूर्ण समाज के निर्माण में सहयोग दे सकेंगे।  

संत पापा ने 150वीँ वर्षगाँठ के अवसर पर शुभकामनाएँ दी कि वे खेल को हमेशा निष्ठा एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्धी भावना से खेल सकें जो उन्हें जीवन की दौड़ में साहस और ईमानदारी तथा आनन्द एवं भविष्य पर भरोसा रखते हुए शांत भाव से भाग लेने में मदद देगा।

संत पापा ने संघ को ईश्वर को अर्पित करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।  

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28 September 2019, 17:26