संत पापा मडागास्कर कलीसिया के चरवाहों  संग संत पापा मडागास्कर कलीसिया के चरवाहों संग 

गरीबों को कभी न भूलें, संत पापा फ्रांसिस

संत पापा फ्रांसिस ने तीन अफ्रीकी देशों की प्रेरितिक यात्रा के तीसरे दिन मडागास्कर के आदोहालो महागिरजाघर में धर्माध्यक्षों को अच्छा चरवाहा बनने का संदेश दिया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

मडागास्कर 07 सितम्बर 2019 (रेई) संत पापा ने प्रेरिताई कार्य की निष्ठा हेतु धर्माध्यक्षों के प्रति अपने कृतज्ञता के भाव प्रकट करते हुए कहा कि इस समृद्ध भूमि में जहाँ पैतृक संस्कृति और ज्ञान, जो मानव जीवन और प्रतिष्ठा का सम्मान करता है असमानता और भ्रष्टचार की उपस्थिति में आपके लिए एक चुनौती उत्पन्न करती है।

शांति और आशा बोयें

उन्होंने कहा कि इस देश में मेरी तीर्थ की विषयवस्तु है “शांति और आशा बोनेवाले”, जो आपके प्रेरिताई  कार्य से मेल खाता है। “हम सभी बोने वाले हैं और जो बोते हैं वे इस कार्य को आशा, मेहनत और अपनी  निष्ठा में करते हैं।” इतना ही नहीं और भी दूसरी चीजें हैं जो बीज को बढ़ने में मदद करते जो सयम आने पर अधिक फल देता है। बोने वाला अपने में चिंतित रहता है लेकिन वह अपने में हताश नहीं होता और अपने कार्य को नहीं छोड़ता है। कई बार उसके खेतों में कम फल लगते हैं... लेकिन वह प्रतीक्षा, विश्वास करते हुए अपने में इस बात का अनुभव करता है कि उसके बीज बोने में कुछ तुष्टियाँ रह गई हैं। “लेकिन वह अपनी भूमि जो उसे सौंपी गई है उसे प्रेम करना और उसकी देख-रेख करना नहीं छोड़ता है। वह उसे दूसरों के हाथों में नहीं परित्याग देता है।”  

धर्माध्यक्ष बोनेवाला

संत पापा ने कहा कि बीज बोने वाला अपनी जमीन को जानता है क्योंकि उसने उसका “स्पर्श”, उसका “अनुभव” किया है, वह उसे उत्तम पैदवार हेतु तैयार करता है। “धर्माध्यक्षगण उसी बोनेवाले के समान हैं जो इस धरती पर विश्वास और आशा के बीज बोने हेतु भेजे गये हैं।” यह कार्य हमें “खेतों की खुशबू” को जानने हेतु इंद्रियों को विकासित करने की मांग करती है जिससे हम बोने में होने वाली कठिनाइयों, तुष्टियों को जान सकें। यही कारण है कि कलीसिया के चरवाहों को, सुसमाचार प्रचार के संबंध में जो लोकधर्मियों के जीवन का सम्पूर्ण विकास करता है, अपने विचारों से अवगत कराने की जिम्मेदारी दी गई है। हम अपने में ऐसा नहीं सोच सकते कि धर्म केवल व्यक्तिगत दायरे तक ही सीमित है जो केवल आत्माओं को स्वर्ग की ओर अग्रसर करता है। संत पापा ने कहा कि ईश्वर इस धरती में भी हम सभों की खुशी चाहते हैं यद्यपि हम स्वर्ग राज्य हेतु बनाये गये हैं, उन्होंने हमारी खुशी हेतु दुनिया की चीजों को गढ़ा है। (1 तिम.6.17)

उन्होंने कहा कि मैं इस बात से वाकिफ हूं कि धर्माध्यक्षों के रुप में आप अपने भाइयों और बहनों के लिए चिंतित हैं जो लोगों और इस देश की एकता तथा समृद्धि में अपना सहयोग देते हैं। क्या एक चरवाहा अपने लोगों की चुनौतियों के सामने उदासीन रह सकता हैॽ अपने में येसु ख्रीस्त के हृदय को धारण करते हुए क्या वह अपने लोगों के प्रति तटस्थ रह सकता हैॽ

