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देवदूत प्रार्थना करते पोप फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना करते पोप फ्राँसिस  

प्रेम हमेशा मांग करता है, देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा

देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा ने कहा कि सुसमाचार पाठ (लूक. 13,22-30) येसु को नगर-नगर, गाँव-गाँव, उपदेश देते, येरुसालेम के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए प्रस्तुत करता है। जहाँ वे जानते थे कि सारी मानव जाति के लिए उन्हें क्रूस पर मरना है। इस दृश्य में एक व्यक्ति के सवाल को डाला गया है जो पूछता है, ''प्रभु! क्या थोड़े ही लोग मुक्ति पाते हैं?' (पद. 23)

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 26 अगस्त 2019 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 25 अगस्त को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज का सुसमाचार पाठ (लूक. 13,22-30) येसु को नगर-नगर, गाँव-गाँव, उपदेश देते, येरुसालेम के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए प्रस्तुत करता है। जहाँ वे जानते थे कि सारी मानव जाति के लिए उन्हें क्रूस पर मरना है। इस दृश्य में एक व्यक्ति के सवाल को डाला गया है जो पूछता है, ''प्रभु! क्या थोड़े ही लोग मुक्ति पाते हैं?' (पद. 23) उस समय इस मुद्दे पर बहस चल रही थी कि कितने लोग मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और कितने लोग नहीं... और इसकी व्याख्या धर्मग्रंथ के आधार पर दी जा रही थी। किन्तु येसु सवाल को बिलकुल बदल देते हैं, जो गुणवत्ता पर अधिक प्रकाश डालता है अर्थात् "वे थोड़े हैं...? और एक जिम्मेदारपूर्ण उत्तर प्रस्तुत करते हैं, निमंत्रण देते हैं कि वर्तमान समय को अच्छी तरह से व्यतीत किया जाए। वे कहते हैं, " सँकरे द्वार से प्रवेश करने का पूरा-पूरा प्रयत्न करो, क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ-प्रयत्न करने पर भी बहुत-से लोग प्रवेश नहीं कर पायेंगे।" (पद. 24)

सँकरा द्वार

इन शब्दों से येसु स्पष्ट करते हैं कि यह संख्या का सवाल नहीं है, स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए कोई संख्या निर्धारित नहीं है, किन्तु यह सही रास्ते पर चलने का सवाल है और यह सही रास्ता सभी के लिए है किन्तु संकरा है, यही समस्या है। संत पापा ने कहा, "येसु यह कह कर धोखा देना नहीं चाहते हैं कि आप लोग निश्चिंत रहें, यह बिलकुल आसान है, यह एक सुन्दर चौड़ा मार्ग है और उसके अंत में एक स्वतः खुलने वाला द्वार है... जी नहीं, वे ऐसा नहीं कहते बल्कि कहते हैं कि द्वार सँकरा है। वे चीजों को वैसा ही प्रस्तुत करते हैं जैसे वे हैं।

सँकरे द्वार का अर्थ

द्वार सँकरा है मगर किस अर्थ में? संत पापा ने सँकरे द्वार का अर्थ बतलाते हुए कहा, "इस अर्थ में कि मुक्ति के लिए ईश्वर और अपने पड़ोसियों से प्यार करना है जो आसान नहीं है यह एक सँकरे द्वार के समान है क्योंकि यह हमेशा मांग करता है। प्रेम हमेशा मांगता है, समर्पण की मांग करता है, वास्तव में, एक प्रयास की मांग करता है, एक चाह की, सुसमाचार के अनुसार जीने की दृढ़ इच्छा शक्ति और संकल्प की। संत पौलुस कहते हैं, विश्वास के लिए निरन्तर संघर्ष करते रहो। (1तिम. 6,12) संत पापा ने कहा कि स्वर्ग के द्वार में प्रवेश पाने के लिए हरेक दिन प्रयास करना है प्रत्येक दिन ईश्वर और पड़ोसी को प्यार करने का प्रयास करना है।

सँकरे द्वार से प्रवेश करने की शर्तें

इसे अधिक स्पष्ट करने के लिए येसु एक दृष्टांत सुनाते हैं, "घर का एक मालिक है जो ईश्वर को दर्शाता है। उनका घर अनन्त जीवन का प्रतीक है अर्थात् मुक्ति का प्रतीक।" यहाँ फिर द्वार का दृश्य उभरता है, "जब घर का स्वामी उठ कर द्वार बन्द कर चुका होगा और तुम बाहर रहकर द्वार खटखटाने और कहने लगोगे, 'प्रभु! हमारे लिए खोल दीजिए', तो वह तुम्हें उत्तर देगा, 'मैं नहीं जानता कि तुम कहाँ के हो'।" (पद. 25) तब वे लोग अपना परिचय देने का प्रयास करेंगे, घर के स्वामी को यह याद दिलाते हुए कि 'हमने आपके सामने खाया-पीया और आपने हमारे बाजारों में उपदेश दिया'।(पद. 26) जब आपने सम्मेलन का आयोजन किया तब हम भी वहाँ उपस्थित थे किन्तु प्रभु फिर से नहीं पहचानने की बात कहेंगे और बोलेंगे, "कुकर्मियो! तुम सब मुझ से दूर हटो।"

संत पापा ने कहा, "यहीं समस्या है। प्रभु हमारी पदवी के अनुसार हमें नहीं पहचानेंगे। हम कहेंगे, प्रभु देखिए मैं उस संगठन का सदस्य हूँ, उस मोनसिन्योर का मित्र हूँ, उस कार्डिनल से परिचित हूँ, उस फादर को जानता हूँ। जी नहीं पदवी का कोई मूल्य नहीं है। प्रभु हमें सिर्फ और सिर्फ एक विनम्र जीवन, भला जीवन और विश्वास का जीवन जो कार्यों में प्रकट होता है उसके द्वारा पहचानेंगे।"

ख्रीस्तीय किस तरह सँकरे द्वार से प्रवेश कर सकते हैं

उन्होंने कहा कि हम सभी ख्रीस्तियों के लिए इसका अर्थ है कि हम येसु के साथ एक सच्चा संबंध स्थापित करने के लिए बुलाये गये हैं और यह संबंध प्रार्थना करने, गिरजा जाने, संस्कारों को ग्रहण करने तथा उनके वचनों को सुनने के द्वारा सुदृढ़ होता है। यह हमें विश्वास में बनाये रखता, आशा को पोषित करता और उदारता को जागृत करता। इस तरह ईश्वर की कृपा से हम भाई-बहनों की भलाई हेतु अपना जीवन व्यतीत कर सकते हैं तथा हर प्रकार की बुराइयों और बेईमानी से संघर्ष कर सकते हैं।

माता मरियम से सहायता  

संत पापा ने कुँवारी मरियम से प्रार्थना की कि वे हमारी सहायता करें, जिन्होंने सँकरे द्वार जो स्वंय येसु हैं उन्हें पार किया है। उन्होंने पूरे हृदय से उनका स्वागत किया तथा अपने जीवन में हर दिन उनका अनुसरण किया। उन क्षणों में भी जब वे नहीं समझ पाती थीं, उस समय भी जब उनका हृदय बरछे से आरपार छिद गया। जिसके कारण हम उन्हें "स्वर्ग का द्वारा" पुकारते हैं। एक ऐसा द्वार जो येसु का हूबहू अनुसरण करता है, ईश्वर के हृदय का द्वार, हृदय जो मांग करता किन्तु हम सभी के लिए खुला है।  

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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26 August 2019, 16:11