संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

प्रभु के साथ अंतिम मुलाकात के लिए तैयार रहें, संत पापा

''तुम्हारी कमर कसी रहे और तुम्हारे दीपक जलते रहें", ताकि हम अपने जीवन में ईश्वर के गुजरने को महसूस कर सकें, क्योंकि ईश्वर हमेशा हमारे जीवन से होकर पार होते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 12 अगस्त 2019 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 11 अगस्त को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज के सुसमाचार पाठ में  (लूक. 12,32-48) येसु अपने शिष्यों को निरंतर जागते रहने का निमंत्रण देते हैं। ताकि हम अपने जीवन में ईश्वर के गुजरने को महसूस कर सकें, क्योंकि ईश्वर हमेशा हमारे जीवन से होकर पार होते हैं। वे संकेत देते हैं कि हम किस तरह जागते रहें, ''तुम्हारी कमर कसी रहे और तुम्हारे दीपक जलते रहें।" (पद. 35)

''तुम्हारी कमर कसी रहे"

हमारी कमर कसी हो, यह एक ऐसी छवि को प्रस्तुत करता है जिसमें व्यक्ति तीर्थयात्रा जाने के लिए तैयार हो। यह अपने आपको आराम देने और सुरक्षित स्थान की खोज करने में नहीं किन्तु अपने आपको खोलने, सादगी का जीवन अपनाने, अपने जीवन में ईश्वर की उपस्थिति पर भरोसा रखने और ईश्वर की इच्छा पर चलने के संबंध में है जो हमें लक्ष्य की ओर ले चलता है। ईश्वर हमेशा हमारे साथ चलते हैं और कई बार हमारा हाथ पकड़कर चलते हैं वे हमारा मार्गदर्शन करते हैं ताकि हम इस कठिन राह पर रास्ता न खो जाएँ। वास्तव में, जो ईश्वर पर विश्वास करते हैं वे जानते हैं कि विश्वास का जीवन स्थिर नहीं होता बल्कि गतिशील होता है। विश्वास का जीवन लगातार एक दौड़ है, नये पड़ाव की ओर आगे बढ़ना है जिसको स्वयं प्रभु प्रतिदिन दिखलाते हैं क्योंकि वे विस्मय के ईश्वर हैं। वे नवीनता के ईश्वर हैं, सच्ची नवीनता के ईश्वर।

"तुम्हारे दीपक जलते रहें"

जागते रहने का दूसरा उपाय बतलाते हुए संत पापा ने कहा, "तुम्हारे दीपक जलते रहें।" रात के अंधेरे को दूर करने के लिए हमारे दीपक को जलते रहना है अर्थात् हमें निमंत्रण दिया जाता है कि हम अपने विश्वास को सच्चाई एवं परिपक्वता के साथ जीयें ताकि हम जीवन की कई रातों को प्रकाशित कर सकें। हम सभी जानते हैं कि हमने ऐसी रातों को पार किया है जो सचमुच आध्यात्मिक थीं।

विश्वास का दीपक

विश्वास के दीये को जलते रहने के लिए उसमें तेल की आवश्यकता है। वह आध्यात्मिक तेल येसु से प्रार्थना में मुलाकात करने और उनके वचनों को सुनने के द्वारा मिलती है। संत पापा ने छोटा बाईबिल अपने साथ रखने की सलाह को पुनः दोहराते हुए कहा, "मैं एक चीज को दोहराना चाहता हूँ जिसको मैंने कई बार कहा है, अपनी जेब या थैली में सुसमाचार की एक छोटी प्रति रखें और उसे पढ़ें। यह उनके वचनों के माध्यम से येसु के साथ मुलाकात है। प्रार्थना और वचन के माध्यम से येसु के साथ मुलाकात हमें दीये की तरह सभी की भलाई के लिए सौंपा गया है। इसलिए कोई भी व्यक्ति दूसरों के प्रति उदासीन होकर, अपने स्वयं के उद्धार की निश्चितता में आंतरिक रूप से पीछे नहीं हट सकता। यह विश्वास की कल्पना है कि व्यक्ति सिर्फ अंदर से प्रकाशित रह सकता है। यह एक कल्पना मात्र है। सच्चा विश्वासी पड़ोसी के लिए अपना हृदय खोलता है और अपने भाइयों के समुदाय में जाता है विशेषकर, उन लोगों के पास जो जरूतमंद हैं। येसु हमें इस मनोभाव को समझाते हैं और इसके लिए वे उन सेवकों का एक दृष्टांत सुनाते हैं जो बारात से अपने स्वामी के लौटने की प्रतीक्षा करते हैं।(पद. 36-40)