आत्म-परीक्षण

कलीसियाई प्रेरितिक कार्य के आयाम सदैव अपने में आत्म-निरिक्षण की मांग करती है जो सामान्यतः सहज नहीं हैं। इस संदर्भ में कलीसिया और देश के बीच सामजस्य स्थापित करते हुए कार्य करना अपने में एक चुनौती है क्योंकि हम दोंनो के बीच एक टकराव को देखते हैं। ऐसी परिस्थिति में ध्यानपूर्वक पवित्र आत्मा को सुनना, हममें सुसमाचार के उत्साह को बनाये रखने में मदद करता है जिसके फलस्वरुप सामाजिक जीवन में लोगों की भलाई हेतु हम निष्ठावान बने रहते हैं। हमारा आत्म-परीक्षण इस भांति हमें हर तरह से गरीब लोगों हेतु कार्य करने को प्रेरित करता है। हम लोगों की स्वतंत्रता, रचनात्मक, सहभागिता और पारस्परिक सहायक श्रम के माध्यम मानव जीवन की गरिमा को समाज में स्थापित करते हैं।  

मानव जीवन की सुरक्षा

संत पापा ने कहा कि मानव जीवन की सुरक्षा हमारे प्रेरितिक उत्तरदायित्व का एक दूसरा पहलू है। सुसमाचार प्रचार हेतु ईश्वरीय मनोभावों को धारण करने का अर्थ हमारे लिए सर्वप्रथम गरीबों को सुसमाचार सुनाना है। उन्होंने कहा, “हम इस बात पर संदेह नहीं कर सकते, कि “गरीब हमेशा की तरह सदा ही ईश वचन के धारक होते हैं” और वास्तव में उनके बीच सुसमाचार की घोषणा यह दर्शाती है कि येसु अपने राज्य की स्थापना हेतु आये। हमें इस बात पर बल देने की आवश्यकता है कि विश्वास और गरीबी के बीच का संबंध अटूट है। हम उनका परित्याग कभी न करें।” दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि गरीबों, परित्यक्त लोगों, बच्चे जो अतिसंवेदशील हैं, जो शोषण और दुराचार के शिकार हैं उनके निकट रहना और उनकी रक्षा करना हमारा विशेष कार्य है।

हम धैर्य में बने रहें

बोने हेतु खेतों की सफाई और हल चलने का कार्य केवल प्रेरितिक उत्साह से करना काफी नहीं हैं, यह हम में निर्भर नहीं करता या हम इस पूरी प्रक्रिया के उत्तरदायी नहीं होते अतः हमें ख्रीस्तीय धैर्य में इसकी प्रतीक्षा करनी है। संत पापा ने कहा कि बोने वाला सारी चीजों को नियंत्रण में रखने का प्रयास न करे। वह नई पहल, समय और स्थान हेतु खुला रहे जिससे चीजों का विकास अपने समय में अच्छी तरह हो सके। वह जरुरत से ज्यादा चीजों की मांग या अल्प फसल का तिरस्कार न करे। सुसमाचार के प्रति इस तरह की निष्ठा हमें लोकधर्मियों, हमारे पुरोहितों के निकट लाती है।

आध्यात्मिक सलहकार का अर्थ

संत पापा ने इतालवी धर्माध्यक्षों से संग साझा किये गये अपनी बातों का हवाला देते हुए कहा,“हमारे पुरोहित अपने धर्माध्यक्षों को अपने बड़े भाई और पिता की तरह देखते हैं जो उनके जीवन यात्रा में उन्हें प्रोत्साहित करते और सहारा देते हैं।” (इतालवी धर्माध्यक्षीय सम्मेलन 20 मई 2019) आध्यात्मिक सलहकार होने का अर्थ यही है कि एक धर्माध्यक्ष अपने पुरोहितों को अनाथ न छोड़े वरन वह उनके करीब रहे, उनके जीवन की कठिनाइयों में उनकी खोज करते हुए उन्हें सहायता प्रदान करे।

