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आमदर्शन समारोह के दौरान संत पापा आमदर्शन समारोह के दौरान संत पापा 

कलीसिया के शहीद सच्चे विजेता, संत पापा

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के दौरान प्रेरित चरित पर अपनी धर्मशिक्षा माला देते हुए विश्वासियों और सभी तीर्थयात्रियों को शहीदों से जीवन जीने की कला सीखने का आहृवान किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, 25 सितम्बर 2019 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को प्रेरित चरित पर अपनी धर्मशिक्षा माला देने के पूर्व संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

प्रेरित चरित की पुस्तिका में हम विश्व में सुसमाचार की यात्रा का अनुसरण करना जारी रखते हैं। संत लूकस इस यात्रा के अनुरूप ख्रीस्तीय समुदाय में उत्पन्न होने वाले फलों और मुसीबतों, दोनों बातों की बृहृद सच्चाई को हमारे सामने प्रस्तुत करते हैं। संत पापा ने कहा कि हम शुरू से ही अपने बीच मुसीबतों को पाते हैं। हम इस दोनों विरोधाभास की चीजों के मध्य कैसे सामंजस्य स्थापित कर सकते हैंॽ

ख्रीस्तीय समुदाय सभों के लिए खुला है

उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय समुदाय केवल यहूदियों का स्वागत नहीं करता था बल्कि अलग संस्कृति और संवेदनशीलता में दूसरे स्थानों से आने वाले यूनानियों और गैर-यहूदियों को भी अपने में शामिल करता था। वे दूसरे संप्रदाय के लोगों का भी अपने बीच स्वागत करते थे जिन्हें आज हम “गैर-ख्रीस्तियों” की संज्ञा देते हैं। यह सह-असित्व अपने में नाजुक और अनिश्चित संतुलन का कारण बनती है। कठिनाइयों के आने पर हमारी यह स्थिति अपने में झांड़-झांकड़-सी हो जाती है। संत पापा ने कहा कि वह कौन-सी बुराई है जो हमारे समुदाय को नष्ट कर देती हैॽ यह एक दूसरे की निंदा-शिकायत, चुंगली करना है। अपने विधवाओं की अवहेलना के कारण यूनानी समुदाय के प्रति टीका-टिप्पणी करते हैं।

प्रेरित अपने में निरिक्षण की एक प्रक्रिया शुरू करते हैं जिससे समुदाय में उत्पन्न हुए समस्याओं का निपटारा किया जा सके। समस्या का हल खोजते हुए वे विभिन्न कार्यों का आपसी बंटवारा करते हैं जिससे कलीसिया एक समुदाय के रुप में विकासित हो सके और दोनों समुदायों के गरीबों की देख-रेख की जा सके।

प्रेरितों और उपयाजकों के मुख्य कार्य

प्रेरित अपने में इस बात से वाकिफ हैं कि उनका मुख्य कार्य प्रार्थनामय जीवन व्यतीत करते हुए ईश्वर के वचनों को प्रसारित करना है। समुदाय में उत्पन्न हुए मतभेद के समाधान हेतु वे अपने मध्य पवित्र आत्मा से परिपूर्ण सात बुद्धिमान और ईमानदार व्यक्तियों का चुनाव करते हैं (प्रेरि.6.3)। उनके ऊपर हस्तारोपण किया जाता और वे सेवा कार्य में नियुक्त किये जाते हैं। वे “उपयाजक” कहलाते हैं जिनका निर्वाचन सेवाकाई हेतु होता है। उपयाजक कलीसिया में द्वितीय श्रेणी की पुरोहिताई के अंग नहीं हैं। वे वेदी हेतु नहीं वरन सेवा हेतु नियुक्त किये गये हैं। कलीसिया में उन्हें सेवा का कार्यभार सौंपा गया है। संत पापा ने कहा कि यदि एक उपयाजक वेदी के निकट रहने की सोचता है तो यह गलत है। यह उसका कार्य नहीं है। प्रेरित उन्हें नियुक्त करते हैं जिससे ईशवचन की सेवा और सेवा के कार्य जो खमीर का प्रतीक है जिससे कलीसिया का विस्तार होता है, सामंजस्य स्थापित किया जा सकें।

दोषारोषण, “शैतानी चाल”

