देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा 

मरियम स्वर्ग का द्वार, मरियम के स्वर्गोदग्रहण पर्व पर संत पापा

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में बृहस्पतिवार 15 अगस्त को, माता मरियम के स्वर्गोदग्रहण महापर्व के उपल्क्षय में संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 15 अगस्त 19 (रेई)˸ देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "आज के सुसमाचार में पाठ धन्य कुँवारी मरियम के स्वर्गोदग्रहण महापर्व के दिन, धन्य कुँवारी मरियम यह कहते हुए प्रार्थना करती है, "मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है और मेरा मन अपने प्रभु ईश्वर में आनन्द मनाता है।" (लूक. 1: 46-47)

माता मरियम की प्रार्थना

संत पापा ने माता मरियम की प्रार्थना के दो शब्दों "आनन्द" और "गुणगान" पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "जब कोई अच्छी बात होती है जो अत्यन्त आनन्ददायक होता है। इसके लिए अंदर ही अंदर खुशी मनाना पर्याप्त नहीं होता बल्कि हम इसे पूरे शरीर से व्यक्त करना और खुशी मनाना चाहते हैं। मरियम ईश्वर के कारण खुशी मनाती है।" संत पापा ने कहा कि क्या हम भी प्रभु के कारण आनन्दित होते हैं? हम अक्सर सफलता अथवा किसी खुशी के समाचार से आनन्दित होते हैं किन्तु आज मरियम हमें सिखलाती है कि हम प्रभु में आनन्द मनायें क्योंकि वे महान कार्य करते हैं।( पद. 49).

मरियम की प्रार्थना के दूसरे शब्द "गुणगान" पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा कि गुणगान करने का अर्थ है किसी सच्चाई की महानता, उसकी सुन्दरता के लिए उसकी प्रशंसा करना। मरियम प्रभु की महानता का गुणगान करती है और उनकी प्रशंसा करते हुए कहती है कि वे सचमुच महान हैं। जीवन में हमें महान चीजों को देखना महत्वपूर्ण है अन्यथा हम कई छोटी चीजों के पीछे खो जायेंगे। मरियम सिखलाती है कि यदि हम खुश होना चाहते हैं तो ईश्वर को प्रथम स्थान दें क्योंकि केवल वे ही महान हैं। कई बार हम छोटी-छोटी चीजों के पीछे भटकते हैं और पूर्वाग्रह, विद्वेष, प्रतिद्वंद्विता, ईर्ष्या और भौतिक चीजों में लगे रहते हैं। मरियम हमें महान चीजों पर ध्यान देने के लिए निमंत्रण दे रही है जिसको प्रभु ने उनके लिए सम्पन्न किया।

मरियम की महानता

यही महान चीज है जिसको आज हम मनाते हैं। मरियम स्वर्ग में उठा ली गयीं। वे दीन और विनम्र थीं किन्तु सर्वोच्च सम्मान प्राप्त किया। वे जो मानव प्राणी हैं हम में से एक थीं उन्होंने सशरीर अनन्त जीवन को प्राप्त कर लिया है और वे वहाँ हमारा इंतजार करती हैं, उसी तरह जिस तरह एक माँ अपने बच्चों के घर लौटने का इंतजार करती है।

ईश्वर की प्रजा उन्हें स्वर्ग का द्वार पुकारती है। हम ऊपर के उस घर में जाने के लिए तीर्थयात्रा पर हैं। आज हम मरियम और उनके लक्ष्य को को देखें। हम गौर करें कि एक सृष्ट प्राणी पुनर्जीवित ख्रीस्त की महिमा में उठायी गयी और वह प्राणी कोई दूसरा नहीं बल्कि स्वयं मुक्तिदाता की माता हैं। हम देखें कि नये आदम ख्रीस्त के साथ नयी हेवा मरियम भी हैं जो हमारी यात्रा में हमें विश्राम और आशा प्रदान करती हैं।

संत पापा ने विश्वासियों का आह्वान करते हुए कहा कि कुँवारी मरियम का स्वर्गोदग्रहण हम सभी के लिए एक निमंत्रण है, विशेषकर, उन लोगों के लिए जो संदेह, उदासी और झुकी हुई नजरों के साथ जीते हैं। हम ऊपर देखें आकाश खुली है यह हममें भय उत्पन्न नहीं करता और दूर्गम भी नहीं है क्योंकि स्वर्ग के द्वार पर एक माँ हमारा इंतजार कर रही है। वे स्वर्ग की रानी हैं और हमारी माँ हैं। वे हमें प्यार करती हैं, हमसे मुस्कुराती हैं और बड़े स्नेह से हमारी मदद करती हैं। जिस तरह हर माँ अपने बच्चे को अगाध प्रेम से कहती है उसी तरह वे हमसे कहती हैं, "तुम मेरी दृष्टि में मूल्यवान हो। तुम दुनिया की तुच्छ वस्तुओं के लिए नहीं किन्तु स्वर्ग के परम आनन्द के लिए बनी हो। जी हाँ, क्योंकि प्रभु आनन्द हैं उदासी नहीं।  

संत मरियम से प्रार्थना

आइये, हम माता मरिमय को अपना हाथ पकड़ने दें। जब कभी हम अपने हाथ में रोजरी माला लेते हैं और प्रार्थना करते हैं तब हम जीवन के इस महान लक्ष्य की ओर एक कदम आगे बढ़ाते हैं।

आइये, हम उनकी सच्ची सुन्दरता से आकर्षित हों, हम जीवन की छोटी चीजों में न उलझ जाएँ किन्तु आकाश की महानता की ओर देखें। धन्य कुँवारी मरियम, स्वर्ग का द्वार, हमें साहस और आनन्द के साथ प्रतिदिन उस ओर देखने में मदद दे, जिस ओर हमारा सच्चा घर है।  

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15 August 2019, 16:31