अपने जीवन की खुशी, चुनौतियों और प्रेरितिक कार्य के मध्य पुरोहित आप सभों को एक पिता के रुप में देखें जो सदा उनके साथ रहते, उन्हें प्रोत्साहित तथा सहायता प्रदान करते और उनके कार्य की प्रशंसा करते हुए उनका दिशा-निर्देशन करते हैं। द्वितीय वाटिकन महासभा इस बात पर जोर देते हुए कहती है, “धर्माध्यक्षों को चाहिए की वे पुरोहितों को विशेष प्रेम करें, जो अपने जीवन के कार्यों को उत्साहपूर्वक रोज दिन पूरा करते हैं। वे उनके संग पुत्र और मित्र स्वरुप पेश आयें। विश्वास में वे उनकी बातों को सुनने हेतु सदा तैयार रहें जिससे वे उन्हें धर्मप्रांत के प्रेरितिक कार्यों की जिम्मेदारी सौंप सकें।” (ख्रीस्तुत दोमिनुस 16)

धैर्यपूर्ण मजदूरों को तैयार करें

पृथ्वी की देख-रेख, फसल के धैर्यपूर्ण प्रतीक्षा का अंग है। कटनी के समय किसान योग्य मजदूरों को नियुक्त करता है। संत पापा ने कहा कि चरवाहे के रुप में आत्म-निरीक्षण और सहचर्य आप का एक मुख्य कार्य है विशेषकर बुलाहटीय और समर्पित जीवन के संबंध में। फसल अपने में बहुत अधिक है और येसु ख्रीस्त सच्चे मजदूरों की आशा करते हैं जिसके फलस्वरुप युवागण उदारता में अपने जीवन को समर्पित करें। पुरोहिताई और समर्पित जीवन हेतु उम्मीवारों का प्रशिक्षण उनमें परिपक्वता और सही मानसिकता के विकास की मांग करता है। प्रभु की दाखबारी में कार्य करने हेतु सच्चे और पवित्र मजदूरों को तैयार करने के धर्माध्यक्षों के प्रयास की संत पापा ने भूरि-भूरि प्रशंसा की।

संत पापा ने कहा कि आप का यह प्रयास विश्व के लोकधर्मियों तक प्रसारित हो। वे भी अपने दैनिक जीवन के कार्यों द्वारा फसल लुनने और जाल डालने हेतु भेजे जाते हैं। दुनिया की कठिन और विभिन्न परिस्थितियों में ईश्वर उन्हें उनकी उदारता में उत्तरदायी ढ़ंग से सुसमाचार के खमीर को प्रसारित करने भेजते हैं। इस संदर्भ में संत पापा ने धर्माध्यक्षों के उन कार्यो की सराहना की जहाँ उन्होंने लोकधर्मियों को अपने में संसार की ज्योति और नमक स्वरुप नहीं छोड़ा दिया है परन्तु उनके प्रशिक्षण हेतु विभिन्न तरह की पहल की है। ऐसा करने के द्वारा वे समाज और मडागास्कर की कलीसिया में परिवर्तन की ब्यार लायेंगे।

अपने को खुला रखें

संत पापा ने कहा कि येसु ख्रीस्त की दखबारी में हमारा यह उत्तरदायित्व हमें अपने मन और दिल को खुला रखने की चुनौती देता है जिसके फलस्वरुप हम अपने को बंद और अपने में सीमित न रखें। हम अपने बीच में भ्रातृत्वमय वार्ता करें, अपने उपहारों को एक-दूसरे के संग साझा करें। चाहे यह प्रर्यावरण की सुरक्षा हो या प्रवासियों की समस्या यह हमें एक साथ चिंतन करते हुए इसके प्रभावकारी समाधान की मांग करता है।

अपने संबोधन के अंत में संत पापा फ्रांसिस ने कहा, “मैं विशेष रुप से पुरोहितों, धर्मबंधुओं और धर्मबहनों का अभिवादन करता हूँ जो बुजुर्ग और बीमार हैं। आप उन्हें मेरे प्रेम और मेरी प्रार्थना का सामीप्य प्रदान करते हुए उनकी प्रेमपूर्ण सेवा करें।

इस महागिरजाघर की रक्षा दो नारियाँ करती हैं धन्य वितोरिये रोसोमानारिवो जिन्होंने विश्वास की रक्षा करते हुए कठिन परिस्थितियों में भी सुसमाचार का प्रचार किया और कुंवारी मरियम की प्रतिमा जिनकी बाहें खुली हैं जो सभों का आलिंगन करती हैं। वे हमारे हृदय को विस्तृत करें जिससे हम मातृत्व करुणामय हृदय का विकास कर सकें, जिसके माध्यम स्वयं ईश्वर इस धरती पर आशा के बीज बोते हैं। 

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07 September 2019, 16:31