जागते रहना

इस तरह, येसु जागते रहने के दूसरे आयाम को प्रकट करते हैं जिसमें हमें प्रभु के साथ परम और निश्चित मुलाकात के लिए तैयार रहना है। संत पापा ने कहा कि हम प्रत्येक को मुलाकात करना होगा। मुलाकात के लिए हम प्रत्येक की तिथि निर्धारित है। प्रभु कहते हैं, धन्य हैं वे सेवक, जिन्हें स्वामी आने पर जागता हुआ पायेगा! मैं तुम से यह कहता हूँ: वह अपनी कमर कसेगा, उन्हें भोजन के लिए बैठायेगा और एक-एक को खाना परोसेगा और धन्य हैं वे सेवक, जिन्हें स्वामी रात के दूसरे या तीसरे पहर आने पर उसी प्रकार जागता हुआ पायेगा! (पद. 37-38). इन शब्दों के साथ प्रभु याद दिलाते हैं कि जीवन एक यात्रा है, अनन्त जीवन की यात्रा, यही कारण है कि हम अपनी पूरी क्षमता से फल उत्पन्न करें। यह कभी नहीं भूलें कि इस पृथ्वी पर हमारा कोई स्थायी नगर नहीं है। हम तो भविष्य के नगर की खोज में लगे हुए हैं। (इब्रा. 13,14). इस दृष्टिकोण से हमारा हर क्षण महत्वपूर्ण है। जिसके लिए हमें स्वर्ग की चाह के साथ, इस धरती पर जीना और काम करना आवश्यक है। हमें पृथ्वी पर पाँव रखना, उसपर चलना,  काम करना और भलाई के कार्यों को आगे बढ़ाना है किन्तु हृदय हमेशा स्वर्ग की ओर लगा रहे।

अनन्त आनन्द

यदि हम सुसमाचार एवं ईश्वर की आज्ञाओं के अनुसार जीते हैं तब वे हमें स्वर्ग में, अनन्त आनन्द के सहभागी बनायेंगे। हम इस परम आनन्द को नहीं समझ सकते किन्तु येसु हमारे लिए इसकी तुलना उस स्वामी के आनन्द से करते हैं जिसका सेवक उसके आने की प्रतीक्षा करता है। "धन्य हैं वे सेवक, जिन्हें स्वामी आने पर जागता हुआ पायेगा! मैं तुम से यह कहता हूँ: वह अपनी कमर कसेगा, उन्हें भोजन के लिए बैठायेगा और एक-एक को खाना परोसेगा। (पद. 37).

संत पापा ने कहा, "स्वर्ग का अनन्त आनन्द इसी तरह है। वहाँ स्थितियाँ बदल जायेंगी।" अर्थात् सेवक प्रभु की सेवा नहीं करेंगे बल्कि स्वंय ईश्वर हमारी सेवा करेंगे। येसु ने अब तक ऐसा ही किया है। वे हमारे लिए प्रार्थना करते हैं, हमारा मार्गदर्शन करते और पिता से हमारे लिए प्रार्थना करते हैं। वे इस समय हमारी सेवा कर रहे हैं अतः वे हमारे सेवक हैं। यही हमारे लिए अनन्त आनन्द है। पिता ईश्वर के साथ अंतिम मुलाकात जो करुणा के धनी हैं हमें आशा से भर दें और हमें पवित्र जीवन जीने एवं एक अधिक न्यायपूर्ण तथा भ्रातृपूर्ण विश्व के निर्माण हेतु निरंतर प्रतिबद्धता के लिए प्रेरित करें।

धन्य कुँवारी मरियम अपनी ममतामय मध्यस्थता द्वारा हमारी इस प्रतिबद्धता को पूरा करने में सहायता दे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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12 August 2019, 15:42