संत पापा ने कहा कि प्रेरित सात उपयाजकों को नियुक्त करते हैं जिनमें हम स्तीफन और फिलीप की प्रमुखता पाते हैं। स्तीफन अनुग्रह और सामर्थ्य़ से परिपूर्ण होकर सुसमाचार का प्रचार करता है लेकिन उनके शब्दों का घोर विरोध किया जाता है। लेकिन उनके विरोधी उन्हें रोक नहीं पाते और एक हथकंडा अपने हैं। वे क्या करते हैंॽ वे उन्हें खत्म करने का एक ऊपाय खोज निकालते हैं अर्थात वे उस पर झूठा दोष लगाते हैं। हम इस बात से भली-भांति वाकिफ हैं कि दोषारोषण सदा मृत्यु का कारण बनती है। यह “शैतानी चाल” है जो व्यक्ति के सम्मान को सर्वनाश करने की चाह से उत्पन्न होती तथा कलीसिया के अन्य लोगों को भी बुरी तरह नुकसान पहुँचाती है। दो दुष्ट इच्छाओं का मिलन होना या जब हम अपनी गलतियों को छुपाने की कोशिश करते तो यह किसी की निष्ठा का विनाश करती है।

सत्य का साक्ष्य, अभियोग का कारण

स्तीफन को यहूदियों की सभा में पेश किया जाता और उन पर झूठे दोष लगाये जाते हैं- जैसा कि येसु ख्रीस्त के साथ किया गया था। संत पापा ने कहा कि शहीदों के साथ भी ऐसा ही किया जायेगा। उन पर झूठे दोष और अभियोग लगाये जायेंगे। स्तीफन इतिहास में येसु के साथ हुई घटना की याद दिलाते हैं। येसु का पास्का जहाँ वे मर कर पुनर्जीवित हुए सारी विधान का इतिहास है। पवित्र आत्मा में दिव्य उपहारों से परिपूर्ण स्तीफन आडम्बर का परित्याग करते हैं जैसा कि नबियों और स्वयं येसु ख्रीस्त ने किया। वे हम इस बात कि याद दिलाते हैं “आपके पूर्वजों ने किस नबी पर अत्याचार नहीं कियाॽ उन्होंने उन लोगों का वध किया, जो धर्मात्मा के आगमन की भविष्यवाणी करते थे।” (प्रेरि.7.52) संत पापा ने कहा कि वे आधे शब्दों का उपयोग नहीं करते वरन वे सच्चाई को पूरी तरह घोषित करते हैं।

यह सुनने वालों को आक्रोशित कर देता है औऱ वे स्तीफन को पत्थरों से मार डालते हैं। लेकिन वे शिष्य होने का सच्चा “सार” प्रस्तुत करते हैं। वे अपने बचाव हेतु प्रसिद्ध लोगों को नहीं पुकारते हैं जो उन्हें बचा सकते थे। वे अपने जीवन को ईश्वर के हाथों में सौंपते हुए अति सुन्दर प्रार्थना करते हैं, “प्रभु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर।” (प्रेरि.7.59) वे ईश्वर के पुत्र समान अपने हत्यारों के पाप क्षमा करते हुए मृत्यु को प्राप्त करते हैं, “प्रभु, यह पाप उन पर मत लगा।” (7.60)

क्षमादान विश्वासीय गुण की अभिव्यक्ति

संत पापा ने कहा कि स्तीफन के ये शब्द हमें इस बात की शिक्षा दे कि केवल अच्छे वक्तव्य हमें ईश्वरीय संतान होने की पहचान प्रदान नहीं करते, परन्तु अपनी हाथों को ईश्वर के हाथों में समर्पित करना जहाँ हम हानि पहुँचाने वालों को क्षमा करते हैं, हमारे विश्वास के गुण को बयां करते हैं।

उन्होंने कहा कि कलीसिया में शहीदों का संख्या भरी हुई है- वास्तव में कलीसिया के शुरूआती दिनों की अपेक्षा आज हमारे बीच शहीदों की संख्या अधिक है जो सर्वत्र हैं। कलीसिया शहीदों के खून से सींचित है यह “नये ख्रीस्तियों का बीज” है जो ईशप्रजा हेतु विकसित और फलहित होता है। शहीद “संतगण” नहीं वरन शरीर और रक्त के मानव नर और नारी हैं जैसा कि प्रकाशना ग्रंथ कहता है, “उन्होंने मेमने रक्त में अपने वस्त्र धोकर उजले कर लिये हैं।” (प्रका.7.14) वे सही अर्थ में विजेता हैं।

शहीदों से जीवन जीने की कला सीखें

संत पापा ने कहा कि हम येसु ख्रीस्त से निवेदन करें कि वे हमें कल और आज के शहीदों को देखने में मदद करें जिससे हम सम्पूर्ण जीवन जीने की कला सीख सकें, जो हमें अपने रोज दिन के जीवन में सुसमाचार और येसु के प्रति निष्ठावान बने रहने को प्रेरित करता है।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभों के संग हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। 

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25 September 2019, 16:46